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शुक्रवार, जनवरी 03, 2020

"शब्द ऊर्जा हैं " (3569 )

स्नेहाभिवादन !
आदरणीय शास्त्री जी के आदेश और अनुजा अनीता जी के स्नेहिल अनुग्रह पर आज अतिथि चर्चाकार के रुप में सुश्री अनु लागुरी जी की अनुपस्थिति में 'चर्चामंच' पर आप सब का अभिनन्दन करती हूँ । आज की चर्चा का आरम्भ बाबा नागार्जुन की कविता "कालीदास' के कवितांश से जिसमें रचनाकर्मी की संवेदनशीलता दृष्टिगत होती है ।

"शिवजी की तीसरी आँख से
निकली हुई महाज्वाला में
घृत-मिश्रित सूखी समिधा-सम
कामदेव जब भस्म हो गया
रति का क्रंदन सुन आँसू से
तुमने ही तो दृग धोये थे
कालिदास! सच-सच बतलाना
रति रोयी या तुम रोये थे?"


महँगाई ने कर दिये, कीर्तिमान सब ध्वस्त।
निर्धन जनता के हुए, आज हौसले पस्त।।
--
पूरी दुनिया में चला, मन्दी का है दौर।
लेकिन अपने देश में, महँगाई का ठौर।।


कुछ बाकी है तो बोल दो,
दिल के दरवाजे खोल दो,

बाद में कुछ नहीं रह जाएगा,
पंछी पिंजरा से उड़ जाएगा।


दीवानी     मीरा हुई,  जबसे देखा श्याम ।
घड़ी घड़ी जपने लगी,  राधे राधे नाम ।।

कान्हा कान्हा सब कहें, कान्हा तो चित चोर
दिल मे उसके राधिका,जगह जगह यह शोर   ।।


शीतलहर को झेलते, बैठे सिगड़ी ताप।
ठंडी से दुविधा बड़ी,राग रहे आलाप।१।

सूरज रूठा सा लगे,बैठा बादल ओट।
शीतलहर के कोप से, पहने सबने कोट।२।


फहराता आँचल उड़े, मधु रस खेलो फाग
होली आई साजना,  आज सजाओ राग ,
आज सजाओ राग , कि नाचें सांझ सवेरा ,
बाजे चंग मृदंग ,खुशी मन झूमे मेरा ,
रास रचाए श्याम, गली घूमे लहराता
झुकी लाज सेआंख , पवन आँचल फहराता।।


आओ कोशिश करें....
अपनी समस्त मूढ़ताओं को
स्वीकारते हुए
चलो, कोशिश करे
ताकि कारगर साबित हों
प्रार्थनाएं


सांसों की फिसलती हुई ये डोर थामकर
बेताब दिल की धड़कनों का शोर थामकर
करता हूँ इन्तज़ार इसी आस में कि तुम
आओगी कभी तीरगी* में भोर थामकर

दिल-नशीं हर्फ़
सुनने को
बेताब हो दिल
कान को
सुनाई दें
ज़हर बुझे बदतरीन बोल
क़हर ढाते हाहाकारी हर्फ़


जीवन बढ़ चला
सांध्य बेला की ओर ...!
सूरज ने भी रक्तिम आभा बिखेर
स्वागत किया मेरा...!
यूँ  लगे कल ही तो
चलना शुरू किया था...!


बहारों के दिन तो दोस्तो कब के गुज़र गए
कच्चे रंग थे, पहली बारिश में ही उतर गए।

कोई तमन्ना नहीं अब नए ज़ख़्म खाने की
उन्हीं ज़ख़्मों की जलन बाक़ी है, जो भर गए ।

★★★★★

अब अनुमति दें 🙏
"मीना भारद्वाज"


15 टिप्‍पणियां:

  1. जी दी, कारण चाहे जो भी हो आपको चर्चाकार्य के रूप में पुनः देखकर अत्यंत हर्ष हुआ। आपने भूमिका के माध्यम से प्रश्न भी समसामयिक उछाला है।

    कालिदास! सच-सच बतलाना
    रति रोयी या तुम रोये थे?"

    मेरा मानना है कि एक सच्चा साहित्यकार वहीं है, जिसकी रचनाओं में ही नहींं , वरन् उसके आचरण में भी संवेदनाएँ हो, तभी उसका साहित्य मनुष्यत्व को जगा पाएगा।

    इन्हीं शब्दों के साथ सभी को प्रणाम।



    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीया मीना भारद्वाज जी!
    चर्चा मंच परिवार आपका स्वागत करता है।
    पहली ही चर्चा में आपने तो रंग जमा दिया।
    कुशल और सिद्धहस्त हैं आप।
    एक बार पुनः आपका अभिनन्दन करता हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय मीना दीदी जी आज आपको अतिथि चर्चाकार के रूप में चर्चामंच पर पाकर हार्दिक प्रसन्नता हुई. आपने बहुत सुंदर प्रस्तुति तैयार की है. चर्चामंच पर आपका तहेदिल से स्वागत है. चर्चामंच आपसे सदैव सहयोग एवं समर्थन की आकांक्षा रखता है.
    सभी को बधाई.
    दोहा लेखन में मेरे प्रथम प्रयास को इस पटल पर लाने के लिये सादर आभार आदरणीया दीदी.
    सादर सस्नेह

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत उम्दा
    बहुत ही सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय मीना दी, चर्चा मंच में आपका बहुत-बहुत स्वागत बहुत ही अच्छी प्रस्तुति बनाई है
    चयनित रचनाओं में आपकी पारखी नजर साफ झलक रही है.. मेरी रचना को भी मान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद... आज आपका स्नेह और साथ मिला इसकी में दिल से आभारी हूं... हमेशा साथ बनाए रखिएगा धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति मीना जी, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  7. शब्द सृजन के लिये मेरी रचना का लिंक -
    https://www.hindi-abhabharat.com.xn----ztd4gfj7aay8etcbep4p.com/2020/01/blog-post.html

    जवाब देंहटाएं
  8. बहारों के दिन तो दोस्तो कब के गुज़र गए
    कच्चे रंग थे, पहली बारिश में ही उतर गए।
    सुंदर रचनाओं के अंत मे यह पंक्ति अत्यंत ही सरलता से मन को सहला गई । संतोष कर लेना ही मानव नियति है।
    गहरे रंग अगर उतरते हैं तो बड़े ही दुखदाई होते हैं । जीवन जितना,सरल हो उतना अच्छा।

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  10. चर्चामंच पर आपका स्वागत है आदरणीया मीना जी। सारगर्भित भूमिका के साथ बेहतरीन रचनाओं का चयन करते हुए आपने आज एक सराहनीय प्रस्तुति तैयार की है। आपका सहयोग एवं समर्थन चर्चामंच को अपेक्षित है। इस अंक में चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    मेरी रचना को आज की सार्थक चर्चा में शामिल करने के लिये सादर आभार आदरणीया मीना जी।




    जवाब देंहटाएं
  11. चर्चा मंच पर अतिथि चर्चाकार के रूप में आप सबकी अमूल्य प्रतिक्रिया के रूप में मिला सम्मान मेरे लिए अविस्मरणीय है । आप सबका सादर आभार । आदरणीय शास्त्री जी एवं अनुजा अनीता जी का भी मैं आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने मुझे आप सब से रूबरू होने का अवसर दिया । सादर🙏

    जवाब देंहटाएं

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