स्नेहिल अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
(शीर्षक और भूमिका आदरणीय उर्मिला सिँह जी की रचना से )
"माँ हूँ ,कमजोर तुझे ना बनने दूँगी..
जमाने पर अब बलि ना चढ़ने दूँगी..
बहुत सुनी बातें सबकी-अब और नही,
तेरी बाहों में मैं काली की शक्ति दूंगी !!"
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बेटियों को आपने संस्कारों के साथ-साथ अपनी
मान-मर्यादा, आत्मसमान और लाज की रक्षा
करना भी सीखना ही होगा...
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आईये, आज की चर्चा की शुरुआत करते हैं...
एक संकल्प के साथ
"अब बेटियों को कमजोर नहीं बनने देना है "
"बेटियाँ हमारा मान, हमारा स्वाभिमान"
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शामिल
हो लिया है
आदतों में सुबह की
एक प्याली
जरूरी चाय की तरह
फिर भी
इधर कुछ दिनों
कागजों में बह रही
इधर उधर फैली हुई
बहुत कुछ
की
आभार कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंअशेष शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुति हेतु साधुवाद
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्रों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।
पढ़ने के लिए ढेर सामग्री, पठनीय रचनाओं से सजा चर्चा मंच ! आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति हमारी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद आपका।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक रचनाओं के साथ सुन्दर प्रस्तुति, मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय कामिनी दी मेरे सृजन को स्थान देने हेतु दिल से आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंआप सभी स्नेहीजनों को तहेदिल से शुक्रिया एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ दिल को छूने वाली हैं। इस संदर प्रस्तुति के लिए बधाई! मेरी कविता को यहाँ स्थान देकर सम्मान देने के लिए कामिनी जी का हार्दिक आभार!
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