तलाशे घूर में रोटी, गरीबी व्यस्त रोजी में।-
रविकर
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सती -
Gopesh Jaswal
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किताबों की दुनिया -149
नीरज गोस्वामी
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दर्द का तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये-सतीश सक्सेना |
दुनिया में चंद लोग होते हैं जादूगर...
गौतम राजऋषि
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क्षमा बड़ेन को चाहिए, छोटन को उत्पात ,का रहीम हरि को घटो, जो भृगु मारी लात।
Virendra Kumar Sharma
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जामफल के ठेले पर बड़ा व्यापारी
विष्णु बैरागी
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मुक्तक
रविकर
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Untitled
लाल और बवाल (जुगलबन्दी)
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गीत"आँखों के बिन जग सूना है"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') |
बैंक-सुधार में भी तेजी चाहिए
pramod joshi
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कार्टून :- कोई लौटा दे मेरे गुजरात का गुज
Kajal Kumar
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बहुत सुन्दर चर्चा रविकर जी।
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों के साथ मंगलवार की बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार रविकर जी।
सदा की तरह सुंदर
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