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मंगलवार, अक्तूबर 03, 2017

"ब्लॉग की खातिर" (चर्चा अंक 2746)

मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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किताबों की दुनिया -145 

नीरज पर नीरज गोस्वामी 
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बापू ऐसा था दर्द तेरा !! 

बापू जी को अपने जीवन के अंतिम दिनों में अहिंसा सिद्धांत की अवहेलना देखकर बहुत कष्ट होता था , उन्होने कई बार अपने दर्द को प्रकट किया वो कहते थे कि एक तरफ तो हम संसार को अहिंसक बनने , युद्ध को त्यागने का सन्देश देते हैं और दूसरी तरफ मेरी आँखों के आगे ही भारतवासी आपस में खून खराबा कर रहे हैं , स्त्रियो की बेज्जती की जा रही है, धार्मिक स्थलों को नष्ट किया जा रहा है , ऐसे में मै जिन्दा... 
Manoj Kumar  
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*गजेटियर्स के ग्रेट शिल्पी थे 

जबलपुर के राय बहादुर हीरालाल* 

1 अक्टूबर में राय बहादुर डॉ हीरालाल की 150 वी जयंती पर विशेष...........
 अगर बात उनके विशेष कार्यों की हो तो मध्य प्रांत के गजेटियर की  कल्पना उनके बिना संभव नहीं थी। जो आज भी शोध छात्रों के लिए मील का पत्थर हैं। और  अपने अद्भुत  कामो को अभिलेखों के तौर पर भावी पीढ़ी को सौंप गए| 👉गजेटीयर्स प्रकाशन के लिए 1910 में उन्हें रायबहादुर की उपाधि मिलीवे नृविज्ञान, मानव विज्ञान, अभिलेख विज्ञान, पुरा विज्ञान, भारतीय  इतिहास, हिंदी साहित्य, भाषा विज्ञान, फिलॉस्फी एवं पांडुलिपि विज्ञान के अधिकारी विद्वानों में से एक थे  उनकी जीवनी व कार्यों की कुछ खास बातें :- 

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कुछ भी लिखा,ब्लॉग की खातिर .. 

मुझे लगता है मेरी आँखें अंदर की तरफ घूम गई है,दूरदृष्टि मेरी रही नहीं ,पास का दिखाई नहीं देता ,शायद अब सब अंदर का देखना पड़ रहा है ,इसी का नतीजा मिल रहा है मुझे कविता के रूप में ,कविता बह निकलती है जब-तब इसी ब्लॉग या फेसबुक पर... मेरे जैसे कई लोगों की कवितायेँ बहती हुई दिखती हैं यहां ,उसी से पता चलता है -दिल कितना छोटा सा है ,कभी भी फट सकता है... 
अर्चना चावजी Archana Chaoji  
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निदान- 

लघुकथा 

ऋता शेखर 'मधु' 
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अंतर्राष्ट्रीय वयोवृद्ध दिवस ! 

images of old peoples in india के लिए चित्र परिणाम
आज अंतर्राष्ट्रीय वयोवृद्ध दिवस है। हर घर में वरिष्ठ लोग होते हैं और हमें उनका सम्मान करना चाहिए। संयुक्त परिवार के विघटन ने वरिष्ठों को एकाकी बना दिया। ऐसा नहीं है कई वरिष्ठ आज भी अपने युवावस्था की हनक में रहते हैं और बच्चों को डांटन और गालियां लेना या अपमान करना अपना बड़प्पन समझते हैं जबकि समय के साथ उन्हें खुद को बदल लेना चाहिए कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं की कुछ सोचने पर मजबूर कर देती हैं और वे अपने जीवन का सा विषय लगती हैं। आज हम भी घर में अकेले हैं लेकिन सक्षम है तो सब कर लेते हैं लेकिन कल किसने देखा है... 
मेरा सरोकार पर रेखा श्रीवास्तव 
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शीर्षकहीन 

राह नहीं कोई अनजानी-सी 
बस्ती लगीं सब मुझे पहचानी-सी 
मैंने देखा अक्सर आदमी 
हर जगह एक सा बसता है 
बाहर-बाहर नफरत करता 
अंदर-अंदर प्रेम को तरसता है 
सारिका मुकेश  
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बालकविता  

"छाते" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

धूप और बारिश से,
जो हमको हैं सदा बचाते।
छाया देने वाले ही तो,
कहलाए जाते हैं छाते... 

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर चर्चा। आभार आदरणीय 'उलूक' के पन्ने को भी चर्चा में शामिल करने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर सार्थक सूत्र आज के चर्चामंच में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका ह्रदय से आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं

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