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मंगलवार, जनवरी 14, 2020

"सरसेंगे फिर खेत" (चर्चा अंक - 3580)

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मित्रों !
लोहड़ी/मकर संक्रान्ति ने इस समय त्यौहारों-पर्वों का वातावरण बना दिया है। इसलिए आज पूरे देश में हर्ष और उल्लास का माहौल बन गया है। एक ओर जहाँ गुजरात में पतंगे आकाश में सुशोभित हो रहीं हैं वहीं उत्तर भारत में नदी-सरोवरों में लोग स्नान कर रहे हैं। अब बसन्त का आगमन होने ही वाला है। हम कलमकारों के लिए तो बसन्त का विशेष महत्व होता है, क्योंकि बसन्त-पञ्चमी माँ शारदे की पूजा-अर्चना और वन्दना का दिवस होता है।
समाज को सही दिशा देने का कार्य साहित्यकारों का होता है। इसलिए हम सभी का यह नैतिक कर्तव्य है कि हम लोग ऐसे साहित्य का सृजन करें जो समाज को जोड़नेवाला हो। इस समय देश में व्याप्त धरना-प्रदर्शन और असामाजिक गतिविधियों के विरुद्ध अपनी आवाज को मुखरित जरूर करें।
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चर्चा मंच पर प्रत्येक शनिवार को 
विषय विशेष पर आधारित चर्चा "शब्द-सृजन" के अन्तर्गत 
श्रीमती अनीता सैनी द्वारा प्रस्तुत की जायेगी। 
आगामी शनिवार का विषय होगा 
"पिपासा" 
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मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक। 
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सबसे पहले देखिए- 
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चली-चली रे पतंग मेरी चली रे .. 

...बनारस में था तो हम तीनों भाई-बहन गैस वाले गुब्बारे उड़ाते थें। पतंग उड़ाना नहीं सीख पाया, परंतु कटी पतंगों को    सहेज - संवार कर रखता था। ऐसी अनेक पतंग मेरे कमरे में टंगी रहती थीं। एक विशेष मोह था ,इनके प्रति मुझे। कभी - कभी तो अभिभावक नाराज भी हो जाते थें कि  मैं क्यों कमरे को कूड़ाघर बना रखा हूँ। पिता जी अध्यापक थें, अतः पतंग से उन्हें नाराजगी थी। छिपा कर मैं इन कटी पतंगों का रखा करता था। समझ में नहीं आता कि मैं किस राह पर चल पड़ा कि आसमान की ऊँचाई छूने से पूर्व ही कटी पंतग बन आ गिरा और मुझे किसी का सहारा( स्नेह)  न मिल पाया  ?
 न किसी का साथ है, न किसी का संग मेरी ज़िंदगी है क्या, इक कटी पतंग है ...
बस इस प्रश्न का उत्तर चाहता हूँ,अपनी किस्मत से। 

व्याकुल पथिक 
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तुम ऐसे क्यों हो 
जीवन की पाठशाला से
*******************
नज़रों में न हो दुनिया तेरी
हौसले को गिराते क्यों हो

यादों के दीये जलाओ मगर
रोशनी से  मुंह छिपाते क्यों हो... 


व्याकुल पथिक 
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निगहबान मांझा ...  

- चन्द पंक्तियाँ - (२१) -  

 बस यूँ ही ... 

(१)*
ठिकाना पाया इस दरवेश नेतुम्हारे ख़्यालों के परिवेश में ...
(२)*
माना ..घने कोहरे हैंफासले के बहुतदरमियां हमारे-तुम्हारे ...
है पर ..रोशनी हर पल'लैंप-पोस्ट' कीएहसास के तुम्हारे ... 


Subodh Sinha  
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मुझे याद है 

मुझे याद हैं
लोहड़ी की रातें

जब आग के चारों ओर

सुंदर मुंदरिये हो

के साथ गूंजते थे

खिलखिलाते मधुर स्वर... 
Smart Indian  
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ताशकंद यात्रा – ७  

तैमूर का समरकंद -२ 

तैमूर का मकबरा, ‘गुर ए अमीर’ देख कर हमारा काफिला रेगिस्तान स्क्वेयर की ओर चला ! गर्मी बहुत ज़बरदस्त थी ! गर्मी से राहत पाने के लिए कैप छाते जो साथ में लाये थे बस के लगेज केबिन में अटेची में बंद रखे थे ! हमने अपने गाइड से अनुरोध किया कि ड्राइवर से कह कर यह सामान वह निकलवा दे ! सबकी मन की मुराद पूरी हुई ! बस से सबने अपना अपना सामान निकाला ! कैप छातों से लैस होकर हम सब समरकंद का एक और प्रसिद्ध स्थान रेगिस्तान स्क्वेयर देखने के लिए चल पड़े... 
Sudhinama पर Sadhana Vaid  
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हिन्द नाम के सूरज को इस तरह नही ढलने देंगे 
अनकहे किस्से पर Amit Mishra 'मौन' -  
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युग के युवा 

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा  
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●अनंद छंद●  

●बेटियाँ पढ़ाइये बेटियाँ बचाइये●  

◆संजय कौशिक “विज्ञात”◆ 

अनंद छंद वार्णिक छंद है इसमें 14 वर्ण होते हैं लघु गुरु की क्रमानुसार 7 बार आवर्ति होती है। गण और मापनी के द्वारा इसे निम्न तरीके से समझा जा सकता है प्रति 2 पंक्तियों का तुकांत समनान्त लिखा जाता है 
गण:- [जगण, रगण, जगण, रगण + लघु गुरु]
 मापनी:-  {121 212 121 212 12}

करो प्रचार खूब बेटियाँ पढ़ाइये।
विचार नेक आज बेटियाँ बचाइये॥

जगे प्रभाव ज्ञान से समाज ये अभी।
मशाल थाम के चलो रुको नहीं कभी॥
सुझाव मानते हुऐ यहाँ बढ़ो सभी।
बनो प्रतीक तेज आज प्रेरणा तभी॥
स्वभाव से मुदा हिये सुता बसाइये ……. 

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मुक्तक : 947 -  

फ़र्ज़ 

अपने चुन-चुन दर्दो-ग़म दिल में दबाकर रख रहा ।।  
हँसते-हँसते वह , न बिलकुल मुँह बनाकर रख रहा ।।  
फ़र्ज़ , ज़िम्मेदारियों का वज़्न पर्वत से न कम ;  
अपने पूरे घर की , फूलों सा उठाकर रख रहा ।। 
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ग़ाफ़िल जी बादलों के भला पार कौन है 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल 
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कुछ सामयिक दोहे -  

स्मृतिशेष कवि कैलाश गौतम 

चाँद शरद का मुंह लगा ,भगा चिकोटी काट |  
घण्टों सहलाती रही ,नदी महेवा घाट |  
नदी किनारे इस तरह ,खुली पीठ से धूप | 
जैसे नाइन गोद में ,लिए सगुन का सूप | 
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नाराज़ समंदर 

एक नाराज़ समंदर मेरे अंदर रहता है,
न प्यास बुझाता है, न डूबने ही देता है,
न आँसुओं को बहने देता है,
न पलकों को सूखने ही देता है... 
Anjana Dayal de Prewitt (Gudia)  
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कौन बनेगा झूठों का सरदार 20-20 

सैयां झूठों का बड़ा सरताज निकला, चोर समझी थी मैं थानेदार निकला। वैसे तो अब यह गीत ओल्ड है पर ओल्ड इज गोल्ड है। आजकल झूठों का बड़ा सरदार कौन यह प्रतियोगिता जारी है और इस प्रतियोगिता में शामिल कई प्रतिस्पर्धी एक दूसरे को विजेता बनाने में लगे हुए है। हालांकि कुछ माह पहले तक झूठों के सरदार का सरताज कजरी बवाल को माना जाता था पर अचानक इस प्रतियोगिता में कई प्रतिस्पर्धी कूद पड़े और उनको पछाड़ दिया। 
नव वर्ष में नंबर वन झूठों का सरदार कौन इसका काउंटडाउन अभी चालू है । फिर भी लंबित पात्रा के द्वारा झूठों के सरदार का खिताब पप्पू कुमार को दे दिया गया है... 
चौथाखंभापरArun sathi  
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चरित्र-हत्या एक खेल ! 

जो भी है एक विश्वविख्यात साहित्यकार के चरित्र की  हत्या करना कहाँ तक जाएज़ है। बाबा नागार्जुन एक जन कवि थे जिन्हें आज तथाकथित साहित्यकारों द्वारा अपमानित किया जा रहा और उनका दोगला रबैया सामने आया है और मोहतरमा आज क्या बताना और दिखाना चाह रही हैं। इस तरह साहित्य में पैर पसारती घटिया राजनीति साहित्य को पतन के कग़ार पर खड़ा करती है। वामपंथ का अनुयायी होने के नाम पर इस तरह ज़लील करना कुछ लोगों की साहित्यिक  कुंठा मात्र हो सकती है... 
अवदत् अनीता पर Anita saini  
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25 टिप्‍पणियां:

  1. जी गुरुजी बहुत ही सुंदर एवं समसामयिक भूमिका है। निश्चित ही राष्ट्र के प्रबुद्धजनों का यह नैतिक दायित्व है कि अराजक तत्वों के षड़यंत्रों से आम जनता को अवगत कराए। दुर्भाग्य से कतिपय साहित्यकार ऐसे राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर समर्थन करने के स्थान पर विरोध में कुछ इसप्रकार मुखरित हो जा रहे हैं कि भोली जनता भी चुप्पी तोड़ उनके साथ हो ले रही है।
    पर्व-त्योहार के इस वातावरण में आपसी सद्भाव कायम रहे , हमें ऐसा प्रयत्न अपनी लेखनी से करना चाहिए।
    मेरी दो रचनाओं को मंच पर स्थान देने केलिए हृदय से आभार, सभी को प्रणाम।

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    उत्तर
    1. परम्परा के अनुसार बहुत से लोग 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व मानते हैं लेकिन कतिपय पंचांगों के अनुसार मकर राशि में भगवान सूर्य 14 जनवरी की शाम 7.53 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे लिहाजा दूसरे दिन 15 जनवरी को संक्रांति पर्व शास्त्रोचित है ।
      जबकि काशी के पंचांगों के अनुसार 15 जनवरी को प्रातः 8.24 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे इसलिए स्नान 8.24 के बाद बताया गया है
      इस दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद शिव मन्दिर में तिल शिवलिंग पर तिल चढ़ाना, तिल के तेल का दीपक जलाना, तिल का हवन लाभप्रद बताया गया है ।

      कतिपय पंचांगों के अनुसार पुण्यकाल-तीर्थनदियों में स्नान का पुण्यकाल प्रातः7.19 से सायं 5.40 तक है लेकिन महापुण्यकाल प्रातः 7.19 से पूर्वाह्न 9.03 तक है ।

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  2. आदरणीया अनीता जी के प्रयासों को नमन जिसने इस मंच में ऊर्जा का संचार कर दिया है।
    सभी को...
    मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  3. सच में पतंगबाजी देखने का आनंद ही कुछ और है |कभी पतंग उड़ाई तो नहीं पर उसकी कमेंट्री बहुत सुनी |
    बच्चे तो १५ दिन पहले से ही मांझा सूतने में व्यस्त हो जाते हैं |संक्रांति की शुभ कामनाएं |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |

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  4. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चामंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,आदरणीय शास्त्री जी।

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  5. मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं। मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद

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  6. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
    सबको मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  7. बहुत सुन्दर संयोजन सार्थक सूत्रों का ! मेरे यात्रा संस्मरण को इसमें सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! 'शब्द सृजन' के लिए रचना भेजने के नियमों के बारे में कृपया चर्चा में कुछ दिनों तक प्रति दिन उल्लेख कर दिया करें ताकि नए रचनाकार उसमें भाग ले सकें ! रचना का लिंक कहाँ देना है किसके पास भेजना है कृपया मार्गदर्शन करें ! सादर वन्दे !

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    उत्तर
    1. सादर नमन आदरणीया दीदी,
      'शब्द-सृजन' के दिये गये विषय / शब्द पर आधारित निताँत मौलिक रचना चाहे तात्कालिक रूप से सृजित की गयी हो अथवा पहले सृजित की जा चुकी हो, रचनाकार उसका लिंक सोमवार से शुक्रवार (शाम 5 बजे तक ) की किसी भी प्रस्तुति के कॉमेंट बॉक्स में प्रकाशित कर सकते हैं। चर्चामंच की शनिवारीय प्रस्तुति में प्राप्त रचनाओं को प्रकाशित किया जाता है।

      'शब्द-सृजन' का विषय सोमवारीय प्रस्तुति में दिया जाता है।


      हटाएं
  8. बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय. सभी रचनाएँ बेहतरीन. मेरी रचना को स्थान देने के लिये. बहुत बहुत आभार आपका.
    सादर

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  9. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई

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  10. मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ. भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार आज से सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है अर्थात सर्दी का कम होना संभावित होता है.
    आदरणीय शास्त्री जी ने सारगर्भित भूमिका के साथ समकालीन चिंतन पर आधारित बेहतरीनरचनाओं का चयन किया है आज की शानदार प्रस्तुति में.
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
    आज से

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  11. शानदार चर्चा मंच सभी रचनाएं बेहद उम्दा एवं पठनीय....
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

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  12. बेहतरीन चर्चा अंक ,आप सभी को मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं

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  13. बहुत उम्दा प्रस्तुति । मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  14. 🙏 मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  15. मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।

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  16. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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