मित्रों।
आदरणीय राजीव कुमार झा जी के आदेश पर
आज का चर्चा मंच प्रस्तुत कर रहा हूँ।
अगले रविवार से वो स्वयं
आपकी सेवा में उपस्थित हो जायेंगे।
देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक।
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यादें
हैं अभी तक शेष यादें ।
सोचता सब कुछ भुला दूँ,
अग्नि यह भीषण मिटा दूँ ।
किन्तु ये जीवित तृषायें,
शान्त जब सारी दिशायें,
रूप दानव सा ग्रहण कर,
चीखतीं अनगिनत यादें...
न दैन्यं न पलायनम् पर प्रवीण पाण्डेय
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चिंता
आँगन में जल भरा
चिड़िया आती
दाना खाती पानी पीती
पंख डुबोती नहाती
जल्दी से उन्हें सुखाती
भूख उसे नहीं है
फिर भी मन चंचल
स्थिर नहीं है
कोई जान नहीं पाता
उसकी चिंता वही जानती...
Akanksha पर Asha Saxena
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दूधो नहाओ और पूतो फलो
जब भी मेरी माँ उनसे मिलती ,वो उनके पाँव छुआ करती थी और नानी उन्हें बड़े प्यार से आशीर्वाद देती और सदा यही कहती ,''दूधो नहाओ और पूतो फलो ''|उस समय मेरे बचपन का भोला मन इस का अर्थ नहीं समझ पाया था ,लेकिन धीरे धीरे इस वाक्य से मै परिचित होती चली गई, ''पूतो फलो '' के आशीर्वाद को भली भाँती समझने लगी | क्यों देते है ,पुत्रवती भव का आशीर्वाद...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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"क्या हुआ जब वो "बगदादी"से मिल कर आये "
आप ही पढ़ लीजिये हमारे मित्र
अशोक मिश्र जी की रचना !!
PITAMBER DUTT SHARMA
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सोच की रोटी पर फ़फ़ूँद लगने से पहले
हाथ में कलम हो और
सोच के ताबूत में सिर्फ़ कीलें ही कीलें गडी हों
तो कैसे खोली जा सकती है
ज़िन्दा लाश की आँख पर पडी पट्टी की गिरहें
चाहे कंगन कितने ही क्यों ना खनकते हों
सोच के गलियारों में पहनने वाले
हाथ ही आज नहीं मिला करते और
“ जंगल में मोर नाचा किसने देखा “ ...
vandana gupta
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कारण कार्य व प्रभाव गीत ....
कितने भाव मुखर हो उठते ..
मेरे द्वारा नव-सृजित .....इस छः पंक्तियों के प्रत्येक पद या बंद के गीत में प्रथम दो पंक्तियों में मूल विषय-भाव के कार्य या कारण को दिया जाता है तत्पश्चात अन्य चार पंक्तियों में उसके प्रभाव का वर्णन किया जाता है | अंतिम पंक्ति प्रत्येक बंद में वही रहती है गीत की टेक की भांति | गीत के पदों या बन्दों की संख्या का कोई बंधन नहीं होता | प्रायः गीत के उसी मूल-भाव-कथ्य को विभिन्न बन्दों में पृथक-पृथक रस-निष्पत्ति द्वारा वर्णित किया जा सकता है | एक उदाहरण प्रस्तुत है ...
डा श्याम गुप्त...
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विहान के जन्मदिन पर
विहान के जन्मदिन पर नाना और नानी का
ढेरों प्यार और आशीर्वाद
तुम करो सार्थक नाम है अपना,
नव-विहान खुशियों का लाओ।
अभ्युदय हो जीवन में खुशियाँ,
आशीष, प्यार सभी का पाओ।
नव-विहान खुशियों का लाओ।
अभ्युदय हो जीवन में खुशियाँ,
आशीष, प्यार सभी का पाओ।
Kailash Sharma -
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सावन जगाये अगन !
रिमझिम बरसकर सावन
मन में जगाती अगन ,
बैठी है मिलने की आस लिए
पर नहीं आये बेदर्दी साजन...
कालीपद प्रसाद
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जीवन का पर उद्देश्य होना चाहिये ऐसा मैं महसूस करता हूं.. आप भी यही सोचते होगे न.. सोचिये अगर न सोचा हो तो . इन दिनों मन अपने इर्द-गिर्द एवं समाज़ में घट रही घटनाओं से सीखने की चेष्टा में हूं.. अपने इर्द गिर्द देखता हूं लोग सारे जतन करते दिखाई देते हैं स्वयं को सही साबित करने के. घटनाएं कुछ भी हों कहानियां कुछ भी हों पर एक एक बात तय है कि अब लोग आत्मकेंद्रित अधिक हैं. मैं मेरा, मुझे, मेरे लिए, जैसे शब्दों के बीच जीवन का प्रवाह जारी है..
समाप्त भी इन्हीं शब्दों के बीच होता है....
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फ़ना हो जाऊँ...
मन चाहे बस सो जाऊँ
तेरे सपनों में खो जाऊँ !
सब तो छोड़ गए हैं तुमको
पर मैं कैसे बोलो जाऊँ...
डॉ. जेन्नी शबनम
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...फिर वो सामान उठाकर
"नंगे पांव"
घर को चल दिये !
......तभी साहब ने एक थैला देते हुए जबाब दिया बाबा इनको सीं देना... बाबा ने थैला लिया और बिना दाम बताये काम करना शुरू कर दिया... सारा काम करने के बाद जब बाबा ने साहब से पैसे मांगे तो साहब ने उसमे भी बाबा पर झिर्राते हुए ४-५ रुपये कम दिए, और गुस्से से सामान लेकर चले गए....
ये सब देखकर बार बार फिर से वही प्रश्न दिमाग में आ रहा है : वो रोज यहाँ आते क्यों है ? आजकल कौन जूता चप्पल सही कराता है ? किसके पास टाइम है ?.....
खैर इन सब को कौन ध्यान देता है, तेज गति से सबके पैर चले जा रहे है...
तेताला पर
Er. Ankur Mishra'yugal
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“हिन्दी वर्णमाला-ऊष्म और संयुक्ताक्षर”
दो या दो से अधिक अक्षरों की
सन्धि से मिलकर बने अक्षरों को
संयुक्ताक्षर कहते हैं!
हिन्दी वर्णमाला के साथ
इनको पढ़ाया जाना सर्वथा अनुपयुक्त है!
फिर भी आजकल के शिक्षाविदों ने
ये संयुक्ताक्षर
वर्णमाला के साथ जोड़ दिये हैं !
कुछ मुक्तक देख लीजिए...
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा सूत्र और मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
+डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
अन्य बेहरीन लिंक्स के लिये आभार
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
बढ़िया प्रस्तुति व सूत्र , आ. शास्त्री जी , राजीव भाई व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही विस्तृत चर्चा ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा .......आभार
जवाब देंहटाएंWAAH JI !! JOGI JI SE MILNA BADHIYAA RAHA !! AABHAAR MERI RACHNA KO STHAN DENE HETU !
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा, मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार आ. शास्त्री जी
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