सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
करोना अब हो गया
दुनिया का संगी-साथी,
आँख,नाक,मुँह ढको
मास्क है सच्चा सारथी।
-रवीन्द्र
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शब्द-सृजन-31 का विषय है-
'पावस ऋतु'
आप इस विषय पर अपनी रचना
(किसी भी विधा में) आगामी शनिवार(सायं 5 बजे) तक चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form ) के ज़रिये
हमें भेज सकते हैं।
चयनित रचनाएँ आगामी रविवारीय अंक में प्रकाशित की जाएँगीं।
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आइए पढ़ते हैं मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ-
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कोरोना के रोग ने, छीन लिया आनन्द।
काँवड़ लाने के हुए, पथ सारे ही बन्द।।
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नर-नारी सब मानते, मन से जिन्हें सुरेश।
विध्न विनाशक के पिता, जय हो देव महेश।।
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कोरोना ने कर दिया, काँवड़ का व्यतिरेक।
कैसे गंगा नीर से, शिव का हो अभिषेक।।
*****
जरूरी नहीं है
उत्तर मिलेंं नक्कारखाने की दीवारों से
जरूरी प्रश्नों के
कुछ उत्तर कभी
अपने भी बना कर भीड़ में फैलाओ
लिखना कहाँ से कहाँ पहुँच जाता है
नजर रखा करो लिखे पर
*****
समीक्षा (ताना- बाना)
रश्मिप्रभा भाग 4
"कहो पांचाली !
अश्वत्थामा को
क्यों क्षमा किया तुमने?"
"(नदी)
क्यूँ बहती हो ?
कहाँ से आती हो,
कहाँ जाती हो?"
*****
ये पल न मिलेंगे दुबारा
निशा बेटा चलो घर के अंदर, चारों ओर पानी तेजी से बढ़ रहा है!डेम ओवर फ्लो हो रहें हैं इसलिए उनके गेट खुलने वाले हैं! पापा की आवाज को अनसुनी करती सात साल की निशा पानी में कभी लकड़ी तो कभी कुछ बहाकर खुश हो रही थी।
*****
तुम्हारे जन्मदिन पर
मैं बाँधना चाहती हूँ तुम्हारी
नाजुक उम्र की सपनीली
ओढ़नी में...
अंधेरे के कोर पर
मुस्काती भोर की सुनहरी
किरणों का गुच्छा,
सुवासित हवाओं का झकोरा,
कुछ खूशबू से भरे फूलों के बाग
नभ का सबसे सुरक्षित टुकड़ा,
बादलों एवं सघन पेड़ों की छाँव,
*****
छल
प्रेम ने रोटी के बीच रख दिए कुछ सिक्के,
आवाज़ ने भाषा का पुल तोड़ दिया,
मै गुलाब में रजनीगंधा खोजती रही,
पाषाण ने पानी को कर लिया कैद अपने गर्भ में,
****
गलत उच्चारण
बीवियाँ बिना रूठे
सीख रहीं हैं
अपनी बात ढंग से कहना
उन्हें डर है अगर
वे गयीं रूठकर मायके
तो घर में आ जायेगी तुरंत
प्यारी-सी रोबोटिक बीवी
जिसमें भरा होगा
कूट-कूटकर सेवाभाव
*****
अपहरण
(कहानी)
कुछ दिन की बातें, कुछ रात के तराने।
मेरे हिस्से में आएगी
तो बताऊँगा,
वो सुकून है साहब
सबके पास नहीं आती।
नींद आ गयी तो
सो जाऊँगा,
ये रात है साहब,
यूँ ही नहीं गुजर जाती।
******
क्या बड़ी भूल कर बैठी है
छूने लगी है हर सांस
तुम्हारी धड़कनों को
जीने का है मकसद क्या ?
यह तक न सोच पाई |
*****
मैं धरा हूँ
मैं धरा हूँ
रात्रि के गहन तिमिर के बाद
भोर की बेला में
जब तुम्हारे उदित होने का समय आता है
मैं बहुत आल्हादित उल्लसित हो
तुम्हारे शुभागमन के लिए
पलक पाँवड़े बिछा
अपने रोम रोम में निबद्ध अंकुरों को
कुसुमित पल्लवित कर
तुम्हारा स्वागत करती हूँ !
******
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
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समीक्षा (ताना- बाना)
रश्मिप्रभा भाग 4
"कहो पांचाली !
अश्वत्थामा को
क्यों क्षमा किया तुमने?"
"(नदी)
क्यूँ बहती हो ?
कहाँ से आती हो,
कहाँ जाती हो?"
*****
ये पल न मिलेंगे दुबारा
निशा बेटा चलो घर के अंदर, चारों ओर पानी तेजी से बढ़ रहा है!डेम ओवर फ्लो हो रहें हैं इसलिए उनके गेट खुलने वाले हैं! पापा की आवाज को अनसुनी करती सात साल की निशा पानी में कभी लकड़ी तो कभी कुछ बहाकर खुश हो रही थी।
*****
तुम्हारे जन्मदिन पर
मैं बाँधना चाहती हूँ तुम्हारी
नाजुक उम्र की सपनीली
ओढ़नी में...
अंधेरे के कोर पर
मुस्काती भोर की सुनहरी
किरणों का गुच्छा,
सुवासित हवाओं का झकोरा,
कुछ खूशबू से भरे फूलों के बाग
नभ का सबसे सुरक्षित टुकड़ा,
बादलों एवं सघन पेड़ों की छाँव,
*****
छल
प्रेम ने रोटी के बीच रख दिए कुछ सिक्के,
आवाज़ ने भाषा का पुल तोड़ दिया,
मै गुलाब में रजनीगंधा खोजती रही,
पाषाण ने पानी को कर लिया कैद अपने गर्भ में,
****
गलत उच्चारण
बीवियाँ बिना रूठे
सीख रहीं हैं
अपनी बात ढंग से कहना
उन्हें डर है अगर
वे गयीं रूठकर मायके
तो घर में आ जायेगी तुरंत
प्यारी-सी रोबोटिक बीवी
जिसमें भरा होगा
कूट-कूटकर सेवाभाव
*****
अपहरण
(कहानी)
"तो फिर यहाँ क्यों लाये हो मुझे? यह कौन-सी जगह है?" -करिश्मा का क्रोध कुछ कम हुआ। उसने अपनी रिस्टवॉच देखी, रविवार ही था और रात के आठ बज रहे थे। उसे याद आया, शाम पाँच बजे इवनिंग वॉक के लिए वह अपनी सहेली को साथ लेने उसके घर जा रही थी कि सुनसान राह होने से अचानक किसी ने पीछे से आकर कुछ तेज़ गंध वाला रुमाल उसकी नाक पर रखा था और वह अपना होश गवां बैठी थी। अभी जब होश आया तो उसने स्वयं को इस पलंग पर पाया। अपने पापा की याद आने से उसकी आँखें छलछला आईं।
*****कुछ दिन की बातें, कुछ रात के तराने।
मेरे हिस्से में आएगी
तो बताऊँगा,
वो सुकून है साहब
सबके पास नहीं आती।
नींद आ गयी तो
सो जाऊँगा,
ये रात है साहब,
यूँ ही नहीं गुजर जाती।
******
क्या बड़ी भूल कर बैठी है
छूने लगी है हर सांस
तुम्हारी धड़कनों को
जीने का है मकसद क्या ?
यह तक न सोच पाई |
*****
मैं धरा हूँ
मैं धरा हूँ
रात्रि के गहन तिमिर के बाद
भोर की बेला में
जब तुम्हारे उदित होने का समय आता है
मैं बहुत आल्हादित उल्लसित हो
तुम्हारे शुभागमन के लिए
पलक पाँवड़े बिछा
अपने रोम रोम में निबद्ध अंकुरों को
कुसुमित पल्लवित कर
तुम्हारा स्वागत करती हूँ !
******
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद रवीन्द्र जी |आज की लिंक्सपढ़ने में आनंद आ गया |
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति.सभी रचनाकरो को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआभार रवीन्द्र जी।
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों के साथ अच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर लिंकों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति सर,सादर नमन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदरलिंकों से सजी आज की चर्चा...मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार😊
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा। मेरी लेखनी को स्थान देने के लिए शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन, चर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के व्यवस्थापकों से मेरा एक सवाल है कि क्या बात है कि आजकल मेरी पोस्ट्स चर्चा मंच पर कम लिंक की जा रही है। पहले तो लगभग हर पोस्ट लिंक की जाती थी। यदि मुझ से कोई गलती हुई हो तो बताइएगा।
सादर प्रणाम दी .
हटाएंदी काफ़ी बार आपका ब्लॉग सर्च करते है मिलता नहीं है.मैंने एक दो बार sms भी किया था.चर्चामंच की रीडिंग लिस्ट में आप का ब्लॉग दिखता नहीं है.माफ़ी चाहते हैं अब इस्पेसल याद रखेंगे.मैं fb से लाया करूंगी.
अनिता दी, मुझे आपक sms नही मिला। आपके रीडिंग लिस्ट में मेरा ब्लॉग क्यो नही दिखता इसका तो मुझे पता नही है। माफी मांगने जैसी कोई बात नही है। लेकिन जो मंच मेरी रचनाओं को बराबर स्थान देता आया है उस मंच से बराबर स्थान नही मिलने पर मेरे मन मे जो सवाल आया वो मैं ने मेरे अपने मंच से पूछ लिया बस
हटाएंअनिता दी, मुझे लग रहा है कि शायद मेरे ब्लॉग पर फॉलोअर का विजेट न लगा होने से वो चर्चा मंच के रीडिंग लिस्ट में नहीं दिखता होगा। मेरे ब्लॉग पोस्ट की लिंक्स प्राप्त करने के लिए आप ई-मेल सबस्क्रिब्शन ले सकते है। वो विजेट मेरे ब्लॉग पर लगा हुआ है।
हटाएंबहुत सुंदर अंको से सजी लिंक्स लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत आभारी हूँ रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंसादर।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार बन्धुवर! आपका यह अंक श्लाघनीय है... सभी रचनाकार मित्रों को बधाई!
जवाब देंहटाएं