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सोमवार, अक्तूबर 06, 2014

"स्वछता अभियान और जन भागीदारी का प्रश्न" (चर्चा मंच:1758)

मित्रों!
चर्चा मंच पर आप सभी का स्वागत है।
सोमवार की चर्चा में
मेरी पसंद के लिंक देखिए।
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कार्टून :- ईद मुबारक 

काजल कुमार के कार्टून

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बक़रीद के अवसर पर पाठकों को 
बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
Blog News पर DR. ANWER JAMAL
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मधु सिंह : नीर पिपासित 
 (सभी  टिप्पणियाँ कमेंट बॉक्स में नही आ रहीं है   सेटिंग हेतु सुझाव देने की कृपा करें ) नव गुलाब की मोहक सुगंध सी तू समा गई तन मन जीवन में कविते, तृषावंत मैं भटक रहा हूँ तड़प-तड़प कर सकल भुवन में ||1||...बेनक़ाब 
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दर्पण 
 दूर बहुत दूर है वो प्यारा गाँव 
साथ चलती है बबूल की छाँव  
सूख गयी है स्नेह की नदी 
रेत में धँस धँस जाते है पाँव... 
तात्पर्य पर 
कवि किशोर कुमार खोरेन्द्र 
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महादेवी  
हास्य कविता 

नन्दानन्द पर 

डॉ. महेन्द्र प्रताप पाण्डेय ‘नन्द’ 
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मन 
भटकता है कभी कभी 
अटकता है आस पास की दीवारों पर 
लटकती तस्वीरों के मोहपाश में फँसकर 
कुछ समझता है...
जो मेरा मन कहे पर 

Yashwant Yash 
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विजय दशमी का पर्व, 
हम मनाएं बड़ी शान से 
विजय दशमी का पर्वहम मनाएं बड़ी शान से
भारत की जय होभारतीयों की आन बान से
सर्वत्र हो रही चर्चा आज भारत की संसार में
स्तंभित हैं सबमॉम,मेरी,मोदी की पहचान से
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मॉम = मंगलयान , मेरी = मेरी कॉम
सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कॉल
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इंतज़ार है ।। 

के.सी.वर्मा ''कमलेश'' पर 

कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा 
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कोहरे में कहीं - - 

अग्निशिखा : पर शांतनु सान्याल
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दोषी कौन 

Akanksha पर Asha Saxena
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अब क़ातिल ख़ुद ही मसीहा है... 
मलिकज़ादा 'मंजूर' 
मामूल पर साहिल रहता है 
फ़ितरत पे समंदर होता है 
तूफ़ाँ जो डुबो दे कश्‍ती को 
कश्‍ती ही के अंदर होता है... 
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal 
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ख़ुदा के पास जाना है ! 
हमारी भी हक़ीक़त है, तुम्हारा भी फ़साना है 
तुम्हें दिल को जलाना है, हमें दिल आज़माना है 
जुदाई पर ग़ज़ल कह कर ज़माने में सुनाते हो 
चले ही क्यूं नहीं आते अगर रिश्ता निभाना है... 
साझा आसमान पर Suresh Swapnil 
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उनके लिए इस जगह से बेहतर 
कोई जगह हो नहीं सकती 
 *आज इंडिया टीवी पर एक रिपोर्ट देख रही थी -* 
*दिल्ली के आस-पास पाकिस्तान से आये 
हिन्दू शरणार्थी बसे हैं 
ऐसी बदहाली में रह रहे हैं कि 
मत पूछिए लेकिन फिर भी खुश है !!!* 
*सोचिये मेहनत कर एक समय खाते हैं 
तो दूसरे समय का ठिकाना नहीं... 
मुझे कुछ कहना है ....पर अरुणा 
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छंद - दुर्मिल सवैया :कविता 

।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ( सगण यानि सलगा X 8 )


मन की सुनिये मन से लिखिये, बरखा बन मुक्त झरे कविता
जन - मानस के मन में पहुँचे , तुलसी सम रूप धरे कविता
यह मन्त्र बने सुख - यंत्र बने , सब दु:ख समूल हरे कविता 
इतिहास  गवाह  रहा सुनिये ,  युग में बदलाव करे कविता

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग [छत्तीसगढ़]
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
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"नौका लहरों में फँसी, 
बेबस खेवनहार" 
चिड़िया अपने नीड़ मेंकरती करुण पुकार।
सत्याग्रह सच्चे करेंराज करें मक्कार।।

आम जरूरत का हुआमँहगा सब सामान।
ऐसी हालत देख करजनता है हैरान।।
नेता रहते ठाठ सेमरते हैं निर्दोष।
पहन केंचुली हंस कीगिना रहे गुण-दोष।।
तेल कान में डाल करसोई है सरकार।
सत्याग्रह सच्चे करेंराज करें मक्कार।।.. 
उच्चारण
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7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई मयंक जी
    आपके चुनी हुई रचनाएँ उत्कृष्ट होती है हरदम

    आभार

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात हरबार की तरह लिंक्स का चुनाव शानदार |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत कुछ है आज की चर्चा में । 'उलूक' के सूत्र 'अभी अपनी अपनी बातें है बहुत हैं तेरी मेरी बातें कभी मिल आ वो भी करते हैं' को स्थान देने के लिये आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
    सबको ईद मुबारक!

    जवाब देंहटाएं
  5. चर्चा मंच अपनी तरह का एक ऐसा मंच है जो ब्लॉगर को प्रोत्साहित करता है --- हमेशा की तरह
    सुंदर लिंक
    मुझे सम्मलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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