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बुधवार, दिसंबर 30, 2020

"बीत रहा है साल पुराना, कल की बातें छोड़ो" (चर्चा अंक-3931)

 मित्रों!

बुधवार की चर्चा में देखिए!
मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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गीत "बीत रहा है साल पुराना"  

बीत रहा है साल पुरानाकल की बातें छोड़ो।
फिर से अपना आज सँवारोसम्बन्धों को जोड़ो।।

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आओ दृढ़ संकल्प करेंगंगा को पावन करना है,
हिन्दी की बिन्दी कोमाता के माथे पर धरना है,
जिनसे होता अहित देश काउन अनुबन्धों को तोड़ो।
फिर से अपना आज सँवारोसम्बन्धों को जोड़ो।।

उच्चारण  
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मेरी चाहत |  ग़ज़ल |  डॉ. वर्षा सिंह |  संग्रह - सच तो ये है 

धूप के दर से होकर चली जो हवा 

क्या बताएगी वो चांदनी का पता 

वो ही सावन है "वर्षा" वही है घटा 

फिर भी मौसम ये लगने लगा है नया

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अबूझ है मन 
मुँह लगे सेवक सा कब 
हुकुम चलाने लगता है 
पता ही नहीं चलता 

कभी सपने दिखाता है मनमोहक 

कि आँखें ही चौंधियाँ जाएँ

और कभी आश्वस्त करता है 

पहुँचा ही देगा मंजिल पर 

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नया वर्ष शुभ हो सबके हित  इस वर्ष को समाप्त होने में मात्र दो दिन और चंद घंटे ही बाकी हैं, फिर पल भर को पर्दा गिरेगा,  विदा होगा वर्तमान वर्ष और आगत वर्ष मंच पर कदम धरेगा. खुशामदीद कह कर कुछ लोग नाचेंगे, कुछ  उठायेंगे खुशी का जाम और दुआ करेंगे कि उनकी  जिंदगी में रोशनी आए। कुछ नए वादे किए जाएंगे खुद से, लोग एक दूजे को  मुबारकबाद देगें। नए का स्वागत हो यह रीत है दुनिया की।
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नव वर्ष 

बहुत दिनों से बहुत ही दिनों से
  सुराही पर मैं तुम्हारी यादों के 
  अक्षर से विरह को सजा रही हूँ 
छन्द-बंद से नहीं बाँधे उधित भाव 
कविता की कलियाँ पलकों से भिगो 
कोहरे के शब्द नभ-सा उकेर रही हूँ।

अनीता सैनी, गूँगी गुड़िया 
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जिन्दगी जीनी ही पड़ती है 
चाहे रो के जियो
चहे हँस के जियो
चाहे डर के जियो
चाहे जिन्दादिली से जियो ।
दिलबागसिंह विर्क, Sahitya Surbhi 
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चराग़-ए-आरज़ू  
जलाये रखना, 
उम्मीद आँधियों  में  
बनाये रखना। 

अब  क्या  डरना 
हालात की तल्ख़ियों से,
आ गया हमको 
बुलंदियों का स्वाद चखना।
Ravindra Singh Yadav, हिन्दी-आभा*भारत 

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  • "उलझन-सुलझन" 
  •  जिंदगी कभी-कभी उलझें हुए धागों सी हो जाती है,जितना सुलझाना चाहों उतना ही उलझती जाती है। जिम्मेदारी या कर्तव्यबोध,समस्याएं या मजबूरियों के धागों में उलझा हुआ बेबस मन। ऐसे में दो ही विकल्प होता है या तो सब्र खोकर तमाम धागों को खींच-खाचकर तोड़ दे....उलझन खुद-ब-खुद सुलझ जाएगी...

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  • “शीत ऋतु” 
  • (This image has been taken from google)
    गीली सी धूप में
    फूलों की पंखुड़ियां
    अलसायी सी
    आँखें खोलती हैं ।

    ओस का मोती भी
    गुलाब की देह पर
    थरथराता सा
    अस्तित्व तलाश‎ता है ।
  • मंथन, मीना भारद्वाज 
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गृहपालित पाखी 
मोहक
चाल ढाल में, कुछ अदृश्य स्पर्श
देह में रहते हैं कोशिकाओं तक
अवशोषित, वो भूल जाते
हैं मुक्त उड़ान, बस
रहना चाहते
हैं अपनों
के
नज़दीक यथावत शिकस्ता हाल
में 
शांतनु सान्याल, अग्निशिखा :  
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सोचा-समझा प्यार 

बदले समय में ज़रूरी है 

कि हम सोच-समझकर 

नफ़ा-नुकसान देखकर 

प्यार करना सीख लें. 

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न्यू इयर रेसोल्युशन (resolution) पूूरे  क्यों नहीं हो पाते?
सबसे पहले आप सबको 'आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल' की ओर से नए साल की बहुत बहुत बधाई। ईश्वर से प्रार्थना है कि आप अपने नए साल के रेसोल्युशन पूरे करने में सफल रहे... 
नए साल पर ज्यादातर लोग कोई न कोई रेसोल्युशन (resolution) याने संकल्प जरुर लेते है। मैं यहां पर यह नहीं बताउंगी कि नए साल पर कौन से रेसोल्युशन लेना चाहिए। ये हर व्यक्ति की अपनी प्राथमिकता और रुची अनुसार अलग अलग हो सकते है। शोध बताते है कि नए साल पर लिए जाने वाले रेजोल्युशन सिर्फ़ 8% ही पूरे हो पाते है! जबकि हर व्यक्ति सोचता है कि इस बार वो अपना रेसोल्युशन जरुर पूरा करेगा। ज्यादातर व्यक्ति थोड़े ही दिनों में बिना उन्हें पूरा किए ये भी भुल जाते है कि उन्होंने कौन से रेसोल्युशन लिए थे! आइए, जानते है कि बड़ी मेहनत और लगन से लिए गए नए साल के रेसोल्युशन पूरे क्यों नहीं होते?  
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आज की चर्चा में बस इतना ही...!
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13 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    उम्दा प्रस्तुति आज की |नव वर्ष की शुभ कामनाएं |
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं
  3. नए वर्ष के लिए अग्रिम शुभकामनाएं ! सुंदर रचनाओं के सूत्र देती चर्चा, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन व लाजवाब चर्चा प्रस्तुति सर! सभी लिंक्स एक से बढ़ कर एक । मेरी रचना को प्रस्तुति में सम्मिलित करने हेतु सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर चर्चा अंक,मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहेदिल से आभार सर एवं सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर प्रस्तुति। पटल से जुड़े सभी गुणीजनों को
    आगामी नववर्ष की अग्रिम शुभकामनायें। ।।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर प्रस्तुति एवं संकलन संयोजन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय शास्त्री जी..मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन..

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत रोचक एवं पठनीय लिंक्स उपलब्ध कराने के लिए आभार एवं साधुवाद आदरणीय!!!
    नववर्ष की मंगलकामनाएं एवं सादर नमन 🌹🙏🌹
    - डॉ. शरद सिंह

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय शास्त्री जी,
    सादर नमन 🙏🏻
    बीत रहा है साल पुराना.... यथार्थ है। कलैंडर के पृष्ठ फटते जाते हैं और दिन-माह सरकते जाते हैं।
    2020 जा रहा है और 2021 आने वाला है। इस संधि काल में यह चर्चा और इसका संयोजन बहुत बेहतरीन किया है आपने। साधुवाद 🙏🏻
    .... और इस चर्चा में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार 🙏🏻💐🙏🏻
    शुभेच्छाओं सहित,
    डॉ. वर्षा सिंह

    जवाब देंहटाएं

  12. बहुत सुन्दर संकलन संयोजन।
    मेरी रचना को सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार माननीय
    शास्त्री जी 🙏💐 ।


    *इस साल न कोरोना, न कोरोना का रोना,*
    *अब तो हमें नई उम्मीदों के नए बीज बोना।*
    *उग आएं दरख़्त इंसानियत से फूले-फले,*
    *महक उठे हर दर, हर घर का कोना-कोना।।*

    *नव-वर्ष मंगलकारी हो, परम उपकारी हो।*

    शुभेच्छाओं सहित।

    जवाब देंहटाएं

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