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सोमवार, सितंबर 29, 2014

"आओ करें आराधना" (चर्चा मंच 1751)

मित्रों।
चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
सोमवार की चर्चा में 
मेरी पसन्द के कुछ लिंक देखिए।
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नन्दानन्द (NANDANAND)
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कन्या-पूजन 

कन्या-पूजन की महिमा से तो, दुनिया आनी-जानी है, फिर क्यों उसके संग दुष्कर्म करके, देश को, शरमोसार कराया जाता है फिर क्यों ऐसे देश में, कन्या-पूजन का उपहास उड़ाया जाता है? 
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आवारगी 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
लम्हों का सफ़र पर 
डॉ. जेन्नी शबनम
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खबर
उलूक टाइम्स
एक देता है कुछ
अनुदान दो को
दो कार्यक्रम बनाता है
फिर तीन को बताता है
तीन बहुत दूर से
चार को बुलाता है
अतिथि गृ्ह में ठहराता है
सलाद कटवाता है
गिलास धुलवाता है...

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इसकी उसकी करने का 
आज यहाँ मौसम नहीं हो रहा है 

उलूक टाइम्स
प्रस्तुतकर्ता 
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बालकतरुण-किशोर सबढूढ़ें काम-कु-भोग’ |
नन्हें भँवरे’, ‘कली केचाह रहे संयोग’ ||
इच्छाओं के गगन’  में, ‘दुराचार के  गिद्ध’ |
भोली  किसी  कबूतरी’, के शिकार’ में ‘सिद्ध’ ||
इस  पशुता’  से हम बचें,  करो कोई  तरकीब |
हम हैरत में पड़ गयेलगता बहुत ‘अजीब’ ||
साहित्य प्रसून
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पाथर–पंख 

चाहत तो दे दी उड़ने की इतनी कि ओर न छोरआकाश नाप डालूँपृथिवी की परिक्रमा कर डालूँहर फूलपत्ती से दोस्ती कर लूँदुनिया के हर रोते बच्चे को गले लगा कर उसके आँसू पोंछ दूँ.... आज तक धरती पर लिखीअनलिखी सारी
कविताएँ पढ़ डालूँ ....
त्रिवेणी
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प्रधानमंत्री के नाम, खुला पत्र 
9 साल तक किया वीसा के इनकार
अब हुआ अमेरिका को मोदी से प्यार... 

VMW Team

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रेगिस्तान दिल का ... 

ये रेगिस्तान दिल का, यां समंदर डूब जाते हैं  
हमीं हैं जो यहां तक भी गुलों को खींच लाते हैं.. 
Suresh Swapnil 
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अज़ीज़ जौनपुरी : बनारस 
ज्ञान  ध्यान  विज्ञान बनारस 
दुनियाँ  की  है  शान  बनारस

पग -  पग   पर  हैं  घाट  बिछे 
तुलसी का   है   मान बनारस ... 


Zindagi se muthbhed

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महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने 

हुआ सीधा संवाद 

संभागायुक्त श्री दीपक खांडेकर,आई.जी.
महिला सेल श्रीमति प्रग्यारिचा श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में महिला सशक्तिकरण
विभाग एवम पुलिस विभाग के संयुक्त तत्वावधान में
सीधा :संवादकार्यक्रम का आयोजन किया गया... 
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"तेल कान में डाला क्यों?" 

गुम हो गया उजाला क्यों?
दर्पण काला-काला क्यों?

चन्दा गुम है, सूरज सोया
काट रहे, जो हमने बोया
तेल कान में डाला क्यों?

8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    आपका मेरे blog पर आना मुझे निहाल कर जाता है
    आभारी हूँ .... बहुत बहुत धन्यवाद आपका ...
    सादर _/\_

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर चर्चा । 'उलूक' की एक पुरानी सी 'खबर' और 'इसकी उसकी करने का आज यहाँ मौसम नहीं हो रहा है' को जगह देने के लिये आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर चर्चा ………आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. शास्त्री जी, मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं

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