----------------------------------------------------------------------------
----------------------------------------------------------------------------
आ. पाठकों व प्रिय ब्लॉगर मित्रों आप सबको मेरा सप्रेम नमस्कार _/\_ पहले तो आप सब से एक छोटी सी विनती यह है कि....
ये मेरी पहली प्रस्तुति है मंच के लिए मतलब हमारे प्रिय चर्चामंच के लिए , इसलिए कोई भी मेरी छोटी-मोटी खामी पे ध्यान न दे ,
वैसे भी आजकल बहुत भीषण बारिश हो रही है , इसका असर सब पर पड़ सकता है , मेरे पे नहीं क्योंकि पोस्ट को मंच के हवाले करने के बाद ही मै अपने छाते का प्रयोग करता हूँ - जोक था !
~~~~~
" लेकिन ये मैंने क्यों कहा - क्योंकि हम चाहते हैं कि आप हमारे मेहनती व प्यारे ब्लॉगर मित्रों की मेहनत भरी पोस्ट पे ध्यान दें ! "
- तो आइये खिसक लेते हैं नीचे की ओर , मतलब पोस्ट लिंकों की ओर -
ये मेरी पहली प्रस्तुति है मंच के लिए मतलब हमारे प्रिय चर्चामंच के लिए , इसलिए कोई भी मेरी छोटी-मोटी खामी पे ध्यान न दे ,
वैसे भी आजकल बहुत भीषण बारिश हो रही है , इसका असर सब पर पड़ सकता है , मेरे पे नहीं क्योंकि पोस्ट को मंच के हवाले करने के बाद ही मै अपने छाते का प्रयोग करता हूँ - जोक था !
~~~~~
" लेकिन ये मैंने क्यों कहा - क्योंकि हम चाहते हैं कि आप हमारे मेहनती व प्यारे ब्लॉगर मित्रों की मेहनत भरी पोस्ट पे ध्यान दें ! "
- तो आइये खिसक लेते हैं नीचे की ओर , मतलब पोस्ट लिंकों की ओर -
- प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ लिंक्स -
----------------------------------------------------------------------------
पहले शुरुवात करतें हैं एक बेहतरीन चिट्ठे से - इस चिट्ठे से शुरुवात करने का कारण इसके बेहतरीन लेख होने से है , ये जानकर थोडा कष्ट हुआ कि इस ब्लॉग पे मै देर से क्यों पहुँचा , आप भी जाइए और बेहतरीन लेखों का लुफ्त उठाइये !
<~~~~~~~~~~>
क्रिया धातु 'ऋ' से ऋत शब्द की उत्पत्ति है। ऋ का अर्थ है उदात्त अर्थात ऊर्ध्व गति। 'त' जुड़ने के साथ ही इसमें स्थैतिक भाव आ जाता है - सुसम्बद्ध क्रमिक गति। प्रकृति की चक्रीय गति ऐसी ही है और इसी के साथ जुड़ कर जीने में उत्थान है। इसी भाव के साथ वेदों में विराट प्राकृतिक योजना को ऋत कहा गया।
- एक आलसी का चिट्ठा -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आदरणीय डॉ. श्री रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी द्वारा रचित रचनाओं को भला यहाँ पर आने वाला ( बल्कि वेब पे भी ) कौन नहीं जानता है , बस उनका आशीर्वाद ही है जो हम युवाओं को उनकी रचनाओं के रूप में मिलता रहता है , जिसके लिए हम सब ब्लोगेर्स उनको धन्यवाद देते हैं !
<~~~~~~~~~~>
- उच्चारण -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आदरणीय श्री रेखा जी के बारे में मै ज्यादा नहीं जानता क्योंकि अभी कुछ ही दिन पहले मैं इनसे रूबरू हुआ हूँ , लेकिन बहुत ही कमाल की उनकी रचनाएं हैं , एक अलग सा आकर्षण है इनकी रचनाओं में - हम सभी ब्लोगेर्स की तरफ से इनको इनकी रचना के लिए धन्यवाद !
<~~~~~~~~~~>
चंदामामा दूर के [बाल कथा ]
पूर्णिमा के चाँद को देखते ही आज पिंकी फिर मचल उठी,''मुझे चंदा मामा के पास जाना है ,मुझे वहां ले चलो न ,''और इतना कहते ही उसने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया । उसके भाई राजू ने हँसते हुए उससे पूछा ,''तुम चाँद पर जा कर क्या करोगी ?''मै वहां बूढी नानी से चरखा चलाना सीखूँ गी ,मुझे बस उनके पास जाना है ,जाना है ।
- आदरणीय रेखा जोशी जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
बढ़िया व सार्थक ब्लॉग है देवन पाण्डेय जी का का मै इनके बारे में भी ज्यादा नहीं जानता , लेकिन रचनाएं भला कैसे छुपने दें ये तो बता देती ही हैं - मैं इनके ब्लॉग के बारे में कम से कम एक बात ज़रूर बोलूँगा - बढ़िया ब्लॉग बढ़िया रचनाएं !
<~~~~~~~~~~>
अबोध मेहमान !
मेरे छोटे भाई इसे बचाकर घर ले आये । उन पेड़ो के झुरमुट में इसका घर तलाशना संभव नहीं था !
- देवन पाण्डेय जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
- आगे पढ़े कुछ और अच्छे व पसंद के लिंक्स -
<~~~~~~~~~~>
<~~~~~~~~~~~~>
पता न चल पाया अब तक राज।
पत्ते-पत्ते हिल रहे नहीं, मौसम वैसे ही बरकरार
आँखे पलकों से ढकी हुयी, कर रही बारिश का इन्तजार।
- प्रभात कुमार जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हूँ कौन और क्या हूँ मै हूँ तुझसे जुदा या तेरा हिस्सा हूँ मै ऐ खुदा इतना बता क्या हूँ खुद में मुकम्मल या किसी कहानी का अधूरा सा किस्सा हूँ मै है पास सब कुछ फिर जाने क्यों ये एहसास है
- शिल्पा भारतीय जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
गजोधर भईया को शहर में नौकरी लगी। मामला सेटल्ड ही था कि उनके शादी की बात होने लगी। परिवार वाले सोचते कि साथ में लुगाई जाएगी तो ख़याल रखेगी। उधर गजोधर भईया की अपनी समस्याएं थी। वो ठहरे ठेठ देहाती। मशीनों से सदा ही दूर भागते।
- मधुरेश जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पुनर्जनम या चमत्कार
यहाँ मेरा ससुराल है ..कोटा शहर अपनी कोटा साडी के लिए मशहूर है आजकल यह कोचिंग का गढ़ बन गया है -- यहाँ कोचिंग के लिए दूर -दूर से विधार्थी आते है --यहाँ बहुत मात्रा में कोटा स्टोन भी पाया जाता है । यहाँ 'दाढ़ देवी' नाम की बहुत प्रसिध्य देवी का मंदिर है ।
- दर्शन कौर जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
उस एक दिन Us Ek Din
- नीरज जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जीवन कर्मभूमि है और इस पर कर्म सभी करते हैं - फिर चाहे वे धर्म और नीति संगत हों या फिर असंगत। सब अपने घर परिवार के लिए ही कमाते हैं भले ही उनका तरीका कोई भी हो लेकिन वह तरीका इस रूप में फलित होगा ये अगर इंसान जान ले तो फिर गलत रस्ते पर चलने की सोचे ही नहीं।
- आदरणीय रेखा श्रीवास्तव जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
बुरा भला
पूरे दिन में हमारे साथ जो जो होता है उसका ही एक लेखा जोखा " बुरा भला " के नाम से आप सब के सामने लाने का प्रयास किया है | यह जरूरी नहीं जो हमारे साथ होता है वह सब " बुरा " हो, साथ साथ यह भी एक परम सत्य है कि सब " भला " भी नहीं होता |
- शिवम् मिश्रा जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आस्तीन का दोस्ताना - कविता
- अनुराग शर्मा जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सिसकते ज़ख्म
कभी कभी ऐसा भी होता है
हर ज़ख़्म सिसक रहा होता है
दवा भी मालूम होती है
मगर इलाज ही नहीं होता है
- आदरणीया वंदना गुप्ता जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
एक तेरा साथ हो , फिर कैसी तनहाई
साथ जो चल दिए ज़रा , तो राहों ने बाँहे फैलायी
फिर जो आगे चले अगर , तो तूफां की परवह न कीजिए
टूटकर चूर हो जाएना तूफानेजहाँ , बस इतने पल का साथ हो सके तो दीजिए
- आशीष भाई -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हाइकु
- आदरणीय विभा रानी श्रीवास्तव जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कुछ शानदार उपयोगी फ्री सॉफ्टवेयर
- हितेश राठी जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
साँप जहर और डर किसका ज्यादा कहर
साँप को देखकर
अत्यधिक भयभीत
हो गई महिला के
उड़े हुऐ चेहरे
को देखकर
थोड़ी देर के लिये
सोच में पड़ गया
दिमाग के काले
श्यामपट में
लिखा हुआ सारा
सफेद जैसे काला
होते हुऐ कहीं
आकाश में उड़ गया
- आदरणीय सुशील कुमार जोशी जी - ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
साथी हाँथ बढ़ाना - ये एक सन्देश है ? या फिर सिर्फ एक गीत जो आज से कई दशक पहले लिखा गया था , कभी कभी सोंचता हूँ ये किस सोंच से लिखा गया होगा , क्योंकि आज हमारे युवा वर्ग को देख के ये बात कुछ जचती नहीं , क्योंकि आज के इस व्यस्त दौर में जहाँ हमारे युवा जन , राजनीति , फिल्मों , व खेलों में बढ़ चढ़ के भाग लेना चाहते है
- आशीष अवस्थी -
----------------------------------------------------------------------------
अब आप सबसे आज्ञा चाहता हूँ , ईश्वर की कृपा से अगर सही सलामत रहा तो अगले सोमवार भी आपके समक्ष चर्चा लाऊंगा , धन्यवाद !
<~~~~~~~~~~>
क्रिया धातु 'ऋ' से ऋत शब्द की उत्पत्ति है। ऋ का अर्थ है उदात्त अर्थात ऊर्ध्व गति। 'त' जुड़ने के साथ ही इसमें स्थैतिक भाव आ जाता है - सुसम्बद्ध क्रमिक गति। प्रकृति की चक्रीय गति ऐसी ही है और इसी के साथ जुड़ कर जीने में उत्थान है। इसी भाव के साथ वेदों में विराट प्राकृतिक योजना को ऋत कहा गया।
- एक आलसी का चिट्ठा -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आदरणीय डॉ. श्री रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी द्वारा रचित रचनाओं को भला यहाँ पर आने वाला ( बल्कि वेब पे भी ) कौन नहीं जानता है , बस उनका आशीर्वाद ही है जो हम युवाओं को उनकी रचनाओं के रूप में मिलता रहता है , जिसके लिए हम सब ब्लोगेर्स उनको धन्यवाद देते हैं !
<~~~~~~~~~~>
"मानसून ने मन भरमाया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
- उच्चारण -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आदरणीय श्री रेखा जी के बारे में मै ज्यादा नहीं जानता क्योंकि अभी कुछ ही दिन पहले मैं इनसे रूबरू हुआ हूँ , लेकिन बहुत ही कमाल की उनकी रचनाएं हैं , एक अलग सा आकर्षण है इनकी रचनाओं में - हम सभी ब्लोगेर्स की तरफ से इनको इनकी रचना के लिए धन्यवाद !
<~~~~~~~~~~>
चंदामामा दूर के [बाल कथा ]
पूर्णिमा के चाँद को देखते ही आज पिंकी फिर मचल उठी,''मुझे चंदा मामा के पास जाना है ,मुझे वहां ले चलो न ,''और इतना कहते ही उसने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया । उसके भाई राजू ने हँसते हुए उससे पूछा ,''तुम चाँद पर जा कर क्या करोगी ?''मै वहां बूढी नानी से चरखा चलाना सीखूँ गी ,मुझे बस उनके पास जाना है ,जाना है ।
- आदरणीय रेखा जोशी जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
बढ़िया व सार्थक ब्लॉग है देवन पाण्डेय जी का का मै इनके बारे में भी ज्यादा नहीं जानता , लेकिन रचनाएं भला कैसे छुपने दें ये तो बता देती ही हैं - मैं इनके ब्लॉग के बारे में कम से कम एक बात ज़रूर बोलूँगा - बढ़िया ब्लॉग बढ़िया रचनाएं !
<~~~~~~~~~~>
अबोध मेहमान !
मेरे छोटे भाई इसे बचाकर घर ले आये । उन पेड़ो के झुरमुट में इसका घर तलाशना संभव नहीं था !
- देवन पाण्डेय जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
- आगे पढ़े कुछ और अच्छे व पसंद के लिंक्स -
<~~~~~~~~~~>
<~~~~~~~~~~~~>
पता न चल पाया अब तक राज।
पत्ते-पत्ते हिल रहे नहीं, मौसम वैसे ही बरकरार
आँखे पलकों से ढकी हुयी, कर रही बारिश का इन्तजार।
- प्रभात कुमार जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
तेरा ही एक हिस्सा हूँ मै!
हूँ कौन और क्या हूँ मै हूँ तुझसे जुदा या तेरा हिस्सा हूँ मै ऐ खुदा इतना बता क्या हूँ खुद में मुकम्मल या किसी कहानी का अधूरा सा किस्सा हूँ मै है पास सब कुछ फिर जाने क्यों ये एहसास है
- शिल्पा भारतीय जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
इतना तो बनता है! (गजोधर भईया, मिस छमछम और हम)
गजोधर भईया को शहर में नौकरी लगी। मामला सेटल्ड ही था कि उनके शादी की बात होने लगी। परिवार वाले सोचते कि साथ में लुगाई जाएगी तो ख़याल रखेगी। उधर गजोधर भईया की अपनी समस्याएं थी। वो ठहरे ठेठ देहाती। मशीनों से सदा ही दूर भागते।
- मधुरेश जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पुनर्जनम या चमत्कार
यहाँ मेरा ससुराल है ..कोटा शहर अपनी कोटा साडी के लिए मशहूर है आजकल यह कोचिंग का गढ़ बन गया है -- यहाँ कोचिंग के लिए दूर -दूर से विधार्थी आते है --यहाँ बहुत मात्रा में कोटा स्टोन भी पाया जाता है । यहाँ 'दाढ़ देवी' नाम की बहुत प्रसिध्य देवी का मंदिर है ।
- दर्शन कौर जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
उस एक दिन Us Ek Din
- नीरज जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
विडम्बना !
जीवन कर्मभूमि है और इस पर कर्म सभी करते हैं - फिर चाहे वे धर्म और नीति संगत हों या फिर असंगत। सब अपने घर परिवार के लिए ही कमाते हैं भले ही उनका तरीका कोई भी हो लेकिन वह तरीका इस रूप में फलित होगा ये अगर इंसान जान ले तो फिर गलत रस्ते पर चलने की सोचे ही नहीं।
- आदरणीय रेखा श्रीवास्तव जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
बुरा भला
पूरे दिन में हमारे साथ जो जो होता है उसका ही एक लेखा जोखा " बुरा भला " के नाम से आप सब के सामने लाने का प्रयास किया है | यह जरूरी नहीं जो हमारे साथ होता है वह सब " बुरा " हो, साथ साथ यह भी एक परम सत्य है कि सब " भला " भी नहीं होता |
- शिवम् मिश्रा जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आस्तीन का दोस्ताना - कविता
- अनुराग शर्मा जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सिसकते ज़ख्म
कभी कभी ऐसा भी होता है
हर ज़ख़्म सिसक रहा होता है
दवा भी मालूम होती है
मगर इलाज ही नहीं होता है
- आदरणीया वंदना गुप्ता जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
तेरा साथ हो , फिर कैसी तनहाई
एक तेरा साथ हो , फिर कैसी तनहाई
साथ जो चल दिए ज़रा , तो राहों ने बाँहे फैलायी
फिर जो आगे चले अगर , तो तूफां की परवह न कीजिए
टूटकर चूर हो जाएना तूफानेजहाँ , बस इतने पल का साथ हो सके तो दीजिए
- आशीष भाई -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हाइकु
- आदरणीय विभा रानी श्रीवास्तव जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कुछ शानदार उपयोगी फ्री सॉफ्टवेयर
- हितेश राठी जी -
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
साँप जहर और डर किसका ज्यादा कहर
साँप को देखकर
अत्यधिक भयभीत
हो गई महिला के
उड़े हुऐ चेहरे
को देखकर
थोड़ी देर के लिये
सोच में पड़ गया
दिमाग के काले
श्यामपट में
लिखा हुआ सारा
सफेद जैसे काला
होते हुऐ कहीं
आकाश में उड़ गया
- आदरणीय सुशील कुमार जोशी जी - ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
साथी हाँथ बढ़ाना
साथी हाँथ बढ़ाना - ये एक सन्देश है ? या फिर सिर्फ एक गीत जो आज से कई दशक पहले लिखा गया था , कभी कभी सोंचता हूँ ये किस सोंच से लिखा गया होगा , क्योंकि आज हमारे युवा वर्ग को देख के ये बात कुछ जचती नहीं , क्योंकि आज के इस व्यस्त दौर में जहाँ हमारे युवा जन , राजनीति , फिल्मों , व खेलों में बढ़ चढ़ के भाग लेना चाहते है
- आशीष अवस्थी -
----------------------------------------------------------------------------
अब आप सबसे आज्ञा चाहता हूँ , ईश्वर की कृपा से अगर सही सलामत रहा तो अगले सोमवार भी आपके समक्ष चर्चा लाऊंगा , धन्यवाद !
मेहनत से बहुत मनोहारी चर्चा लगाई है आशीष । 'उलूक' के सूत्र 'साँप जहर और डर किसका ज्यादा कहर' को भी स्थान दिया आभार ।
जवाब देंहटाएंसर बहुत-बहुत धन्यवाद ..... मंच व मेरी तरफ से भी आप को शुभकामनाएं !
हटाएंआशीष भाई आप को मंच पर देखकर हर्ष हुआ...
जवाब देंहटाएंइसी प्रकार मंच को सहियोग देते रहें...
सादर।
कुलदीप भाई धन्यवाद जो आप का आगमन हुआ ..अच्छा भी लगा , मंच व मेरी तरफ से आपको भी शुभकामनाएं !
हटाएंबढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपका आभार |- VMW Team
अपनी पहली चर्चा को आपने बड़ी मेहनत व सुरुचिपूर्ण तरीके से पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है ! सार्थक सुंदर सूत्रों के चयन के लिये बधाई एवं शुभकामनायें आशीष जी !
जवाब देंहटाएंआदरणीय धन्यवाद व मंच और मेरी तरफ से आप को भी शुभकामनाएं !
हटाएंबढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय आशीष भाई -
रविकर सर धन्यवाद. मंच व मेरी तरफ से आपको भी शुभकामनाएं !
हटाएंसुरुचिपूर्ण चर्चा।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच परिवार आपका स्वागत करता है।
--
आपका बहुत-बहुत आभार।
आदरणीय बहुत-बहुत धन्यवाद जो यहाँ आकर हम सबका मान बढ़ाया , मेरी तरफ से आपको भी शुभकामनाएं !
हटाएंस्नेहाशीष आशीष को
जवाब देंहटाएंआ. बहुत-बहुत मै खुश हुआ जब आपकी टिप्पणी देखी , आपका स्वागत है , मंच व मेरी तरफ से आपको भी शुभकामनाएं धन्यवाद !
हटाएंलाजवाब चर्चा ... शुभकामनायें चर्चा मंच से जुड़ने की ... अच्छे सूत्र ...
जवाब देंहटाएंदिगंबर भाई बहुत-बहुत धन्यवाद , मंच व मेरी तरफ से आपको भी शुभकामनाएं !
हटाएंमेरे ब्लॉग पोस्ट 'अबोध मेहमान ' को स्थान डेकर मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए आपका धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंमैंने अभी अभी ब्लॉग लिखने की शुरुवात की है , इसीलिए अभी मै इस क्षेत्र में नया हु तो कुछ त्रुटीया अवश्य होंगी जिनपर मै आप जैसे अनुभवी ब्लोग्गर्स की सलाह एवं सुझावों को अवश्य आमंत्रित करना चाहूँगा ..धन्यवाद
देवन भाई धन्यवाद ... मंच व मेरी तरफ से आपको भी शुभकामनाएं !
हटाएंपहली बढ़िया लगी पहली चर्चा प्रस्तुति .. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें!
आ. कविता जी को तो हार्दिक धन्यवाद क्योंकि वो मंच व मेरे ब्लॉग से भी जुडी हुई है और बल्कि मुझसे सीनियर ब्लॉगर हैं , और लगभग पोस्टों व चर्चाओं में अपना अमूल्य समय देतीं हैं ! मंच और मेरी तरफ से आपको भी शुभकामनाएं !
हटाएंबहुत रोचक सूत्र...शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंकैलाश सर धन्यवाद , मंच व मेरी तरफ से आपको भी शुभकामनाएं !
हटाएंबहुत सुन्दर च्र्चामंच !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शुरुआत ! आशीष भाई.
जवाब देंहटाएंराजीव भाई बहुत-बहुत धन्यवाद , चर्चामंच परिवार व मेरी तरफ से आपको भी शुभकामनाएं !
हटाएंतहे दिल से धन्यवाद मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिए! बहुत सुन्दर सूत्र!
जवाब देंहटाएं