डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी।
सादर अभिवादन।
शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आश्विन मास की शरद पूर्णिमा का हमारे सांस्कृतिक जीवन में विशेष महत्त्व है।
शरद पूर्णिमा की रात्रि में चाँद का पूर्णाकार भव्य नज़र आता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर पकाकर खुले आसमान के नीचे छत पर रखी जाती है क्योंकि इस रात अमृत वर्षा होती है, बाद में इस खीर का प्रसाद रूप में श्रध्दापूर्वक सेवन किया जाता है।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित कुछ रचनाएँ-
शरद पूर्णिमा पर हँसा, खुलकर आज मयंक।गंगा जी के नीर की, दूर हो गयी पंक।।--फसन घरों में आ गयी, कृषक रहे मुसकाय।अपने मन के छन्द को, रचते हैं कविराय।।
मन से मन डोर कसी
ऐसी लगन लागी
छवि उसकी नैनन बसी
सखि ! उनको पाषाण न कहना |
इन चंचल नयनों से छिप कर ,
वह मेरे मन में रहते हैं
मेरी सिसकी , मेरी आहें ,
सब चुपके चुपके सहते हैं |
तुम मेरे नयनों से छिपने को उनका अभिमान न कहना |
घर बनाने वाले ने बनाया घर
पूरे होश-ओ-हवास में
लगाए दरवाज़े और खिड़की
सजाये अंटियां पर कँगूरे
शान-ओ-शौक़त के
बनाया छोटा-सा बगीचा
बचपन से सपनों का सफर शुरू होता है और कहीं न कहीं जब तक जीते है चलता रहता है । इन सपनों के कई रास्ते ऊबड़ खाबड़ भी होते है कुछ इतने चिकने और सरल की कब इनसे होते हम मंजिल तक पहुँच जाते है पता नही चलता और कम समय में ही वो सब कुछ पा लेने वाले कुछ भग्यशाली लोगों में शुमार हो जाते है।
अपने
गुलाबी
और कभी रंग बिरंगे डैनो से
तैरते और गलफड़ों से
पानी के बुलबुले छोड़ते हुए
मछलियाँ
आराम से तैरती रहती हैं
बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात।🌻
शुभ प्रभात,प्रणाम अनिता जी !
जवाब देंहटाएंसभी सार्थक सुंदर लिंक्स दिए है
बहुत बहुत आभारी हूँ !
शरद पूर्णिमा पर शुभकामनाएं ! एकता दिवस पर बधाई, सदा की तरहपठनीय रचनाओं से सजा चर्चा मंच, आभार !
जवाब देंहटाएंअच्छा संकलन है |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति सुंदर भूमिका,
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई सभी रचनाएं बहुत सुंदर।
बहुत सुन्दर और सार्थक लिंक मिले पढ़ने के लिए।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी जी।
bahut sunder sankala
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा अंक प्रिय अनीता, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बेहतरीन।सम्माननीय रचनाकारों को हार्दिक बधाई 💐💐
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