स्नेहिल अभिवादन।
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
आज की चर्चा का शुभारम्भ करते हैं " महामृत्युंजय मंत्र:" के साथ
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
और "महाकाल" से प्रार्थना करते हैं---
"हे महादेव,हे महाकाल हमें सद्ज्ञान और सद्बुद्धि दे ताकि इस "काल की बेला"
में हम सभी सदमार्ग पर चल सकें--- अपने परिवार,समाज
देश और खुद की भी संरक्षण करने में सहायक बन सकें"
आस्था और विश्वास में वो शक्ति है जो "रेत में भी घरोंदे"को गिरने नहीं देती
इसी विश्वास के साथ की ये "काल की बेला" भी जल्द ही गुजर जायेगी---
चलते हैं,आज की रचनाओं की ओर.....
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गीत "रेत में घरौंदे"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सज रहे हैं ख्वाब,
जैसे हों घरौंदे रेत में।
बाढ़-बारिश हवा को पा,
बदल जाते रेत में।।
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धूप-सी दर्द भरी एक रेखा
अनीता सैनी - गूँगी गुड़िया
बहुत देर अपलक हम ख़ामोशी से
देखा करे एकटक उनके जीवन को।
कंकड़-पत्थर कह उन्हें फिर धीरे से कहे
हाँ,लिख दी है जेठ में बरसती धूप को।
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पी.सी.गोदियाल- "परचेत" -
अपने दुःख में उतने नहीं डूबे नजर आते हैं लोग,
दूसरों के सुख से जितने, ऊबे नजर आते हैं लोग।
हर गली-मुहल्ले की अलग सी होती है आबोहवा,
एक ही कूचे में कई-कई, सूबे नजर आते हैं लोग।
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एकाकी
यूँ संग हमारे,
चल रे मन, चल, फिर एकाकी वहीं चल!
अनर्गल, बिखर जाए न पल,
चल, थाम ले, सितारों सा आँचल,
नैनों में, चल उतारे,
वो ही नजारे,
जीत लें, पल जो हारे!
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कोरोना की दहशत
संक्रमित लोगों से ही नहीं भयवश इनके स्वस्थ परिजनों से भी सामाजिक
दूरी और बढ़ती जा रही है।कोरोना संक्रमित एक महिला चिकित्सक
ने अपना दर्द कुछ इस तरह से बयां किया है
-"क्या हमारे बच्चों को दूध के लिए भी तरसना पड़ेगा।
हमने ऐसा क्या पाप किया है ?"
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सावन का महीना
( लघु कथा )
सुजाता प्रिया -अपराजिता
राखी ने उपरोक्त सभी बातों को दादाजी के समक्ष रखते हुए बोली-
इन्हीं कारणों से तो लोग हिन्दु धर्म को ढकोसला कहते हैं।
दादाजी उसे अपने पास बैठाकर प्यार से समझाते हुए बोले-
दादाजी उसे अपने पास बैठाकर प्यार से समझाते हुए बोले-
सावन मास बड़ा ही पावन मास है।इस महीने में व्रत- त्योहार का केवल
धार्मिक महत्व ही नहीं अपितु वैज्ञानिक महत्व भी है।शिवलिंग पर दूध
और जल के अभिषेक करने से वातावरण को शीतलता प्रदान होती है।
भांग-धतुरे, आक - विल्वपत्र इत्यादि कीटाणु रोधक होते हैं।
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ब्रजेन्द्रनाथ-marmagya
उन्हें संयोजित किया,
संदर्भानुसार समायोजित किया,
जुबान की जुम्बिश से,
शब्दों के दीपक में
जलाई बातों की वर्तिका,
बोला "मुख पट्टिका'।
संदर्भानुसार समायोजित किया,
जुबान की जुम्बिश से,
शब्दों के दीपक में
जलाई बातों की वर्तिका,
बोला "मुख पट्टिका'।
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चक्रव्यूह-सा भेद गहरा
बीच जीवन डोलता है।
राह से कंटक मिटे सब
भाव मनके बोलता है।
मुस्कुराएँ लोग फिर से
तोड़ ये कमजोर धागे।
मौन हुए इन रास्तों पे
बिखरते सपने अभागे।
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MANOJ KAYAL RAAGDEVRAN
उकेरे थे दरख़्तों पर कभी जो पल l
टटोल रही आँखे वो सोए हुए पल ll
इस पल में शामिल मिल जाए वो पल l
जिस पल इंतज़ार लिखी यह ग़ज़ल ll
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MANOJ KAYAL RAAGDEVRAN
उकेरे थे दरख़्तों पर कभी जो पल l
टटोल रही आँखे वो सोए हुए पल ll
इस पल में शामिल मिल जाए वो पल l
जिस पल इंतज़ार लिखी यह ग़ज़ल ll
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टटोल रही आँखे वो सोए हुए पल ll
इस पल में शामिल मिल जाए वो पल l
जिस पल इंतज़ार लिखी यह ग़ज़ल ll
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हम भी शामिल रहें उनके तमाम अपराधों में
Nityanand gayen -मेरी संवेदना
कोई न कोई बहाना खोज लिया
उन्होंने इंसानों को गुलाम बनाया
और उसे व्यापार कहा
हम भी शामिल रहें उनके तमाम अपराधों में
हम ख़ामोशी से देखते रहे
सहते रहे सब कुछ
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स्टेशन; आधे पर भाई, आधे पर भाऊ
गगन शर्मा- कुछ अलग सा
यह तो अच्छा है कि स्टेशनों का रख-रखाव भी रेलवे के ही
जिम्मे है, नहीं तो पता नहीं आपसी लड़ाई में राजनीती
ऐसी धरोहरों का क्या हाल कर के धर देती !
आधे में रौशनी होती, आधे में अंधकार !
आधा रंग-रोगन से चमकता, तो आधा बेरंगत फटे हाल !
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आलेख "डिप्रेशन क्यों होता है?"
(गरिमा पन्त)
डिप्रेशन क्यों होता है? यह बहुत ही विचारणीय प्रश्न है।
जब कोई दुखों में डूब जाता है,
सारी दुनिया उसे काली लगने लगती है,
तब व्यक्ति को कुछ भी अच्छा नहीं लगता है।
अवसाद का अर्थ मनोभावों से सम्बन्धी दुःख से होता है।
अधिकतर यह देखा गया की जो प्रेम में ज्यादा डूबा है,
और उसे उसका प्रेम नहीं मिला है,
तो वह अवसाद में डूब जाता है। अवसाद की अवस्था
में व्यक्ति स्वयं को लाचार समझता है,
प्रेम ही नहीं वरन आज की परिस्थियों को देखते हुए
बहुत सारे कारण अवसाद के होते है...
सोशल साइट्स पर गुजरात की महिला सिपाही सुनीता यादव का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है।
जिसमें वो अपने अधिकारी से एक मंत्री के लड़के की उदंडता की शिकायत निडरता से कर रही है।
वह भी मातृभाषा में। इसे ना समझने वाले भी वीडियो को बेहद चाव से शेयर कर रहे हैं।
देख, सुन रहे हैं। शायद मातृभाषा की यहीं ताकत होती है।
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शब्द-सृजन-30 का विषय है-
प्रार्थना /आराधना
आप इस विषय पर अपनी रचना
(किसी भी विधा में) आगामी शनिवार
(सायं-5 बजे) तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म
(Contact Form ) के ज़रिये हमें भेज सकते हैं।
चयनित रचनाएँ आगामी रविवारीय अंक में प्रकाशित की जाएँगीं।
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आज का सफर यही तक
आप सभी स्वस्थ रहें ,सुरक्षित रहें।
कामिनी सिन्हा
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कामिनी सिन्हा
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प्रार्थना, आस्था एवं विश्वास को समेटे हुये बहुत सुंदर भूमिका कामिनी जी , मन प्रसन्न हो गया। सत्य यही है कि इस संक्रमित युग में जब हर लौकिक संबंध स्वार्थ के तराजू पर तोले जा रहे हो, परिजन और मित्र पलक झपकते ही पराए हो जा रहे हो। ऐसे में ईश्वर से संबंध स्थापित करना ही श्रेष्ठ है।क्यों कि यहाँ वियोग नहीं है। यहाँ पात्रता की भी आवश्यकता नहीं, सिर्फ़ विश्वास करें और फ़िर देखें कि निराशांधकार के मध्य प्रकाश की एक किरण दिखेगी, जो हमारा पथ-प्रदर्शक करेगी। प्रार्थना पश्चाताप के आँसुओं को पवित्र गंगा जल में परिवर्तित कर हमारे सारे विकार नष्ट कर देती है। मिथ्याभिमान और स्वार्थ से हमें मुक्त कर देती है।
जवाब देंहटाएंमेरे लेख कोराना की दहशत को मंच पर स्थान देने के लिए आपका आभार।
"ऐसे में ईश्वर से संबंध स्थापित करना ही श्रेष्ठ है।क्यों कि यहाँ वियोग नहीं है। यहाँ पात्रता की भी आवश्यकता नहीं"बहुत ही अच्छी बात कही आपने ,सहृदय धन्यवाद शशि जी,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद नितीश जी,सादर नमस्कार
हटाएंमहाकाल की महिमा के साथ सुन्दर भूमिका और
जवाब देंहटाएंअद्यतन लिंकों के साथ बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति।
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आपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।
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सभी पाठकों को मंगलप्रभात।
सहृदय धन्यवाद सर,सादर नमस्कार
हटाएंशानदार चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद भारती जी,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत ही सुंदर भूमिका के साथ सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय कामिनी दीदी आपके द्वारा.मेरी रचना को स्थान देने हेतु सादर आभार.सभी रचनाकरो को हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद अनीता जी,स्नेह
हटाएंमहामृत्युंजय मंत्र और महादेव की प्रार्थना.. बहुत सुन्दर भूमिका कामिनी जी । सभी लिंक्स लाजवाब । चयनित रचनाकारों और बहुत सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद मीना जी, सादर नमस्कार
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद अनुराधा जी, सादर नमस्कार
हटाएंबहुत सुंदर लिंक्स कामिनी जी सभी रचनाएं बहुत अच्छी
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर, सादर नमस्कार
हटाएंइस शानदार चर्चा प्रस्तुति मे मुझे शामिल करने हेतु तहेदिल से आपका आभार, कामिनी जी।🙏
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर, सादर नमस्कार
हटाएंसहृदय धन्यवाद सर,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं