मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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कुण्डलिनी ऊर्जा केंद्र :
हमारे शरीर में कहाँ और कौन सा ऊर्जा केंद्र है ?
Virendra Kumar Sharma
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दिया और हवाएं
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEidumplK7bJdP836wm3ivlL4g3y8kW8PVdN12S9Fq1i1rjBvtglDCuvP0RMA7Au5J0OhS-iVSnJlcu_OIanFCVumRZ7h-Yrs8CPgRXX5thd690yJp7d0ZKZgqiZRdbXncEaaNh1l_6ApY0/s400/diya-1782403__340.jpg)
इस बार की दिवाली कुछ अलग थी,
बस थोड़े से चिराग़ जल रहे थे,
अचानक तेज़ हवाएं चलीं,
एक-एक कर बुझ गए दिए सारे,
पर एक दिया जलता रहा,
लड़ता रहा तब तक,
जब तक थक-हारकर चुप नहीं बैठ गईं हवाएं...
कविताएँ पर Onkar
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वर्तमान परिवेश में हमारे पर्व
दिवाली के अवसर पर हिन्दुओं के पंचपर्व की श्रंखला में आज अंतिम पर्व है , भैया दूज। यह महज़ एक संयोग हो सकता है कि हिन्दुओं के सभी त्यौहार तीज के बाद आरम्भ होकर मार्च में होली पर जाकर समाप्त होते हैं। फिर ५ महीने के अंतराल के बाद पुन: तीज पर आरम्भ होते हैं। निश्चित ही इसके सामाजिक , आर्थिक , भूगोलिक और मौसमी कारण भी हो सकते हैं...
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल
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ये दिये रात की ज़रूरत थे....
बशीर बद्र
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBMWzh2XK_T0YIQKYr7ugl1koKzWMOCSPdW_LPDJREhpNRQN9KDN9FC0t9pO5ORGbMo55HU1QSEfpozH2dpCx1MOPkZW6QFVrcSpIUxSwyPSKmSGFhGmwNzgDAKnKO2lrjT8LYoseFuQE/s320/Bashir+Badra.jpg)
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पल दो पल
पल दो पल सकून से जी लेने दे ए जिंदगीकुछ और नहीं
बस अपने आप से गुफ्तगूँ कर लेने दे ए जिंदगी
साँसों के अहसानों की रजामंदी में
ग़लतफ़हमी से खुशफ़हमी कर लेने दे ये जिंदगी...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhZPlv4DXZFSw-IcJKCfSazuk_VBX8gVAg1lqdT18RW2lP4nzED8ggw6yOWndm3B0HNZuDRyy2u5q9xBHtw2oJEdrc2-Rdpk-yaa9wp2bhdmoUPi_UtpzyhnGU6aDmvRs5DL4UygpvI5g_O/s400/_010001.jpg)
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गीत
"भइया दूज का तिलक"
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiZqHKG6YAX9jJzwb5UIW3P2F21pMKTnnIdX56bV1q22DSWaKyiDMuQbNY0w7vJWh7X4Iwpk44GEg9lze7m69fR324Amytcrck4S_Mq9HOdxnCYaYlQwgJocv7dFgbkhpE2F0s-c20ff2-U/s640/Diwali+lamp.jpg)
शुभ प्रभात भाई
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुन्दर सूत्र आज की चर्चा में ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के निरंतर निःस्वार्थ श्रम को प्रणाम!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा!
आभार!
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स. मेरी कविता शामिल की. आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिये बहुत बहुत धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
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