सादर अभिवादन !
शुक्रवार की चर्चा में
मैं पुनः आप सभी विज्ञजनों का स्वागत करती हूँ ।
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देख, दहलीज़ से काई नहीं जाने वाली ।
ये ख़तरनाक सचाई नहीं जाने वाली ।।
कितना अच्छा है कि साँसों की हवा लगती है ।
आग अब उनसे बुझाई नहीं जाने वाली ।।
"दुष्यन्त कुमार"
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आइए अब बढ़ते हैं अद्यतन लिंक्स की ओर --
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बालकविता -गैस सिलेण्डर (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गैस सिलेण्डर कितना प्यारा।
मम्मी की आँखों का तारा।।
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रेगूलेटर अच्छा लाना।
सही ढंग से इसे लगाना।।
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गैस सिलेण्डर है वरदान।
यह रसोई-घर की है शान।।
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जो सामने था,
वही तो मुखौटा था,
अब जो चढ़ा है,
मुखौटे पर मास्क नहीं,
तो और क्या है?
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विचार वर्षा - विश्वास, रामसेतु और नलनील
मिल कर लिखें चलो हम, विश्वास की ग़ज़ल
कोई कहीं न गाए, संत्रास की ग़ज़ल
है आज वेदना की सत्ता तो क्या हुआ !
होगी धरा के लब पर उल्लास की ग़ज़ल
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किसान आंदोलन से गर्माता जाड़े का मौसम
दिल्ली के इर्द-गिर्द जमा हजारों किसानों में औरतें, बच्चे और बुजुर्ग भी हैं। ये आंदोलनकारियों के साथ हैं। लेखक, खिलाड़ी, कलाकारों के साथ ही पूर्व सैनिक भी किसानों के समर्थन में आ खड़े हुए हैं और केन्द्र सरकार से मिले अपने-अपने सम्मान तथा सुविधाएं लौटाने की घोषणा कर चुके हैं। ‘भारत बंद’ की घोषणा को भी समर्थन मिला। ऐसे में सरकार का हरसंभव प्रयास यही है कि मामला जल्दी से जल्दी शांत हो जाए। मुद्दा है कृषि कानून 2020 जिसने कड़ाके की ठंड को भी गर्मा दिया है।
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अपनों को परखकर यूँ परायापन दिखाते हो
पराए बन वो जाते हैं तो आंसू फिर बहाते हो
न झुकते हो न रुकते क्यों बातें तुम बनाते हो
उन्हें नीचा दिखाने को खुद इतना गिर क्यों जाते हो
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पकड़ती हूँ कसकर
उम्र की उंगलियों में
और फेंक देती हूँ
गहरे समंदर में
ज़िंदगी के
जाल एक खाली
इच्छाओं से बुनी..
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छेड़ तान गाता कोई कब
साज सभी जब बिखरे टूटे।
इक तारे की राग बेसुरी
पंचम के गति स्वर भी छूटे।
सभी साधना रही अधूरी
लगी सोच पर थाप अटकने
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भटकता हुआ अक्सर सोचता रहा हूँ
शायद बवंडर में घूमता एक तिनका हूँ
या उंजाले की तलाश करता
एक जलता बुझता दिया हूँ
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आँखों पर चश्मा हाथ में लाठी
कमर झुकी है आधी आधी
हूँ हैरान सोच नहीं पाती
इतना परिवर्तन हुआ कब कैसे |
है शायद यही नियति जीवन की
इससे भाग नहीं सकते
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'जो' है खुशी का सबब किसी के लिए
कुछ उससे ही दुखों के वस्त्र सिले जाते हैं
जमाने में फूल भी तो खिलते हैं
महज फितरत से कांटे ही चुने जाते हैं
दी है खुदा ने पूरी आजादी
कोई जन्नत, कुछ जहन्नुम से दिल लगाते हैं
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दीन हीन को ठोकर मारे
भूल रहे सच्चाई को।
बढ़ी हुई जो भेदभाव की
पाट न पाए खाई को।
मँहगाई ने मुँह खोलकर
निर्बल को लाचार किया।
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प्रसिद्ध साहित्यकार कवि मंगलेश डबराल का निधन
प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवि मंगलेश डबराल का हृदयगति रुकने से निधन हो गया है। वे कोविड 19 से संक्रमित थे और गाज़ियाबाद के एक प्राइवेट अस्पताल से अपना इलाज करा रहे थे। वे 72 वर्ष के थे।मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई 1948 को टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड के काफलपानी गाँव में हुआ और उनकी शिक्षा दीक्षा देहरादून से हुई थी।
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आज का सफर यहीं तक…
आपका दिन मंगलमय हो..
धन्यवाद ।
"मीना भारद्वाज"
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कवि मंगलेश डबराल जी को नमन
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि
–उम्दा लिंक्स चयन
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स आज के अंक की |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद मीना जी |
सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया मीना भारद्वाज जी।
सुंदर भूमिका के साथ समसामयिक विषयों और सुंदर काव्य रचनाओं की खबर देते सूत्रों से सजी चर्चा के लिए बधाई मीना जी, आभार 'मन पाए विश्राम जहाँ को' भी आज के अंक में स्थान देने हेतु !
जवाब देंहटाएंप्रिय मीना भारद्वाज जी,
जवाब देंहटाएंआपने 'चर्चा मंच' में मेरे लेख को शामिल किया है, यह मेरे लिए अत्यंत हर्ष का विषय है।
आपका हार्दिक आभार 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
इतने बेहतरीन लिंक्स संजोने के लिए आपको साधुवाद
जवाब देंहटाएं🙏💐🙏
आदरणीय मीना जी, नमस्कार ! आपके श्रमसाध्य संयोजन और प्रस्तुतीकरण के लिए आपका अभिनंदन करती हूँ..।मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..आदर सहित जिज्ञासा..।
जवाब देंहटाएंप्रिय मीना भारद्वज जी,
जवाब देंहटाएंदुष्यंत कुमार की पंक्तियों से आरम्भ आज भी यह चर्चा बहुत सार्थक एवं दिलचस्प लिंक्स का संयोजन है। साधुवाद 🌹🙏🌹
मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏
- डॉ. वर्षा सिंह
सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंडबराल जी को विनम्र श्रद्धांजलि
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार मीना जी।
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्रों से सजी सुंदर और सुगढ़ प्रस्तुति में मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार दी।
जवाब देंहटाएंसादर शुक्रिया।
सुंदर चर्चा. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति सभी लिंक्सस बेहद उम्दा एवं पठनीय.... मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद मीना जी!
जवाब देंहटाएंदुष्यंत कुमार जी की चंद शानदार पंक्तियां पूरी भूमिका में जान डाल गई बहुत सुंदर प्रस्तुति, शानदार लिंक चयन।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत आकर्षक पठनीय।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।