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शनिवार, जुलाई 04, 2020

'नेह के स्रोत सूखे हुए हैं सभी'(चर्चा अंक-3752)

स्नेहिल अभिवादन। 
शनिवारीय प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत है 
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भारत-चीन की सरहद पर तनाव बरक़रार है। 
इस बीच प्रधानमंत्री का लद्दाख क्षेत्र का दौरा निस्संदेह सैनिकों का मनोबल बढ़ाने वाला है। 
देश में इस वक़्त किसी प्रकार का युद्धोन्माद विकसित करना ग़ैर-ज़रूरी है। 
 दो देशों के बीच बढ़ते टकराव का एकमात्र विकल्प युद्ध तो नहीं है। 
भारतीय सेना लड़ने में अव्वल रही है। सैन्य-हथियार क्षमता के लिए मित्र देशों पर निर्भरता हमारी कमज़ोरी है। दुनिया की अर्थ-व्यवस्था हथियार उद्योग से बड़े पैमाने पर प्रभावित है। 
 हमें सैन्य क्षमता में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनना होगा तभी चीन जैसे पड़ोसी देश हमारी बात सुनने को विवश होंगे। सरकार अपने स्तर पर इस समस्या को हल करने में जुटी हुई है तब हम सभी देशवासियों को एकता के सूत्र में बँधकर एकता का संदेश देना ज़रूरी है।  
-अनीता सैनी 
आइए पढ़ते है मेरी पसंद की रचनाओं के कुछ लिंक। 
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गीत  
"प्रीत का व्याकरण" 
 (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

उच्चारण 
--
हमारी दादी !  
ऐसे होते थे स्वतंत्रता सेनानी 

कभी-कभी साक्षात अपने साथ हो 
चुकी उन सब बातों पर आश्चर्य भी होता है,
 कि क्या सचमुच ऐसे लोग हुए थे ! 
पर हुए थे तबही तो देश आजादी पा सका ! 
आज समय बहुत बदल गया है ! उस समय के लोग बहुत कम बचे हैं !
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वह कहीं भी हो सकती है
गिर सकती है
बिखर सकती है
लेकिन वह ख़ुद शामिल होगी सब में
ग़लतियाँ भी ख़ुद ही करेगी
सब कुछ देखेगी
शुरू से अंत तक
अपना अंत भी देखती हुई जायेगी
किसी दूसरे की मृत्यु नहीं मरेगी
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बच्चो को बच्चा ही रहने दो 
हर एक बच्चा होनहार था, 
कविताओं का अर्थ उन्हें शायद ही समझा हो लेकिन
 कवितायें सबकी जोरदार थी। 
कोई हरिवंश राय बच्चन को पढ़ रहा है, 
कोई निराला को पढ़ रहा है 
तो कोई रामधारी सिंह 'दिनकर' को ललकार रहा है।
 बच्चों की उम्र पांच से नौं साल रही होगी।
 कक्षा पहली से लेकर चौथी तक के बच्चे थे सारे।
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मिट्टी के गुट्टे
बोल मेरी मछली
कितना पानी
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शादी का खेल
गुड़िया की अम्माँ मैं
घर की रानी
--
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' जी द्वारा  
'लम्हों का सफ़र' की समीक्षा 

जीवन एक यज्ञ है,
 जिसमें न जाने कितने भावों की आहुति दी जाती है।
 मन के अभावों को दूर करने के लिए 
न जाने कितने प्रयासों की समिधा जीवन
 के यज्ञ-कुण्ड में होम की जाती है। 
जीवन-ज्योति को उद्भासित करने के लिए हृदय का कोमल और
 अनुभूतिपरक होना बहुत टीस पहुँचाता है। 
पता नहीं कब 
कौन-सी बात फाँस बनकर चुभ जाए और करकने लगे।
तीन धारियाँ पीठ पर, तेरी चपल निगाह।
मुश्किल होता समझना, तेरे मन की थाह।।
2-
लम्बी तेरी पूंछ है, गिल्लू तेरा नाम।
जीवन बस दो साल का, दिन भर करती काम।।
--

अभी-अभी स्कूल से आयी है,
 बोलने व सुनने में असमर्थ इन बच्चों को भाषा ज्ञान देना
अपने आप में एक नवीन अनुभव है. उन्हें अक्षर ज्ञान हो गया है
पर शब्दों का निर्माण कैसे होता है और उनका अर्थ क्या है , 
यही समझाना है. जब वे एक शब्द गढ़ लेते हैं तो बहुत खुश होते हैं.
--
दूर रहकर करो काम
दूर रहकर न करो काम घर आ जाओ हो रहे हो 
क्यूँ तुम उदास घर आ जाओ एक मुद्दत से तमन्ना थी 
तुमसे मिलने की पकड़ो महाराजा जहाज़  घर आ जाओ
 --
बचपन के दिन
था रिक्त ह्रदय 
मन तृप्त मगन 
जीवन आनंद से था भरा 
कोई गम नहीं 
कुछ कम् नहीं 
सारा जहाँ अपना सा था 
मन में न कोई भेद था 
--

ज्यादा दूर नहीं है मंदिर से लेकिन रास्ता घूम घाम के था इसलिए पैदल का मोह छोड़ दिया
 और ऑटो पकड़ के महल के बिलकुल सामने पहुँच गए। 
पहली नजर में ही समझ में आ गया कि इस महल को इसके ही हाल पर छोड़ दिया गया है।
 अंदर एक कर्मचारी टिकट फाड़ रहा है और टिकट काउंटर के नाम पर बस एक कुर्सी मेज पड़े हैं।
--
शब्द-सृजन-28 का विषय है-
सरहद /सीमा   
आप इस विषय पर अपनी रचना 
(किसी भी विधा में) आगामी शनिवार (सायं 5 बजे) 
 तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form ) 
के ज़रिये हमें भेज सकते हैं 
 -- 
आज सफ़र यहीं  तक
 कल फिर मिलेंगे।
-अनीता सैनी
-- 


9 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक भूमिका के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार अनीता सैनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सार्थक प्रस्तुति अनीता जी। सभी चुनिंदा रचनाकारों को शुभकामनाए

    जवाब देंहटाएं
  3. "देश में इस वक़्त किसी प्रकार का युद्धोन्माद विकसित करना ग़ैर-ज़रूरी है।
    दो देशों के बीच बढ़ते टकराव का एकमात्र विकल्प युद्ध तो नहीं है। "
    बिलकुल सही कहा आपने ,एक विचारणीय भूमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति प्रिय अनीता,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार

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  4. बहुत सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को आज की चर्चा में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  5. सम सामयिक विषय पर भूमिका के साथ सुंदर सूत्रों की खबर देती चर्चा, आभार मुझे भी इसका हिस्सा बनाने हेतु !

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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