मित्रों!
बुधवार की चर्चा में देखिए!
मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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बीत रहा है साल पुराना, कल की बातें छोड़ो।
फिर से अपना आज सँवारो, सम्बन्धों को जोड़ो।।
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आओ दृढ़ संकल्प करें, गंगा को पावन करना है,
हिन्दी की बिन्दी को, माता के माथे पर धरना है,
जिनसे होता अहित देश का, उन अनुबन्धों को तोड़ो।
फिर से अपना आज सँवारो, सम्बन्धों को जोड़ो।।
उच्चारण --
सधु चन्द्र, नया सवेरा
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धूप के दर से होकर चली जो हवा
क्या बताएगी वो चांदनी का पता
वो ही सावन है "वर्षा" वही है घटा
फिर भी मौसम ये लगने लगा है नया
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मुँह लगे सेवक सा कब
हुकुम चलाने लगता है
पता ही नहीं चलता
कभी सपने दिखाता है मनमोहक
कि आँखें ही चौंधियाँ जाएँ
और कभी आश्वस्त करता है
पहुँचा ही देगा मंजिल पर
Anita, मन पाए विश्राम जहाँ
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Anita, डायरी के पन्नों से
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अनीता सैनी, गूँगी गुड़िया
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- जिंदादिली ( कविता )
- तालियों की गड़गड़ाहट
और
पेट की भूख
कर देती है मजबूर
जिन्दगी जीनी ही पड़ती है
चाहे रो के जियो
चहे हँस के जियो
चाहे डर के जियो
चाहे जिन्दादिली से जियो ।
चाहे रो के जियो
चहे हँस के जियो
चाहे डर के जियो
चाहे जिन्दादिली से जियो ।
दिलबागसिंह विर्क, Sahitya Surbhi
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चराग़-ए-आरज़ू
जलाये रखना,
उम्मीद आँधियों में
बनाये रखना।
अब क्या डरना
हालात की तल्ख़ियों से,
आ गया हमको
बुलंदियों का स्वाद चखना।
Ravindra Singh Yadav, हिन्दी-आभा*भारत
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- "उलझन-सुलझन"
जिंदगी कभी-कभी उलझें हुए धागों सी हो जाती है,जितना सुलझाना चाहों उतना ही उलझती जाती है। जिम्मेदारी या कर्तव्यबोध,समस्याएं या मजबूरियों के धागों में उलझा हुआ बेबस मन। ऐसे में दो ही विकल्प होता है या तो सब्र खोकर तमाम धागों को खींच-खाचकर तोड़ दे....उलझन खुद-ब-खुद सुलझ जाएगी...
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- “शीत ऋतु”
(This image has been taken from google) गीली सी धूप मेंफूलों की पंखुड़ियांअलसायी सीआँखें खोलती हैं ।ओस का मोती भीगुलाब की देह परथरथराता साअस्तित्व तलाशता है ।- मंथन, मीना भारद्वाज
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मोहक
चाल ढाल में, कुछ अदृश्य स्पर्श
देह में रहते हैं कोशिकाओं तक
अवशोषित, वो भूल जाते
हैं मुक्त उड़ान, बस
रहना चाहते
हैं अपनों
के
नज़दीक यथावत शिकस्ता हाल
में
चाल ढाल में, कुछ अदृश्य स्पर्श
देह में रहते हैं कोशिकाओं तक
अवशोषित, वो भूल जाते
हैं मुक्त उड़ान, बस
रहना चाहते
हैं अपनों
के
नज़दीक यथावत शिकस्ता हाल
में
शांतनु सान्याल, अग्निशिखा :
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सबसे पहले आप सबको 'आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल' की ओर से नए साल की बहुत बहुत बधाई। ईश्वर से प्रार्थना है कि आप अपने नए साल के रेसोल्युशन पूरे करने में सफल रहे...
नए साल पर ज्यादातर लोग कोई न कोई रेसोल्युशन (resolution) याने संकल्प जरुर लेते है। मैं यहां पर यह नहीं बताउंगी कि नए साल पर कौन से रेसोल्युशन लेना चाहिए। ये हर व्यक्ति की अपनी प्राथमिकता और रुची अनुसार अलग अलग हो सकते है। शोध बताते है कि नए साल पर लिए जाने वाले रेजोल्युशन सिर्फ़ 8% ही पूरे हो पाते है! जबकि हर व्यक्ति सोचता है कि इस बार वो अपना रेसोल्युशन जरुर पूरा करेगा। ज्यादातर व्यक्ति थोड़े ही दिनों में बिना उन्हें पूरा किए ये भी भुल जाते है कि उन्होंने कौन से रेसोल्युशन लिए थे! आइए, जानते है कि बड़ी मेहनत और लगन से लिए गए नए साल के रेसोल्युशन पूरे क्यों नहीं होते?
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Jigyasa Singh, जिज्ञासा की जिज्ञासा
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आज की चर्चा में बस इतना ही...!
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सुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति आज की |नव वर्ष की शुभ कामनाएं |
मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
नए वर्ष के लिए अग्रिम शुभकामनाएं ! सुंदर रचनाओं के सूत्र देती चर्चा, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन व लाजवाब चर्चा प्रस्तुति सर! सभी लिंक्स एक से बढ़ कर एक । मेरी रचना को प्रस्तुति में सम्मिलित करने हेतु सादर आभार।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा अंक,मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहेदिल से आभार सर एवं सादर नमन
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति । बधाई ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति। पटल से जुड़े सभी गुणीजनों को
जवाब देंहटाएंआगामी नववर्ष की अग्रिम शुभकामनायें। ।।
सुन्दर प्रस्तुति एवं संकलन संयोजन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय शास्त्री जी..मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन..
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक एवं पठनीय लिंक्स उपलब्ध कराने के लिए आभार एवं साधुवाद आदरणीय!!!
जवाब देंहटाएंनववर्ष की मंगलकामनाएं एवं सादर नमन 🌹🙏🌹
- डॉ. शरद सिंह
आदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंसादर नमन 🙏🏻
बीत रहा है साल पुराना.... यथार्थ है। कलैंडर के पृष्ठ फटते जाते हैं और दिन-माह सरकते जाते हैं।
2020 जा रहा है और 2021 आने वाला है। इस संधि काल में यह चर्चा और इसका संयोजन बहुत बेहतरीन किया है आपने। साधुवाद 🙏🏻
.... और इस चर्चा में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार 🙏🏻💐🙏🏻
शुभेच्छाओं सहित,
डॉ. वर्षा सिंह
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन संयोजन।
मेरी रचना को सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार माननीय
शास्त्री जी 🙏💐 ।
*इस साल न कोरोना, न कोरोना का रोना,*
*अब तो हमें नई उम्मीदों के नए बीज बोना।*
*उग आएं दरख़्त इंसानियत से फूले-फले,*
*महक उठे हर दर, हर घर का कोना-कोना।।*
*नव-वर्ष मंगलकारी हो, परम उपकारी हो।*
शुभेच्छाओं सहित।