सादर अभिवादन !
शुक्रवार की चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्म दिवस की हम सभी भारतीयों को हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ ।
उन महान विभूतियों के कृतित्व और व्यक्तित्व का अनुसरण करना तप सदृश है ।
हम उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लें
यही उनके लिए हमारे हृदय का सच्चा सम्मान है ।
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महादेवी वर्मा के कवितांश के साथ प्रस्तुत हैं आज की प्रस्तुति के चयनित सूत्र -
पंथ होने दो अपरिचित प्राण रहने दो अकेला
घेर ले छाया अमा बन
आज कंजल-अश्रुओं में रिमझिमा ले यह घिरा घन
और होंगे नयन सूखे
तिल बुझे औ’ पलक रूखे
आर्द्र चितवन में यहां
शत विद्युतों में दीप खेला
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दोहे "महात्मा गांधी जी का जन्मदिन"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
बापू जी का जन्मदिन, देता है सन्देश।
रहे नहीं इस देश में, अब दूषित परिवेश।।
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साफ-सफाई पर रहे, लोगों का जब ध्यान।
तब होगा संसार में, अपना देश महान।।
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नहीं पनपना चाहिए, छुआ-छूत का बीज।
सभी मनायें प्यार से, ईद-दिवाली तीज।।
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इन कोरोनाकुल दिनों में, में मुझे क्रोचे की बड़ी याद आ रही है. कितने हल्के-फुल्के लिया था हमने इस महान् आत्मवादी दार्शनिक को! पर अब पग-पग पर इसके अभिव्यंजनावाद की महिमा देख रही हूँ.यों भी इस कोरोना-काल जब व्यक्ति अपने आप में सिमट-सा गया है.
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मौन है बिकाऊ मीडिया
उठी न न्याय की आवाज़
औरतों के सीने में वर्तमान का कैसा
प्रभाव गढ़ा है ?
शिक्षा के नाम पर क्रूरता लादे
प्रगतिपथ मिथक लिबास में
अहंकार के बढ़ते क़दमों से
मानवता की बर्बर हत्या
क्या राम राज्य इसी का नाम है ?
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लिखने की बीमारी है इलाज नहीं है चल रही महामारी है है तो मुमकिन है है कहीं किसी लौज में है
किस बात का है रोना कहाँ है कोरोना
सब हैं तो सही और भी मौज में हैं
डर है बस कहीं है खबर में है
खबर अखबार में है
वीर हैं बहुत सारे हैं सब फौज में हैं
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चर्चा प्लस | घातक है राजनीति और अभद्र भाषा का गठबंधन | डाॅ शरद सिंह
राजनीति में दलों का गठबंधन आम बात हो चली है लेकिन जब राजनीति और अभद्र भाषा का गठबंधन हो जाए तो अनदेखा नहीं किया जा सकता है। बिगड़े बोलों ने मर्यादाओं की बोली लगा रखी है। छुटभैये नेता ही नहीं वरन देश की ऊंची कुर्सियों पर बैठे नेता भी अपना भाषाई स्तर गिराने से नहीं चूकते हैं।
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दूर गगन इक तारा चमके
मेरी ओर निहारे,
मुझको अपने पास बुलाए
चंदा बाँह पसारे ।
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"अब" अर्थात वर्तमान यानि जो पल जी रहें है...ये पल अनमोल है...इसमे संभावनाओं का अनूठापन है...अनंत उपलब्धियों की धरोहर छिपी है इस पल में.... फिर भी ना जाने क्यूँ हम इस पल को ही बिसराएँ रहते हैं....इसी की अवहेलना करते रहते हैं.....इसी से मुख मोड़े रहते हैं। अब के स्वर्णिम पलों को छोड़कर एक भ्रम में जिये जाते हैं।
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हाँ ! ये रक्तबीजों का आसन है संजय......
संजय , करते रहो आग्रह , सत्याग्रह या उपवास
या फिर आत्मदाह का ही सामूहिक प्रयास
कहीं सफेद कबूतरों को लेकर बैठ जाओ
या सब सड़कों पर उतर आओ
नारा लगाओ, पुतला जलाओ
या आंदोलन पर आंदोलन कराओ
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सब विस्मृत बस सुमिरन उसका
वही-वही बस रह जाए जब,
उससे पूरा मिलन घटेगा
है यही प्रीत का परम सबब !
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बंगाल के सबसे बड़े पर्व दुर्गा- पूजा पर बंगालियों का रंग-ढंग देखते ही बन रहा था। बंगाली स्त्रियों का कहना ही क्या,पूजा के पाँचों दिन षष्ठी से दशमी तक वे अलग-अलग परिधानों में जो दिखती हैं । सप्तमी की संध्या के लिए अलग साड़ी, तो अष्टमी के अलग वस्त्र।
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कभी कभी ये जीवन एक आखेट की भाँति प्रतीत होता है और मैं ख़ुद को एक असफल आखेटक के रूप में पाता हूँ। मेरी चाहतें, मेरी ख़्वाहिशें, मेरा लक्ष्य एक मृग की भाँति है। एक ऐसा मृग जो दिखाई तो देता है पर जब मैं उसे पकड़ने जाता हूँ तब वो गायब हो जाता है।
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लकड़ी-गोइठा सब लेकर आए।
टोकरी भर भरकर अनाज लाए।
भूनने बैठी दीदी, बुआ -चाची।
दादी गीत गा कहानियाँ बांची।
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माँ मुझको भी रंग दिला दे
मुझको जीवन रंगना है
सपनों के कोरे कागज़ पर
इन्द्रधनुष एक रचना है !
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राष्ट्रपिता गांधी हो जाना सबके बस की बात नहीं | गांधी जयंती विशेष | डॉ. वर्षा सिंह
सत्य अहिंसा को अपनाना सबके बस की बात नहीं
राष्ट्रपिता गांधी हो जाना सबके बस की बात नहीं
आजादी का स्वप्न देखना, देशभक्त हो कर रहना
बैरिस्टर का पद ठुकराना, सबके बस की बात नहीं
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आपका दिन मंगलमय हो...
फिर मिलेंगे…
🙏🙏
"मीना भारद्वाज"
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2 अक्टूबर जैसा राष्ट्रीय पर्व हमारे लिए आत्म चिंतन का दिन भी है ।हमने क्या खोया क्या पाया ? इस दिवस पर मन में यह विचार आना स्वाभाविक है कि क्या प्रिय बापू जैसी क्षमता हमारे में नहीं हो सकती ? क्या हम उनके बताए मार्ग का तनिक भी अनुसरण नहीं कर सकते हैं ?
जवाब देंहटाएंऐसा सोच कर मेरा मन ग्लानि से भर उठा , तभी 26 दिसंबर 1938 को महात्मा गांधी द्वारा जमनालाल बजाज को लिखें उस पत्र का स्मरण हो आया ,जिसमें उल्लेख है-
" मनुष्य को अपने दोषों का चिंतन न करके अपने गुणों का करना चाहिए, क्योंकि मनुष्य जैसा चिंतन करता है वैसा ही बनता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि दोष देखे ही नहीं । देखे तो जरूर पर उसका विचार करके पागल न बने।"
अतः मुझे लगता है कि आज प्यारे बापू के इस उपदेश को भूल हम अपने गुणों पर चिंतन करना तो दूर और के छिद्रान्वेषण में अधिक रूचि ले रहे हैं। ऐसे कार्यों में अपना समय अनावश्यक रूप से व्यर्थ कर रहे हैं ।जो हम बुद्धिजीवियों का सबसे बड़ा अवगुण है।
इन्हीं शब्दों के साथ प्रिय बापू को नमन । आपसभी को भी प्रणाम। सदैव की तरह सुंदर प्रस्तुति एवं विविधताओं भरी रचना के मध्य मंच पर मेरे भी सृजन 'प्यार भरा तोहफ़ा' को स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ मीना दीदी जी।🙏
सहमत हूं आपकी बात से 👍
हटाएंधन्यवाद मीना जी,सुन्दर सञ्चयन के लिए!
जवाब देंहटाएंआभार मीना जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स, बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंगाँधी जयंती पर सभी को शुभकामनायें ! पठनीय रचनाओं की खबर देते सूत्रों से सजी चर्चा में मुझे शामिल करने हेतु आभार मीना जी !
जवाब देंहटाएंश्रम से सजाई गयी सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया मीना भारद्वाज जी।
वाह ! सुन्दर सार्थक सूत्रों का अद्भुत संयोजन आज की चर्चा में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी ! सप्रेम वन्दे सखी !
जवाब देंहटाएंबापू की पुण्य जयंती पर शत शत नमन |सुंदर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे Links
जवाब देंहटाएंसुंदर संयोजन
मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार मीना भारद्वाज जी 💐🙏💐
और होंगे नयन सूखे
जवाब देंहटाएंतिल बुझे औ’ पलक रूखे
आर्द्र चितवन में यहां
शत विद्युतों में दीप खेला...के साथ बहुत ही खूबसूरत कलेक्शन मीना जी
चितवन में नव दीप खिलाते सूत्रों का संकलन जगमग कर रहा है । पूजनीय बापू एवं पूजनीय शास्त्री जी को हार्दिक नमन । आपका आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति मीना जी, गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं सभी को
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति आदरणीय मीना दी।कुछ रचनाएँ पढ़ी सराहनीय प्रस्तुतिकरण।मेरे सृजन को स्थान देने हेतु दिल से आभार दी।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच की सुंदर प्रस्तुति में मेरी रचना को लेने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया मीना जी। देर से आने के लिए क्षमा चाहती हूँ।
जवाब देंहटाएंमीना भारद्वाज जी,
जवाब देंहटाएंतनिक विलंब से मैं चर्चामंच के इस अंक में पहुंची किन्तु पहुंचते ही सारे लिंक्स पर जा कर सभी रचनाएं पढ़ लीं। बहुत सारगर्भित सुंदर चयन।
अपना लेख भी इस मंच पर देख कर मन गदगद हो गया। आपको बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार 🌷🙏🌷
सुंदर और बेहतरीन लिंक्स।
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