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मंगलवार, नवंबर 17, 2020

"बदलो जीवन-ढंग"'(चर्चा अंक- 3888)

स्नेहिल  अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। 

(शीर्षक और भूमिका आ.शास्त्री सर जी की रचना से )

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खुशियों के परिवेश हों, लौटे फिर उल्लास।
नानक के दरबार में, करो आप अरदास।।

इसी अरदास के साथ चलते हैं, 
आज की रचनाओं की ओर...... 

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दोहे "बदलो जीवन-ढंग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

विदा हुई दीपावली, आई शीतल भोर।
कुहरा भी छाने लगा, अब तो चारों ओर।।
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कोरोना के काल में, मेले हुए उदास।
अभी समय विकराल है, घर में करो निवास।।
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"यादें"【हाइबन】

कई बार कुछ लम्हें स्थायी रूप से बैठ जाते हैं

 मन के किसी कोने में । सोचती हूँ मन क्या है - हृदय...

जिसकी धड़कन ही जीवन है । बचपन में पढ़ा था कि हर

मनुष्य का हृदय उसकी बंद मुट्ठी जितना होता है । इस छोटे से

अंग में सागर सी गहराई और आसमान सी असीमता है यह

बात बड़े होने के बाद समझ आई । 

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अगोचर गंत्वय की ओर - -

बुलबुलों में बसे हुए हैं कुछ कंजरों के -
गाँव, मिलते हैं हर मोड़ पर धूप -
छांव के पड़ाव, बबूल शाखों
में झूलते हैं कुछ गोधूलि
के रंग, ईशान कोण
में उड़ चले हैं

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गहरी रात

इक दीप जला है, घर-घर,
व्यापा फिर भी, इक घुप अंधियारा,
मानव, सपनों का मारा,
कितना बेचारा,
चकाचौंध, राहों से हारा,
शायद ले आए, इक नन्हा दीपक!
उम्मीदों की प्रभात!
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लम्हें

लम्हें कुछ खुद से चुरा लाया l कुछ ख़ुदा से उधार ले आया ll तुम मिलोगे लम्हों के जिस पल को l उस पल को जिंदगी की सौग़ात दे आया ll 
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चिंतन
बीत रहा इस वर्ष का,दीपों का त्योहार।
वायु प्रदूषण बढ़ रहा,जन मानस बीमार ।।

दोष पराली पर लगे ,कारण सँग कुछ और।
जड़ तक पहुँचे ही नहीं ,कैसे हो उपचार ।।

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रहे अटूट यह पावन नाता

आज भाई दूज है, इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। प्रत्येक बहन की हार्दिक इच्छा होती है कि उसका भाई सदा सुरक्षित रहे और भाई यही चाहता है उसकी बहन सदा सुखी रहे। अनादि काल से भाई-बहन के मध्य निश्छल प्रेम को प्रोत्साहित करने, सौमनस्य
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खतरनाक

हजारों वारदातों के बीच घूमना अकेले

कुछ कम जोख़िम भरा नहीं,

घर में चार मर्दों के बीच रहना भी जोख़िम ही है,

तालाबों पर नहाना

जंगल में काम करना

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कहानी- सजा मुझे क्यों?
आज पंकज को शिल्पा से मिलने मॉल जाना था। शिल्पा से उसके रिश्ते की बात चल रही थी। दोनों परिवार के लोग आधुनिक विचारों के थे। अत: जब तक लड़का लड़की आपस में एक दूसरे को पसंद न कर ले तब तक बात आगे बढ़ने का सवाल ही नहीं था।
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आज का सफर यही तक 
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें 
कामिनी सिन्हा 

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10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात ....
    आदरणीया कामिनी जी को इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक शुभकामनायें। ।।।।

    जवाब देंहटाएं
  2. अद्यतन लिंकों के साथ चर्चा की सुन्द्र प्रस्तुति।
    आपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. अद्यतन लिंकों के साथ चर्चा की सुन्दर प्रस्तुति।
    आपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर सूत्रों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से आभार कामिनी जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,कामिनी दी।

    जवाब देंहटाएं
  6. पठनीय रचनाओं के सूत्रों की खबर देती सुंदर चर्चा ! आभार कामिनी जी !

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन रचनाओं का संकलन और आकर्षक प्रस्तुति मुग्ध करता है,मुझे स्थान देने हेतु हार्दिक आभार - - नमन सह।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुंदर संकलन आदरणीय कामिनी दीदी।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. आप सभी का हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं

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