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शनिवार, अक्तूबर 14, 2017

"उलझे हुए सवालों में" (चर्चा अंक 2757)

मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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चर्चा मंच पर प्रतिदिन अद्यतन लिंकों की चर्चा होती है।
आश्चर्य तो तब होता है जब वो लोग भी चर्चा मंच पर 
अपनी उपस्थिति का आभास नहीं कराते है, 
जिनके लिंक हम लोग परिश्रम के साथ मंच पर लगाते हैं।
अतः आज के बाद ऐसे धुरन्धर लोगों के ब्लॉग का लिंक 
चर्चा मंच पर नहीं लगाया जायेगा।

प्यार की अजीब होती है दास्ताँ 

कुछ हुई उनकी बात
कुछ  हुई मुलाकात
और वे प्यार समझ बैठे
दिल देने की भूल कर  बैठे
कहते सुनते आए से जिसे
वे भी करने लगे प्यार
बस इसी प्यार की खातिर
आगे बढ़ते चले गए... 
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बालकहानी 

बालकुंज पर सुधाकल्प 
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ग़ज़ल -  

मौत के बाद सभी फ़र्ज़ निभाने आये 

यार जितने थे नए और पुराने आये ।  
मौत के बाद सभी फर्ज निभाने आये... 
तीखी कलम से पर Naveen Mani Tripathi  

4 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    आभार ..
    और फिर से
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चर्चा। चिट्ठाकारी तब तक सफल नहीं हो सकेगी जब तक लोग बस लिखेंगे और लिख कर छोड़ देंगे। चिट्ठे तभी जिन्दा रह पायेंगे जब चिट्ठाकार आयेंगे और जायेंगे।

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा चर्चा...मेरी रचना शामिल कार्ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, शास्त्री जी!

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर विविधतापूर्ण लिंक्स

    जवाब देंहटाएं

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