अनंता सिन्हा जी
सादर अभिवादन।
शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
स्नेहरूपी जल एक अथाह महासागर है जिसमें जीवन के सुखद एहसास समाहित होते है।स्नेह के बग़ैर जीवन नीरस लगता है।स्नेहरूपी जल की बूँदें जीवन को नया अर्थ प्रदान करतीं हैं। जीवन मूल्यों के ख़ज़ाने में स्नेह का महत्त्व सर्वाधिक है जिसे यथासंभव बरबाद होने से बचाना चाहिए तभी स्नेहरूपी जल प्रेम और सद्भावना की फ़सल को सिंचित करता रहेगा।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित कुछ रचनाएँ-
--
जो करता है अच्छे काम।
उसका ही होता है नाम।।
--
मर्यादा जो सदा निभाता।
उसको राम पुकारा जाता।
--
इस जग में जहाँ बह जायेगी।
क्षमा, दया और करुणा ,
वहाँ स्वतः चली आएगी।
--
सूरज से अपेक्षा
धूप दे पर लू नहीं
बादल से अपेक्षा
पानी दे पर बाढ़ नहीं
हवा से अपेक्षा
ठंडक दे पर आंधी नहीं
रास्ते से अपेक्षा
मंजिल दे पर छाले नहीं
--
यह कोरोना
सकल जगत का
अक्ष भिगोना।
--
यह एक विडंबना ही है कि आज सब लोग विरोधाभासों के बीच जी रहे हैं।अक्सर लोग दूसरों को सच्चाई और साफ़गोई की नसीहत देते हैं परंतु उन्हें स्वयं चापलूसी पसंद आती है।ऐसा भी देखने में आता है कि लोग ख़ुद तो किसी से बातचीत का तरीक़ा नहीं जानते परंतु दूसरों को बातचीत करने के सलीक़े पर ज़ोरदार भाषण देते हैं।
--
मैं तो नहीं रहने वाली ताउम्र यहां
आप
क्या आप रहने वाले हैं
हमेशा के लिए यहां
नहीं ना
तो फिर इतनी चिंता किस
बात की
अरे खुल कर जियो
मौज में रहो
--
नीलम सा नभ उस पर खाली डोलची लिये
स्वच्छ बादलों का स्वच्छंद विचरण
अब उन्मुक्त हैं कर्तव्य भार से
सारी सृष्टि को जल का वरदान
मुक्त हस्त दे आये सहृदय
अब बस कुछ दिन यूं ही झूमते घूमना
--
नादान बन अब प्रश्न पे
इल्जाम तराशी न कर,
ये नहीं फरेब मेरा..
लकीरें पीटना ही
सबब बना ..
क्या देश का मेरा?
घोटाले, घटनाएं तो हर बार
फिर ये कैसी चीख पुकार..
तलाश रहे..
--
दौर-ए-महफ़िल इस बात ,पे ग़ौर किया कीजे
ज्यादा खुलकर भी न,हुजूर लोगों से मिला कीजे।
क्या पता कब कौन कैसे,दुश्मनी हासिल करे
दोस्ती में भी कुछ फाँसले,दरम्यान रखा कीजे।
--
पलटी किस्मत जब
स्वप्न राख ढेरी।
चुभते कंटक से
राह खड़े बैरी।
आज तोड़ते सब
चुभती जो टहनी।
--
करता हूँ इन्तजार
फूलों की डालियों पर
उसके बैठने का,
फिर
करता हूँ
सहज दिखने का
सजग प्रयास.
धीरे-धीरे
चपलता से
चुपचाप
जाता हूँ
उसके बिलकुल करीब
पंखों से
पकड़ लाता हूँ उसे
फूलों की डालियों पर
उसके बैठने का,
फिर
करता हूँ
सहज दिखने का
सजग प्रयास.
धीरे-धीरे
चपलता से
चुपचाप
जाता हूँ
उसके बिलकुल करीब
पंखों से
पकड़ लाता हूँ उसे
--
कैसे आऊँ पास तुम्हारे मैली हुई चुनरिया |
तन मन सब डूबे अंसुअन में ,
भीज भीज कर सब रंग छूटे |
उलझ उलझ बैरी काँटों में ,
जगमग किरण सितारे टूटे |
--
आज का सफ़र यहीं तक
फिर फिलेंगे
आगामी अंक में
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
आदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंआज पहली बार चर्चा मंच से जुड़ रही हूँ। मुझे यह सौभाग्य देने के लिये हृदय से आभार।
आपने मेरी रचना को स्थान दिया औरमीठी रचना से शीर्षक पंक्ति भी ली,आपकी इस उदारता के लिए तो आभार के सारे शब्द छोटे हैं। मेरा सौभाग्य मुझे आपका प्रोत्साहन और आशीष मिला। बस आप सबों से एक विनती है, मुझे केवल "अनंता" कह कर ही पुकारिये। मैं एक कॉलेज छात्रा हूँ और आप सबों से आयु और ज्ञान, दोनों में ही बहुत छोटी हूँ।
ये औपचारिक सम्बोधन मुझे संकोच में डाल देते हैं।
आपको हृदय से आभार और सादर प्रणाम
आज की चर्चा में पठन के लिए बहुत उपयोगी लिंक मिले।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया अनीता सैनी जी।
मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है श्रीमान।आशा है आपको मेरी रचनाएँ पसन्द आएँगी और आप मुझे फॉलो करेंगे।प्रतीक्षा रहेगी।
हटाएंआपके ब्लॉग पर जुड़कर अच्छा लगा।एक दूसरे तक रचनाएँ पंहुचाने का आपका प्रयास अति उत्तम है।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनमस्कार अनीता जी, सभी प्रस्तुतियां एक से बढ़कर एक हैं .... आज एक बात बहुत ही खास लगी..कि अनंता सिन्हा का स्वयं को सिर्फ अनंता कहकर पुकारने की सहज अभिलाषा चर्चामंच के अपनेपन को अभिव्यक्ति करती है..बिल्कुल एक परिवार की तरह...जहां कोई नया सदस्य भी जुड़े तो ऐसा लगता है कि वो हमसे आज ही नहीं मिला बल्कि बहुत समय से भूला हुआ था बस...आज तो राम राम हुई है और बस सिलसिला चल निकलता है...आगे के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक एक से बढ़कर एक इतने सुन्दर गुलदस्ते में मुझे शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
स्नेह का रस्वादन कराती सुंदर भुमिका।
सुन्दर सार्थक भूमिका के साथ सदैव की भांति श्रमसाध्य और बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा अंक प्रिय अनीता जी,नये नये रचनाकारों को भी जानने का सौभाग्य मिला, बहुत अच्छा लगा, व्यस्तता के कारण ब्लोग को समय नहीं दे पा रही हूं पर जल्द ही ब्लोग भ्रमण करूंगी, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार अनीता जी।
जवाब देंहटाएंइस अंक की सभी प्रस्तुति पढी | सभी सराहनीय हैं |सभी को मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं , बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंंदर सारगर्भित प्रस्तुति अनिता जी.
जवाब देंहटाएंदेर से टिप्पणी के लिए क्षमा। सभी चयनित रचनाकारों को शुभकामनाएँँ। रचना को मान देने के लिए हृदय से आभार।
💐💐🙏
सुंदर प्रस्तुति । मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंvery nice and effort