फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, दिसंबर 05, 2020

'निसर्ग को उलहाना'(चर्चा अंक- 3906)

 शीर्षक पंक्ति: आदरणीया कुसुम कोठारी जी की रचना से। 


सादर अभिवादन। 
शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।

परिणय-दिवस स्मृतियों का अनमोल ख़ज़ाना होता है जब एक फ़ैसला दो हमराही को मंज़िल की राह पर ले जाता है।  जीवन की ऊँची-नीची घाटियों को पार करने का सफ़र जीवनसाथी के साथ सुकून और हिम्मत से भरा होता है। 
आयु के साथ जीवन की जवाबदेही और परिस्थितियों में बदलाव आते रहते हैं। कठिन समय में चलने का हौसला पस्त होने पर जीवनसाथी का समर्पण और साथ मुश्किलों को आसान करता है। 
आज आदरणीय शास्त्री जी के परिणय का स्मरणीय दिवस है।  आदरणीय शास्त्री जी एवं माँ भारती जी को इस विशिष्ट दिवस पर तहेदिल से ढेरों मंगलकामनाएँ।  ईश्वर उन्हें स्वस्थ और लंबा जीवन दे। 

--

गीत 
"5 दिसम्बर, हमारी 47वीं प्रणय जयन्ती" 
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

तुम शीतल बयार मतवाली,
पतझड़ में भी हो हरियाली,
जंगल चमन बनाया तुमने,
तुम आभा-शोभा उपवन की।
संगी-साथी साथी इस जीवन की।।
 
तुम हो प्यारे मीत हमारे,
तुम पर गीत रचे हैं सारे,
नाती-पोतों की किलकारी,
याद दिलाती है बचपन की।
संगी-साथी साथी इस जीवन की।।

--

कैसे हो विश्वास कर्म पर
एक साथ सब भुगत रहे हैं
ढ़ाल धर्म की  टूटी फूटी
मार काल विकराल सहे हैं
सुधा बांट दो अब धरणी पर
शिव को होगा गरल पिलाना।।
--

भला मुझसे कोई आकर यह न पूछे कि ---

फूलों- सी ही मेरी कविताएं  मुझसे झर- झर झरती हैं
कभी शब्द से तो कभी शून्य से सब कुछ कहती है
किसी से कोई दुराग्रह नहीं है कोई आग्रह नहीं है
विक्षुब्ध , विक्षिप्त सा कोई विकट विग्रह नहीं है
भीतर- भीतर जो बात उमंग में उमड़ती- घुमड़ती रहती है
--
कमज़ोरी ग़र ज़ाहिर हो जाए तो
ज़माने को खिलौना मिल
जाएगा, लाज़िम था
अंधेरे से निकल
कर उजाले
में खुल
के
--
जा कर अब किसे सुनाऊँ मैं
यह अपना दर्द बताऊँ मैं 
अब तक बिल्कुल अंजान थी मैं
जानूँ इसका अंजाम भी मैं
--
अभी खोल में ढका बीज है 
अभी बंद है उसकी दुनिया, 
उर्वर कोमल माटी  पाकर 
इक दिन सुंदर वृक्ष बनेगा !
--
कातिक महिना पुन्नी मेला, जम्मो जगा भरावत हे।
हाँसत कूदत लइका लोगन, मिलके सबझन जावत हे।।
बड़े बिहनिया ले सुत उठ के, नदियाँ सबो नहावत हे।
हर हर गंगे पानी देवत, दीया सबो जलावत हे
--
अभी-अभी
सरसों के खेत से
डुबकी लगाकर निकला है
आम का एक बिरवा,

अभी-अभी
सरसों के फूलों पर
ओस छिड़क कर गई है
डूबती हुई रात,
--
   प्रभु मेरे!भटकत मन बिन तेरे
     अब तो उद्धार करो देव मेरे
     तरसत हिय कमल नयन को पल - पल
     किस विधि परसू चरण तिहारे।।    
     
     प्रभु मेरे! भटकत मन बिनु तेरे
     चल -चल रे मनवा राम दुआरे......।।
--
नहीं आये न तुम !
अच्छा ही किया !
जो आते तो शायद
निराश ही होते !
कौन जाने मैं पहले की तरह
तुम्हारी आवभगत
तुम्हारा स्वागत सत्कार
तुम्हारी अभ्यर्थना
कर भी पाती या नहीं ?
--
अचानक ये मोरपंख वाला किस्सा याद आया। किसी ने कहा था किताबों में मोरपंख रखने से पढ़ा हुआ जल्दी याद हो जाता है। पर ये कोई कोर्स की किताब तो थी नहीं, फिर भी वो चाहती थी कि ये मोरपंख मैं इस किताब में रखूं (क्योंकि ये किताब उसी ने मुझे पढ़ने के लिए दी थी) तो उसने ये बोल के रखवाया था कि इस किताब की कहानी में कुछ सीख ऐसी है जो जीवन में काम आएगी और इसी सीख को याद रखने के लिए मुझे ये मोरपंख इसमें रखना होगा।
अब इसे किस्मत कहो या संयोग कि अब इस किताब की कहानी मेरी ख़ुद की कहानी हो गयी है और ये मोरपंख मुझे याद दिला रहा है कि मेरी कहानी का अंजाम याद रखने के लिए मुझे पहले ही तैयार कर दिया गया था।
--
आज का सफ़र यहीं तक 
फिर फिलेंगे 
आगामी अंक में 

@अनीता सैनी 'दीप्ति' 

8 टिप्‍पणियां:

  1. उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रिय अनीता सैनी 'दीप्ति' जी,
    चर्चा मंच ब्लॉग में आ कर बहुत से अच्छे लिंक्स एक स्थान पर मिल जाते हैं। आज की चर्चा लिंक्स भी बेशक पठनीय और दिलचस्प हैं। साधुवाद 💐

    मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏⭐🙏
    शुभकामनाओं सहित,
    डॉ. वर्षा सिंह

    जवाब देंहटाएं
  3. अनीता जी, नमस्कार ! सुंदर चयन के साथ साथ सुंदर प्रस्तुतीकरण..।श्रमसाध्य कार्य हेतु आप साधुवाद की पात्र हैं ..।मेरी रचना को शामिल करने के लिए तहेदिल से आपका आभार व्यक्त करती हूँ..। शास्त्री जी को परिणय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ..।

    जवाब देंहटाएं
  4. खूबसूरत सूत्रों का संकलन आज की चर्चा ! मेरी रचना को इसमें सम्मिलित किया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे!

    जवाब देंहटाएं
  5. इस विविधता भरी सामग्री संकलन हेतु हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  6. विविधरंगी पठनीय रचनाओं के सूत्रों से सजी सुंदर चर्चा प्रस्तुति !

    जवाब देंहटाएं
  7. उपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार अनीता सैनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. फिर एक मनोहर गुलदस्ता सुंदर गुलों से सजा ।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार लिंक,
    मेरी रचना की पंक्तियां शीर्षक के साथ!! अभिभूत हूं मैं।
    बहुत बहुत आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।