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Saturday, October 07, 2017

"ब्लॉग के धुरन्धर" (चर्चा अंक 2750)

मित्रों!
चर्चा मंच पर प्रतिदिन अद्यतन लिंकों की चर्चा होती है।
आश्चर्य तो तब होता है जब वो लोग भी चर्चा मंच पर 
अपनी उपस्थिति का आभास नहीं कराते है, 
जिनके लिंक हम लोग परिश्रम के साथ मंच पर लगाते हैं।
अतः आज के बाद ऐसे धुरन्धर लोगों के ब्लॉग का लिंक 
चर्चा मंच पर नहीं लगाया जायेगा।
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शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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शरद का चांद 

 वर्षों से सम्हाले प्रेम के खुरदुरेपन को 
खरोंच डाला है सपनों ने 
दीवाल पर चिपका रखी हैं 
खींचकर अनगिनत फ़ोटो चांद की 
और चांद है कि आसमान से उतरकर 
खरगोश की तरह उचक रहा है इधर उधर... 
Jyoti Khare  
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शरद पूर्णिमा 

ऋता शेखर 'मधु'  
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शीर्षकहीन 

थोड़ासाबॉलीवुड़ चौदहवीं का चाँद फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी थी। और इसके गाने चौदहवीं का चाँद हो से गुरूदत्त साहब को कुछ खास लगाव हो गया था। सो उन्होंने केवल इस गाने को रंगीन फिल्माने का फैसला किया। जर्मनी से मशीनें व टेक्नीशयन्स बुलवाए गए। और गाने का रंगीन फिल्मांकन शुरू हो गया। बहुत सी दिक्कतें पेश आई,जैसे बहुत तेज आर्क लाइट्स में काम करने में वहीदा जी को परेशानी हो रही थी खासकर क्लोज अप्स में गर्मी से गुरूदत्त और वहीदा जी का बुरा हाल था। खैर जैसे तैसे कर गाने की शूटिंग पूरी हुई। और एड़िटिंग वगैरह के बाद फिल्म रिलीज के लिए तैयार थी। मगर सेंसर बोर्ड ने फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा ... 
parul singh -  
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बैठे ठाले - 19 

के.बी.सी के इसी सत्र में एक प्रश्न था कि वहां बर्णित चार आप्शंस में से कौन सा आप्शन ‘दाल’ नहीं है :दाल चना, दाल मसूर, दाल अरहर या दालचीनी? प्रतिस्पर्धी इसका उत्तर नहीं जानता था. दालचीनी वास्तव में एक पेड़ की छाल होती है, जिसे मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है बहुत से लोगों को ये भी मालूम होगा कि तेजपत्ता के पेड़ की छाल ही दालचीनी कहलाती है. तेजपत्ता को अंगरेजी में ‘बे लीफ’ कहा जाता है इंटरनेट खंगालने के बाद मालूम हुआ कि ये औषधीय वनस्पति केवल हिमालयी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में पाया जाता है... 
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कितने-कितने कोण !! 

जीवन को देखने के कितने-कितने कोण हैं 
इस जहां में किसका, कितना, कौन है... 
अनुशील पर अनुपमा पाठक 
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फिर तेरी कहानी याद आई 

अर्चना चावजी Archana Chaoji  
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12 comments:

  1. शुभ प्रभात
    आभार..और
    फिर से आभार
    सादर

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  2. आज की सुन्दर चर्चा में 'उलूक' के चिट्ठी पुराण को भी जगह देने के लिये आभार आदरणीय।

    कोई ले कर के आता है बताने और बुलाने भी आता है
    क्या करे कोई उसका जिसको आना जाना नहीं आता है ।

    पुन: आभार।

    ReplyDelete
  3. आजकल पाठक पढकर चुपचाप खिसक लेते है।

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  4. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ....

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  5. संकलित रचनाओं की विविधता देखते बनती है. सुंदर, सारगर्भित रचनाओं के लिंक

    ReplyDelete
  6. संकलित रचनाओं की विविधता देखते बनती है. सुंदर, सारगर्भित रचनाओं के लिंक

    ReplyDelete
  7. सुंदर लिंक्स

    ReplyDelete
  8. मेरी रचना को आपके सार्थक मंच पर मान देने के लिये अतुल्य आभार आदरणीय। बहुत ही बेहतरीन कलैक्शन है। चर्चा में शामिल रचनाकारों को बधाईयाँ।

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  9. बहुत सुंदर सूत्र संजोय है
    आपको साधुवाद
    चर्चामंच में सभी सम्मलित रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार
    सादर

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  10. सुन्दर व्यवस्थित चर्चा...सादर आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए !!

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