सादर अभिवादन।
रविवासरीय प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है।
शब्द-सृजन का विषय दिया गया था-
पावस ऋतु
ऋतुओं का चक्र जनजीवन को प्रभावित करता है। शीत, ग्रीष्म के बाद पावस (वर्षा ) ऋतु का आना जहाँ एक ओर आनन्ददाई है वहीं इसकी भयावहता बाढ़ या सूखा के रूप में आमजन के जीवन पर असर डालती है।इस ऋतु के त्योहार और विशिष्ट गीत-संगीत हमारी संस्कृति की पहचान हैं।
आइए पढ़ते हैं पावस ऋतु पर सृजित आपकी की कुछ चुनिंदा रचनाएँ-
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सामाजिक मूल्य-अवसरवादी मूल्यविहीन अमूल्य
सभी वक़्त की कसौटी पर
अपनी-अपनी परीक्षा दे रहे हैं
फ़िलहाल
पावस ऋतु में
साफ़ हवा में
आशंकित
हम
सांस ले रहे हैं।
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पावस में इस बार
गाँवों में बहार आयी
बंझर थे जो खेत वर्षों से
फिर से फसलें लहरायी
हल जो सड़ते थे कोने में
वर्षों बाद मिले खेतों से
बैल आलसी बैठे थे जो
भोर घसाए हल जोतों से
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लो, पावस ऋतु आ गई
श्याम नभ पर छाई
वो काली बदरी आ गई
पंख फैलाकर मयुर नाचे
घन-घन बादल गाजें
कोयल की मधुर आवाज आई
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प्रियतम का संदेश ले, आया श्वेत कपोत ।
"वर्षा" होगी नेह की, जागी मन में जोत ।।
"वर्षा" की ऋतु आ गई, बरसन लागे मेह ।
धरती हरियाने लगी, भीगी सूखी देह।।
गीतों में फिर ढाल कर, कहना मन की बात।
रिमझिम का संगीत है, "वर्षा" के दिन- रात ।।
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पावस ऋतु पर कुछ दोहे / गोविन्द हाँकला
ओ ! पगले सुन साजना,समझ देह संदेश ।
चार दिनो का पाहुना, यौवन रहे विशेष ।।
सजनी को बदली किया, लगता चुप के फोन ।
अंग अब वाइब्रेट पे, बजी काम रिन्गटोन ।।
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पावस में ऐसे मदन,अकुलाता है प्राण
इंद्रधनुष पर साधता,है बूँदों के बाण.
इत पानी का बुलबुला,उत पानी की बूँद
पानी पानी हो गये,दोनों आँखें मूँद.
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मेघदूत का आगमन,
सुखद लगे संसार।
कोयल कूके डाल पर ,
शीतल पवन फुहार।।
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पावस ऋतु की कामना,
धरा अंबर नीर।
मन मयूर नाचन लगे ,
मिटे जग की पीर।।
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बरसा ऐसी हो प्रभू, भर दे ताल तलाई।
खेतन कूँ पानी मिले, देवें राम दुहाई।।।।
पावस जल संग्रह करौ, 'आकुल' कहवै भैया।
धरती सोना उगले और देस हो सौन चिरैया।।
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पावस :
तपन बढ़े जब ग्रीष्म से , आए *पावस* झूम।
पशु पक्षी तब नाचते, मचे खुशी से धूम।।
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क्यों दादुर तू स्वारथी. पावस में टर्राय।
गरमा-सरदी का करे, तब क्यूँ ना बर्राय।।
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आज का सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे
आगामी अंक में🙏
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-अनीता सैनी
शब्द सृजन पावस पर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चिकों का चयन किया है आपने
अनीता सैनी जी।
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बहुत बहुत आभार आपका।
दिलचस्प....
जवाब देंहटाएंवर्षा की चर्चा आनंदित कर गई
🌺☘🌺☘🌺
मेरे दोहे शामिल करने के लिए हार्दिक आभार 🌺🙏🌺☘
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा संग्रह
जवाब देंहटाएंपावस की मनभावन रचना प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमनमोहक प्रस्तुति । सभी चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंपावस ऋतु पर बहुत ही सुन्दर रचनाओं के साथ शानदार प्रस्तुति चर्चा मंच की....मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी !
जवाब देंहटाएंपावस ऋतु पर बहुत अच्छी प्रस्तुति ~
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के इस अंक के माध्यम से पावस ऋतु पर एक से बढ़कर एक रचनाएं पढ़ने को मिली ।सभी रचनाकार साथियों को साधुवाद ,हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका, सुंदर लिंक चयन सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंपूर्ण संकलन सराहनीय , लिंक चयन करने में की गई मेहनत साफ दिख रही है साधुवाद।
मेरे पावस को जगह देने के लिए हृदय तल से आभार।
बहुत ही सुंदर शब्द-सृजन का ये अंक अनीता जी,मनभावन रचनाएँ जैसे रिमझिम फुहार,समय आभाव के कारण कल आ नहीं पाई,देर से आने की माफ़ी चाहती हूँ। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई
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