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मंगलवार, अक्टूबर 06, 2020

"उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना. "(चर्चा अंक - 3846)

 स्नेहिल अभिवादन 
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।  
"ज़िन्दगी अपनी लगा देते हैं जो शिद्दत से,
 उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना. "
(आदरणीय दिगंबर जी की रचना से )
माँ-बाप बरगद के पेड़ की भाँति होते हैं जब तक बच्चें सबल नहीं होते हैं 
वो अपनी पलकों की छाँव में उन्हें बिठाये रखते हैं..... 
जब वो खुद उम्रदराज हो जाते है तो.... 
उन्हें भी बच्चों से उसी प्यार भरे छाँव की चाह होती है.....
ये छाँव उनकी ख्वाहिश नहीं मज़बूरी और जरूरत होती है.... 
मगर, अधिकांशतः बुजुर्गो को निराशा ही मिलती है....
बच्चों को भी उन बुजुर्गो की देख-भाल उसी जिम्मेदारी और प्यार से 
करनी चाहिए, जितनी जिम्मेदारी और प्यार से वो बच्चों की करते हैं....
अपने माता-पिता की चरणवंदना करते हुए... 
चलते है,आज की कुछ विशेष रचनाओं की ओर..... 

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समीक्षा “एहसास के गुंचे”
 (समीक्षक-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


 एहसास के गुंचे की रचयिता को मन मिला है 
एक कवयित्री काजो सम्वेदना की प्रतिमूर्ति तो 
एक कुशल गृहणी और एक कामकाजी महिला है।
 ऐसी प्रतिभाशालिनी कवयित्री का नाम है
 अनीता सैनी "दीप्ति" जिनकी साहित्य निष्ठा
 देखकर मुझे प्रकृति के सुकुमार चितेरे श्री सुमित्रानन्दन पन्त जी
 की यह पंक्तियाँ याद आ जाती हैं-

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उन बुज़ुर्गों को कभी दिल से ख़फा मत करना

ग़र निभाने की चले बात मना मत करना.
दिल के रिश्तों में कभी जोड़-घटा मत करना.
 
रात आएगी तो इनका ही सहारा होगा,
भूल से दिन में चराग़ों से दगा मत करना. 

************

 इसलिए 
संभल जाओ
 समझ जाओ
 मैं चाहता हूँ
 कि जान पाओ 
और कह पाओ 
सही को सही 
गलत को गलत 
क्योंकि

********

४८८. उन दिनों की वापस

 कभी तो कोरोना हारेगा,
कभी तो वे मौक़े फिर आएँगे,
पर क्या हम ख़ुद को बदल पाएंगे?
क्या हम किसी को गले लगा पाएंगे?
*********

बरसेगा वह बदली बनकर


उर में प्यास लिए राधा की 
कदमों में थिरकन मीरा की, 
अंतर्मन में निरा उत्साह 
उसकी बांह गहो !

*********

जैसे ही शिल्पा का एमबीए का आखरी पेपर हुआ, दूसरे ही दिन
 लड़केवाले उसे देखने आने वाले थे। उसके मामाजी ने यह रिश्ता बताया था।
 उन्होंने बताया था कि परिवार में सभी का स्वभाव बहुत ही अच्छा है,
 सभी लोग पढ़े-लिखे है, 

*******
गाँधी और शास्त्री जी की याद में (कविता)

 २ अक्टूबर को अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की जमशेदपुर इकाई की 
ऑनलाइन काव्य गोष्टी गूगल मीट के माध्यम से संपन्न हुई। 
 उस गोष्ठी की तस्वीरों, और भाग  लेने वाले
 कलमकारों के द्वारा सुनाई  गयी कविताओं की पूरी  रिपोर्ट पर 
आधारित यह वीडियो अवश्य देखें और 
अपने विचारों से अवगत कराएं।आपके विचार बहुमूल्य हैं।

********* 
आज का सफर यही तक
आप सभी स्वस्थ रहें ,सुरक्षित रहें।
कामिनी सिन्हा
--

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर चर्चा। सभी लिंक्स शानदार।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर चर्चा.मेरी कविता शामिल की. आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।

    जवाब देंहटाएं
  4. बुजुर्गों का आशीर्वाद ही व्यक्ति को सुख और शांति के मार्ग परले जाता है. पठनीय रचनाओं का सुंदर संयोजन, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर सूत्रों का समावेश आज के चर्चामंच में ! मेरी लघुकथा को स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. सभी रचनाएँ अपने आप में अनुपम हैं प्रस्तुति मुग्धता लिए हुए - - मेरी रचना शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय कामिनी दीदी। सभी रचनाकरो को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुंदर मन को छूती भूमिका दी ।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर संकलन, आदरणीया मेरी रचना को स्थान देने पर तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

    जवाब देंहटाएं
  12. उत्साहवर्धन हेतु आप सभी स्नेहीजनों का तहे दिल से शुक्रिया,सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं

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