मित्रों!
इन दिनों भगवान विष्णु का सबसे प्रिय माह अधिकमास चल रहा है। इस अधिकमास में 11 अक्टूबर को बन रहा है रवि पुष्य नक्षत्र का अत्यंत दुर्लभ शुभ संयोग। अधिकमास में आने वाला पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिदायक होता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से समस्त प्रकार के कार्य सिद्ध किए जा सकते हैं। पुष्य नक्षत्र 11 अक्टूबर को पूरे दिन और मध्य रात्रि के बाद तक रहेगा।
पुष्य नक्षत्र प्रारंभ 10 अक्टूबर मध्य रात्रि बाद 1.16 बजे से पुष्य नक्षत्र समाप्त 11 अक्टूबर मध्य रात्रि बाद 1.17 बजे तक।
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अब सीधे चलते हैं रविवार की चर्चा की ओर।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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गीत "दो आँखें"
आशा और निराशा की जो,
पढ़ लेते हैं सारी भाषा।
दो नयनों में ही होती हैं,
दुनिया की पूरी परिभाषा।।
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पनिहारी
चल सखी ले घट पनघट चलें
राह कठिन बातों में निकले
अपने मन की कह दूं कुछ तो
कुछ सुनलूं तुम्हारे हृदय की
साजन जब से परदेश गये
परछाई सी रहती भय की
कुछ न सुहाता है उन के बिन
विरह प्रेम की बस हूक जले।।
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वैदिक वाङ्गमय और इतिहास बोध (९)
अ-कुल मंडल और साथ में पाँचवाँ मंडल भी दसवें मंडल के साथ मिलकर एक अलग वर्ग में रखे जा सकते हैं। पाँच पुराने मंडलों की अपेक्षा नए मंडलों में व्याप्त मिती और अवेस्ता की शब्दावली से संबंधित समानता के तत्व भी इस वर्गीकरण के कारणों में शामिल हैं। इससे दो बातें खुलकर सामने आती है। पहली बात कि नए मंडलों ने अपने पूरे आकार को पाने में एक बहुत लम्बे कालानुक्रमिक अंतराल की यात्रा तय की है। और दूसरी बात कि, उनकी यह दीर्घकालिक यात्रा पुराने मंडलों से बिल्कुल पृथक है।
चार अ-कुल मंडलों का भौगोलिक क्षितिज ऋग्वेद की समूची भूमि में फैला हुआ है। चौथे और पाँचवें मंडल में हमें पश्चिम की झलकी मिलती है। लेकिन, चार अ-कुल मंडल पश्चिम के साथ एक नयी तरह की व्यापक घनिष्टता दिखाते हैं जो कि पुराने मंडलों और यहाँ तक कि पाँचवें मंडल में भी दूर-दूर तक नहीं दिखायी देता।
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नमन तुम्हें हे भुवन भास्कर !
नमन तुम्हें हे भुवन भास्कर !
स्वर्ण किरण के तारों से नित बुनी सुनहरी धूप की चादर
नमन तुम्हें हे भुवन भास्कर !
शेष हुआ साम्राज्य तिमिर का संसृति में छाया उजियारा
भोर हुई चहके पंछी गण मुखरित हुआ तपोवन सारा
लुप्त हुए चन्दा तारे सब सुन तेरे अश्वों की आहट
जाल समेट रुपहला अपना लौट चला नि:शब्द सुधाकर
नमन तुम्हें हे भुवन भास्कर...
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ब्रज भोर की ओर
गभीरतम हृद, कहीं
नहीं कोई कांटेदार
सीमाएं, किन्तु
निःशर्त
हो
सभी लेनदेन हमारी, ब्रज भोर की - -
ओर नज़र रहे हमारी।
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क्या कहने तुम्हारे वजूद के
क्या कहने तुम्हारे वजूद के
कभी एहसास ही नहीं होता
तुम्हारे अस्तित्व का
कहाँ गुम हो जाती हो
हलकी सी झलक दिखला कर |
समझ में नहीं आता तुम्हारा इरादा
यह कोई चुपाछाई का खेल नहीं है
हम अब बड़े हो गए हैं
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चुनौती
"क्या कर रही थी?"
"कुछ सोच रही थी.. तुम जानना चाहेगी क्या तो सुनो! कहानी, कथा, गीत, कविता में स्त्रियों को ही महान क्यों दर्शाया जाता है और पाठक भी वैसे ही अंत पर वाहवाही करते हैं.. आखिर क्यों ?"
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सामाजिक मुद्दों को संभाल क्यों नहीं पाती भाजपा
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बच्चे जो डूब गए - लूइस ग्लूक
जब उनके पक्ष में
नहीं है कोई निर्णय
फिर बेहतर है उनका डूब जाना ही।
चलिए, भीषण सर्दी में सबसे पहले
उन्हें बर्फ के भीतर डुबोते हैं
उनके पूरी तरह मर जाने के बाद
जब शरीर पानी से ऊपर उठकर तैरेगा
साथ में तैरेंगे उनके ऊनी स्कार्फ
बर्फ से भरे तालाब ले लेगा उन्हें
अपने असंख्य अँधेरे बाहों के गहन आगोश में।
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हाथरस को ‘हाथरस’ बनाने के बाद…की कहानी
रिश्तों को लेकर हमारे कवियों- साहित्यकारों ने बड़ा काम किया है, पोथियों पर पोथियां गढ़ते गए परंतु इन्हें प्रभावित करने वाली लालची मानसिकता को वे नहीं पढ़ पाए और ना ही बदल पाए। आज जब लालच ने सबसे पहला प्रहार रिश्तों पर किया और सामूहिक दुष्कर्म के बढ़ते मामलों के रूप में इसका नतीज़ा अब हमारे सामने आ रहा है, तो एक एक केस की हकीकत भी समझ आ रही है। ये अलग बात है कि कभी राजनीति तो कभी कानूनी बहाने ‘सच’ को कहने-सुनने-देखने पर बंदिशें लगा रहे हैं परंतु कब तक, सच की यही खूबी है कि वह तो सामने आकर ही रहता है। --
कैसे होता है अमेरिका में चुनाव आगामी चुनाव 59 वें चुनाव होंगे, जो हरेक चार साल में होते हैं। मतदाता सीधे राष्ट्रपति को नहीं चुनते, बल्कि 3 नवंबर को मतदाता 538 सदस्यों के एक मतदाता मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) का चुनाव करेंगे, जो 14 दिसंबर 2020 को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करेगा। यदि किसी भी प्रत्याशी को 270 या उससे ज्यादा वोट नहीं मिले, तो सबसे ज्यादा वोट पाने वाले तीन प्रत्याशियों में से एक का चुनाव राष्ट्रपति पद के लिए करने की जिम्मेदारी प्रतिनिधि सदन की होगी। उपराष्ट्रपति पद के लिए पहले दो प्रत्याशियों में से किसी एक का चुनाव सीनेट करेगी।
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नीला आसमाँ...
आज.......
रंगों भरा आसमाँ दिल के
कैनवास पर उतर आता है
मैंने भी सोचा चलों पन्नो के कैनवास पर...
कुछ तस्वीरें बनाती हूँ...
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बनावटी होता जाता समाज क्या हम लोग बनावटी दुनिया में रह रहे हैं? क्या हमारे आसपास के बहुसंख्यक लोग बनावटी होते जा रहे हैं? क्या हम में से बहुतों का व्यवहार बनावटी समझ आता है? यहाँ बनावटी और स्वार्थी में अंतर भी समझिएगा. स्वार्थी व्यक्ति किसी न किसी हित के लिए, लाभ के लिए, स्वार्थ के लिए सम्बन्ध बनाता है. वह अपने लाभ के लिए संबंधों का, सम्बन्धियों का किसी भी हद तक उपयोग करने से नहीं चूकता है...
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''ट्राम रेस्त्रां'', कोलकाता का
इस परिवहन सेवा के साथ कोलकाता वासियों का एक ऐसा अटूट भावनात्मक संबंध कायम हो गया, एक ऐसा रिश्ता बन गया कि इस पर लोग चढ़ें ना चढ़ें पर इसके बिना वे अपने शहर की कल्पना भी नहीं कर सकते ! इसीलिए उसे बचाने, उसे लोकप्रिय बनाने व दीर्घजीवी बनाने हेतु एक प्रयोग के तहत एक ट्राम को रंग-रोगन और चित्रकारी से सजा कर उसका एक नया अवतार गढा गया ! ट्यूरिस्टों की जरूरतों को मद्दे नजर रख उसे पूरी तरह वातानुकूलित कर बायो टॉयलेट तथा म्यूजिक सिस्टम से युक्त कर उसे एक आधुनिक रेस्त्रां का रूप दे दिया गया...
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देर कर दी
पंजाबी बोलना सीखना चाहिए या फिर बंगाली बोलना? या फिर दोनों? पर मुश्किल तो ये हो रही है की सिखाए कौन. मनोहर जी आजकल बैंक में काम कर रहे हैं और रहने वाले हैं गाँव कसेरू खेड़े के. अब खेड़े में ये दोनों भाषाएँ बोलने बताने वाला कोई है नहीं. तो मनोहर जी उर्फ़ हमारे मन्नू भैया का काम कैसे होगा? एक दोस्त ने सुझाव दिया अंग्रेजी बोलना सीख ले तो सारे काम निपट जाएंगे. अंग्रेजी सिखाने के वो पैसे भी नहीं लेगा. कनॉट प्लेस में तो नौकरी है ही वहां कोई किताब विताब ले लेना और आगे पढ़ लेना. क्यूँ जी... --
आज के लिए बस इतना ही...!
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बेहतरीन🌻👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात वंदन
धन्यवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए |
जवाब देंहटाएंप्रभात वन्दन,हमारी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंविविध रंगो की राँगोली हो जैसे - ऐसा चयन!
जवाब देंहटाएं'देर कर दी 'को शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंविविधताओं से परिपूर्ण चर्चा मंच मुग्ध करती है - - असंख्य आभार मेरी रचना शामिल करने हेतु, नमन सह।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत सुन्दर सूत्र ! बहुत सुन्दर संकलन आज का ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक चर्चा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंप्रणाम शास्त्री जी, मेरी ब्लॉगपोस्ट को अपने इस संकलन में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंसम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
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