मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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चर्चा मंच पर प्रतिदिन अद्यतन लिंकों की चर्चा होती है।
आश्चर्य तो तब होता है जब वो लोग भी चर्चा मंच पर
अपनी उपस्थिति का आभास नहीं कराते है,
जिनके लिंक हम लोग परिश्रम के साथ मंच पर लगाते हैं।
अतः आज के बाद ऐसे धुरन्धर लोगों के ब्लॉग का लिंक
चर्चा मंच पर नहीं लगाया जायेगा।
आश्चर्य तो तब होता है जब वो लोग भी चर्चा मंच पर
अपनी उपस्थिति का आभास नहीं कराते है,
जिनके लिंक हम लोग परिश्रम के साथ मंच पर लगाते हैं।
अतः आज के बाद ऐसे धुरन्धर लोगों के ब्लॉग का लिंक
चर्चा मंच पर नहीं लगाया जायेगा।
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गीत
"मिट्टी के ही दिये जलाना"
मित्रों!
पिछले वर्ष 16 अक्तूबर, 2016 को
निम्न गीत लिखा था,
परन्तु इस गीत की कुछ पंक्तियों में
थोड़ा बदलाव करके
बहुत से लोगों ने इस गीत को
अपने नाम से यू-ट्यूब पर
लगा दिया है।

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खूँटा
तुमने ही तो कहा था
कि मुझे खुद को तलाशना होगा
अपने अन्दर छिपी तमाम अनछुई
अनगढ़ संभावनाओं को सँवार कर
स्वयं ही तराशना होगा...
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दहशत में जीभ
मेरी जीभ आजकल गुमसुम रहती है,कुछ नहीं बोलती,चुपचाप पड़ी रहती है मेरे मुंह में.सो गया है उसका अल्हड़पन,फूल नहीं झरते अब उससे,..
कविताएँ पर Onkar
भौतिक विज्ञानों के झरोखे से :
क्या है क्रायो -इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी
(दूसरा भाग ,समापन क़िस्त )
Virendra Kumar Sharma
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मिस्र के चतुरंगी मंदिर से लेकर बाहुबली के साम्राज्य तक :
दुर्गापुर के शानदार पूजा पंडाल
Top Durga Puja pandals of Durgapur, Bengal

Manish Kumar
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सुप्रभात शास्त्री जी ! संग्रहणीय सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स. आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति है
जवाब देंहटाएं