स्नेहिल अभिवादन।
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
"शिव" एक पूर्ण शब्द
शिव शब्द का अर्थ है "कल्याण"
शिव की उपासना का भाव -"हमारा सुख कहाँ है ?"
में नहीं है,वरन
हमारा कल्याण कहाँ है?
में निहित है।
"विश्व-कल्याण" को देखने की अगर हमारी दृष्टि पैदा हो जाए,
तो यह कह सकते हैं कि--
हमने "भगवान शिव" के नाम का अर्थ जान लिया...
और उनकी उपासना के मर्म को पहचान लिया...
शिव को नमन करते हुए चलते हैं, आज की रचनाओं की ओर...
(शीर्षक-रोली अभिलाषा जी की रचना से)
शिव शब्द का अर्थ है "कल्याण"
शिव की उपासना का भाव -"हमारा सुख कहाँ है ?"
में नहीं है,वरन
हमारा कल्याण कहाँ है?
में निहित है।
"विश्व-कल्याण" को देखने की अगर हमारी दृष्टि पैदा हो जाए,
तो यह कह सकते हैं कि--
हमने "भगवान शिव" के नाम का अर्थ जान लिया...
और उनकी उपासना के मर्म को पहचान लिया...
शिव को नमन करते हुए चलते हैं, आज की रचनाओं की ओर...
(शीर्षक-रोली अभिलाषा जी की रचना से)
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ग़ज़ल "बताता जमा-खर्च, खाता-बही है"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
ये भी सही और वो भी सही है
हारे का हथियार केवल यही है।
लबों ने सहारा लिया है कहन में
कहावत के जरिये ही बातें कही है
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लाचारी
तेज़ रफ़्तार से दौड़ती हुई आई जल्दबाज़ी। वह अपनी ही धुन में थी।
एक ही पल में सड़क पर पसरा गंदा पानी लाचारी के
कवर पर पत्थर की चोट-सा लगा और वह सहम गई।
तभी एक छोटी बच्ची ने मुँह उस कवर से बाहर निकला।
अगले ही पल फिर वह कवर में छिप गई।
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ताना - बाना - मेरी नज़र से - 6
रास्ते मुड़ सकते हैं
हौसले नहीं
वादे टूट सकते हैं
हम तुम नहीं ....
कोई ना थी मंजिल
न था कारवां
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हमको पढ़ते हैं कई लोग सुर्ख़ियों जैसे
ज़िन्दगी में हैं कई लोग आग हों जैसे
हर अँधेरे में सुलगते हैं जुगनुओं जैसे
सोच लेता हूँ कई बार बादलों जैसे
भीग लेने दूं किसी छत को बारिशों जैसे
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खरे लोग
लगभग साल डेढ़ साल पहले की बात है,
मैंने इंस्टा पर एक नया अकाउंट बनाया था ।
मैंने इंस्टा पर एक नया अकाउंट बनाया था ।
आत्मविश्वासी महिलाओं , क्रियेटिव ज्वैलरी और हैंडलूम साड़ीयों को
यहाँ मैं फॉलो किया करती थी।
रोज कुछ नया तलाशती रहती थी।
ऐसे में एक दिन स्क्रॉल करते हुए नजरे ठहर गयी.
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साधना कला है
और प्रेम उन सभी कलाओं को
खुद में आत्मसात करने का
सबसे बड़ा गुण है
जो सारे अवगुणों पर अंकुश
लगाने में सिध्दहस्त है !!!!
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जीवन मिला था फूल सा
सुख कामना के पाश में
जकड़ा रहा दिन-रात मन,
जो था सदा जो है सदा
होता नहीं उससे मिलन !
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अनाज उगाने की जिम्मेदारी है
कारखाना चलाने की जिम्मेदारी है
सेवा करने की लाचारी है
सब आम आदमी के लिए है .
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शब्द ही शिव हैं
कभी प्रेम के रचे जाते हैं
कभी उद्वेग
तो कभी अंत के.
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हनुमान है कलियुग में है सिद्ध होने लगा है इसीलिये उसके किये
पर खुद सोच कर लोग व्यवधान ,नहीं डालते
फिर से दिखाई देने लगा है
बिना सोये
दिन के तारों के साथ
आक्स्फोर्ड कैम्ब्रिज मैसाच्यूट्स बनता हुआ
एक पुराना खण्डहर तीसरी बार
बिना सोये
दिन के तारों के साथ
आक्स्फोर्ड कैम्ब्रिज मैसाच्यूट्स बनता हुआ
एक पुराना खण्डहर तीसरी बार
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दूध भी जहर जैसा हो सकता हैं...जानिए
'पावस ऋतु'
आप इस विषय पर अपनी रचना
(किसी भी विधा में) आगामी शनिवार(सायं 5 बजे) तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर
संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form ) के ज़रिये हमें भेज सकते हैं।
चयनित रचनाएँ आगामी रविवारीय अंक में प्रकाशित की जाएँगीं।
दूध भी जहर जैसा हो सकता हैं...जानिए
• दूध कब नहीं पीना चाहिए?
दूध कब पीना चाहिए यह देखने से पहले हमें यह जानना जरुरी है
कि दूध कब नहीं पीना चाहिए।
खाने खाने के तुरंत बाद दूध नहीं पीना चाहिए क्योंकि दूध अपनेआप में
संपूर्ण आहार होने से खाना खाने के तुरंत बाद दूध पीना मतलब दोबारा
भोजन करने जैसा होगा।
--
शब्द-सृजन-31 का विषय है-कि दूध कब नहीं पीना चाहिए।
खाने खाने के तुरंत बाद दूध नहीं पीना चाहिए क्योंकि दूध अपनेआप में
संपूर्ण आहार होने से खाना खाने के तुरंत बाद दूध पीना मतलब दोबारा
भोजन करने जैसा होगा।
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'पावस ऋतु'
आप इस विषय पर अपनी रचना
(किसी भी विधा में) आगामी शनिवार(सायं 5 बजे) तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर
संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form ) के ज़रिये हमें भेज सकते हैं।
चयनित रचनाएँ आगामी रविवारीय अंक में प्रकाशित की जाएँगीं।
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आज का सफर यही तक
आप सभी स्वस्थ रहें ,सुरक्षित रहें।
कामिनी सिन्हा
बहुत ही सुंदर भूमिका और बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आदरणीय कामिनी दीदी के द्वारा.मेरी रचना को स्थान देने हेतु सादर आभार दी.सभी रचनाकरो को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद अनीता जी
हटाएंआभार कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर,सादर नमस्कार
हटाएंसुन्दर भूमिका के साथ सन्तुलित चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।
सहृदय धन्यवाद सर,सादर नमस्कार
हटाएंशिव उपासना का मर्म समझाती हुई सार्थक भूमिका और पठनीय सूत्रों की खबर देती प्रस्तुति ! आभार !
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद अनीता जी,सादर नमस्कार
हटाएंकामिनी दी, कामिनी दी, मेरा ई-मेल सबस्क्रिब्शन जिन लोगों ने ले रखा है उनको बराबर ई-मेल प्राप्त हो रहा है। जैसे मेरे बेटे ने ही ले रखा है उसको बराबर ई-मेल प्राप्त हो रहे है। शायद गलती से आपके ई-मेल में वो स्पैम में जा रहे होंगे...कृपया चेक करिएगा।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।
सहृदय धन्यवाद ज्योति जी,मैंने ई-मेल चेक किया स्पैम में भी नहीं है। खैर कोई बात नहीं हम fb से आपका पोष्ट ले लेगे,आपका लेख तो बहुत उपयोगी होता है। सादर नमस्कार
हटाएंसुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति कामिनी जी एक प्रभावी भूमिका के साथ । सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद मीना जी,सादर नमस्कार
हटाएंसुन्दर और बेहतरीन लिंक कामिनी जी सभी रचनाकारों को शुभकामनाए
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद सर,सादर नमस्कार
हटाएंसुंदर विस्तृत चर्चा ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी गज़ल को जगह दे ए में लिए .।।
सहृदय धन्यवाद दिगंबर जी,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद कविता जी,सादर नमस्कार
हटाएंप्रस्तुति को शिवमय करती भूमिका..
जवाब देंहटाएंअध्यात्मविद् कहते हैं कि श्रावण मास के
पाँँच सोमवार को पंचाक्षरी मंत्र की तरह लेने को कहा । *- 'ऊँ नमः शिवाय'- इस मंत्र में प्रथम अक्षर *न* बोले नम्र बनने के लिए जबकि *म* मृदुता का भाव बनाने के लिए । *शि*- शिष्टाचार, *वा*- वासना-मुक्ति, *य* यज्ञ यानी विकारों की आहुति देते रहने का बोध कराता है। यानी प्रत्येक अक्षर के भाव को यदि एक-एक सोमवार साध लिया जाए तो सिद्धि स्वयमेव मिल जाएगी।
सहृदय धन्यवाद शशि जी,शिव की इतनी विस्तृत व्याख्या की आपने,बहुत अच्छा लगा ,सादर नमस्कार
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