फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, अक्तूबर 28, 2017

"ज़िन्दगी इक खूबसूरत ख़्वाब है" (चर्चा अंक 2771)

मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
--
--
--
उतारकर सब नग, मुहब्बत पहनो  
तेरी याद छुपाकर सीने में 
मज़ा आने लगा है जीने में।

मैकदे की तरफ़ भेजा था जिसने 
बुराई दिखती है अब उसे पीने में।

हवाओं का रुख देखा नहीं था 
क़सूर निकालते हैं सफ़ीने में।

रुत बदली दिल का मिज़ाज देखकर 
आग लगी है सावन के महीने में।

उतारकर सब नग, मुहब्बत पहनो 
देखो कितना दम है इस नगीने में।

जीने लायक़ सब कुछ है यहाँ पर 
क्या ढूँढ़ रहे हो ‘विर्क’ दफ़ीने में।
साहित्य सुरभि 
--
--
--
--

यादें 

यादों का ये कैसा जाना-अनजाना सफ़र है, 
भरी फूल-ओ-ख़ार से आरज़ू की रहगुज़र है ... 
Ravindra Singh Yadav  
--
--
--
--
--

यमक और रूपक अलंकार 

*यमक अलंकार - जब एक शब्द, दो या दो से अधिक बार अलग-अलग अर्थों में प्रयुक्त हो*। *दोहा छन्द* - (1) मत को मत बेचो कभी, मत सुख का आधार लोकतंत्र का मूल यह, निज का है अधिकार ।। (2) भाँवर युक्त कपोल लख, अंतस जागी चाह भाँवर पूरे सात लूँ, करके उससे ब्याह ।। *रूपक अलंकार - जब उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाए अर्थात उपमेय और उपमान में कोई अंतर दिखाई न दे... 

10 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर प्रस्तुति चर्चामंच की । सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर प्रस्तुति चर्चामंच की । सादर आभार। www.hindiarticles.com

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।