मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिये बिना किसी भूमिका के कुछ लिंक।
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रास न आया कृषक को, सरकारी फरमान।
झंझावातों में घिरे, निर्धन श्रमिक-किसान।।
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हुए आज मजबूर हैं, जग के पालनहार।
क्रय-विक्रय का फसल की, उनको दो अधिकार।।
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बिना बहस पारित किया, क्यों ऐसा कानून।
जो किसान हित में नहीं, बदलो वो मजमूनन।।
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शायरी मेरी सहेली की तरह
मेंहदी वाली हथेली की तरह
ये मेरा दीवान "वर्षा"- धूप का
रोशनी की इक हवेली की तरह
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यशवन्त माथुर, जो मेरा मन कहे
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Onkar Singh 'Vivek', मेरा सृजन
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हर भोर नयी हर दिवस नया
हर साँझ नयी हर चाँद नया,
हर अनुभुव भी पृथक पूर्व से
हर स्वप्न लिए संदेश नया !
Anita, मन पाए विश्राम जहाँ
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Vivek, कल्पतरु
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अगर आपके साथी किताबें पढ़ने के शौकीन हैं तो नए साल में उन्हें अच्छी किताबें Gift करें। रोमांस से भरपूर उपन्यास हो या कोई रोमांटिक फिल्म, अपनी पसंद के अनुरूप आप enjoy कर सकते हैं। फिर भी अगर तन्हाई पीछा ना छोड़े तो जॉन एलिया को याद कर लें।
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(अभिमन्यु भारद्वाज), माय बिग गाइड
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विकास नैनवाल 'अंजान', एक बुक जर्नल
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निवेदिता श्रीवास्तव, झरोख़ा
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आत्ममुग्धा, मेरे मन का एक कोना
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चिरपरिचित रहस्यभरी मुस्कान, राज
पथ के दोनों तरफ खड़े हैं
लोग बैसाखियों के
सहारे, ख़ामोश
विस्फारित
नज़रों
से
देखते हैं शाही रथ का महाप्रस्थान...
पथ के दोनों तरफ खड़े हैं
लोग बैसाखियों के
सहारे, ख़ामोश
विस्फारित
नज़रों
से
देखते हैं शाही रथ का महाप्रस्थान...
शांतनु सान्याल, अग्निशिखा :
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सधु चन्द्र, नया सवेरा
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गगन शर्मा कुछ अलग सा
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गुज़रते लम्हों ने सीखला ही दिया...
मोहब्बत जग में जाहिर की जा सकती है
गम आँसू निजी दामन में छिपाने योग्य होते हैं
समय पर ही वक़्त आता है
विभा रानी श्रीवास्तव,
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रातें काटी तारे गिन गिन
थके हारे नैन ताकते रहे बंद दरवाजे को
हलकी सी आहाट भी
ले जाती सारा ध्यान उस उस ओर
विरहन जोह रही राह तुम्हारी
कब तक उससे प्रतीक्षा करवाओगे...
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आज के लिए बस इतना ही...।
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श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद व हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंवन्दन
बहुत ही सुंदर श्रमसाध्य प्रस्तुति आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंसादर
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना के चयन के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएं"शीतल-शीतल भोर है, शीतल ही है शाम" शीर्षक यहां मेरे शहर में भी चरितार्थ हो रहा है। कंपकंपाने वाली शीत लहर चल रही है.... ऐसे में साहित्य की गुनगुनी आंच देती आज की चर्चा सार्थक है।
साधुवाद एवं नमन 🙏
मेरी पोस्ट को चर्चा में स्थान देने हेतु विनम्र आभार 🙏🌷🙏
अनेकानेक शुभकामनाओं सहित,
सादर
डॉ. वर्षा सिंह
आपका प्रयास बहुत सराहनीय है। आभार शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर लिंकों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय सर,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंवाह ! विविध विषयों पर आधारित एक से बढ़कर एक रचनाओं के लिंक्स ! आभार आज की चर्चा में मेरी रचना को शामिल करने हेतु
जवाब देंहटाएंवाह!उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को इस मंच पर स्थान देने के लिए हार्दिक आभार माननीय।
सादर।
सुभग सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya charcha
जवाब देंहटाएंसामायिक शीर्षक ।
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा।
सभी रचनाएं बहुत ही मनहर पठनीय।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
सुंदर प्रस्तुति....मेरी रचना को यहाँ स्थान देकर मान बढ़ाने के लिये बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति एवं संकलन, मुझे शामिल करने हेतु ह्रदय तल से आभार - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग पर हमेशा ही बहुत अच्छी जानकारी दी जाती है ऐसे ही लिखते रहिये Movie Website
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