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Saturday, December 26, 2020

'यादें'(चर्चा अंक- 3927)

 शीर्षक पंक्ति: आदरणीया मीना भारद्वाज जी की रचना से। 


सादर अभिवादन। 
शनिवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।

गुलज़ार साहब कहते हैं-

"आपके बाद हर घड़ी हमने
आपके साथ ही गुज़ारी है।"

  यादें जीवन की अनमोल निधि हैं जिनमें ख़ुशियों के ख़ूबसूरत लम्हात होते हैं तो  तल्ख़ अंदाज़ के टीसभरे एहसास भी होते हैं।कुल मिलाकर यादें रचनात्ममकता की एक ऐसी भावभूमि का निर्माण करतीं हैं जहाँ अतीत के पुरकशिश क़िस्से हमें ऊर्जावान बनाए रखते हैं।
यादों की पूँजी जीवन को अनेक प्रकार के सबक़ देती रहती है।वे बड़े अभागे मस्तिष्क होते हैं जो यादों से बरबस विहीन हो जाते हैं।

-- 

दोहे
 "नमन हजारों बार" 
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

देशभक्ति-दलभक्ति केसंगम थे अभिराम।
अमर रहेगा जगत मेंअटल आपका नाम।।
--
अटल बिहारी की नहींमिलती कहीं मिसाल।
जन्मदिवस उस लाल काजिसने किया कमाल।।

--

"यादें"

आधी सी रात  में..

धीमे से बादल उतरते ।


मोती सी तुषार बूँदें..

सरसों पर देखी बिखरते ।

--

ईसा मसीह

हँसते हुए 

सूली पर लटक जाए 

वो ईशा ही हो सकता है 

और तुम ईशा थे 

--

अंधों के शहर आईना

फिर से आज एक कमाल करने आया हूँ
अँधों के शहर में आइना बेचने आया हूँ।
सँवर कर सूरत तो देखी कितनी मर्तबा शीशे में
आज बीमार सीरत का जलवा दिखाने आया हूँ।
--
बचपन में पिता ने कहा,
'चुप रहो',
जवानी में पति ने कहा,
'चुप रहो',
बुढ़ापे में बेटे ने कहा,
'चुप रहो',
हर किसी ने कहा,
'चुप रहो',
--

माँ के कमरे में खड़े हैं

माँ तो रहीं नहीं जाने क्या 

हम,अब खोजे पड़े हैं


अलमारी से झाँकता माँ का तौलिया

मेरा पसीना पोंछने को आतुर है

सामने रखे चश्मे की 

मेरे माथे की हर सलवटों पर नज़र है

--

तृतीय जगत - -

आंख मूँद कर, तुम निगल रहे हो
खाद्य अखाद्य सब कुछ,
लेकिन, मैं नीलकंठ
नहीं हूँ, कि कर
जाऊं हर
चीज़
--
फूल-से झरो
बिखेर दो सुगन्ध
बहो अनिल मन्द,
किरन तुम
उजियारा र दो
पुलकित कर दो।
--
थका सूरज किरणों को जैसे-तैसे समेट रहा है
धुँधलका भी जल्दी से क्षितिज को लपेट रहा है
चारों ओर एक अजीब- सी बेचैनी पिघल रही है
मेरी भी लालिमा अब तो कालिमा में ढल रही है
--
पिता मूक, माता बधिर 
पितर हुए लाचार 
कोई जीता, कोई गया हार 
कभी बजी शहनाई, कभी बजा सितार 
निधि बोलीदैट इज सो क्यूट यार !
--

सखी मैं हूँ अमर सुहाग भरी ! 

प्रिय के अनन्त अनुराग भरी !

किसको त्यागूँ किसको माँगूँ 

है एक मुझे मधुमय, विषमय 

--

आँखों वाला न्याय चाहिए, अंधा प्रतिशोध नहीं

क्या अपने बहुमूल्य जीवन का अधिकांश भाग मरणासन्न अवस्था (कोमा) में रहकर बिताने वाली अरुणा शानबाग की पीड़ा (जिसका अपराधी सस्ते में इसलिए छूट गया क्योंकि उस पर वास्तविक अपराध के आरोप लगाए ही नहीं गए और हलके आरोपों को लगाकर हलकी सज़ा सुना दी गई) या हरियाणा में डीजीपी कार्यालय के सामने अपनी जान दे देने वाली सरिता की पीड़ा (जिसके अपराधी पुलिस वाले ही थे) किसी भी रूप में निर्भया की पीड़ा से कम थी ?
-- 

15 comments:

  1. बहुत सुन्दर और श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभाीर अनीता सैनी दीप्ति जी।

    ReplyDelete
  2. सुन्दर संकलन.मेरी कविता को शामिल करने हेतु आभार.

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  3. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    ReplyDelete
  4. आने वाला समय सभी के लिए मंगलमात हो

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर चर्चा।

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर और श्रमसाध्य प्रस्तुति यादों का सार्थकता प्रदान करती भूमिका । सुन्दर लिंक्स संकलन में मेरे सृजन को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार ।

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  7. सुंदर लिंक चयन और प्रस्तुतीकरण के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएँ..मेरी कविता को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार..सादर नमन..जिज्ञासा सिंह..।

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  8. हृदय कह रहा है --- दैट इज सो क्यूट यार ! अति सुन्दर चर्चा के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं ।

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  9. यादें हमारे जीवन की धरोहर होती है,बशर्ते उसे एक सुखद अनुभव बना कर रखा जाए, बहुत ही सुंदर भुमिका के साथ बेहतरीन रचनाओं का संकलन प्रिय अनीता जी सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार

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  10. यादों के खट्टे मीठे अहसास के साथ चर्चा मंच का अंक मुग्ध करता है, सुन्दर संकलन व प्रस्तुति, मेरी रचना को जगह देने हेतु आभार - - नमन सह आदरणीया अनीता जी।

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  11. बहुत सुंदर भुमिका यादों पर सार्थक व्याख्या।
    शानदार लिंक, सार्थक चर्चा अंक।
    सभी सामग्री अतीव प्रभावशाली।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

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  12. सबकी बातों से मैं भी सहमत हूँ, यादों पर यादगार रचनाएँ पढ़ने को मिली, मार्मिक संवेदनशील , गहन विचारों से भरी रचनाओ का सुंदर संकलन अनिता जी, बहुत बहुत धन्यबाद, हार्दिक आभार

    ReplyDelete
  13. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    ReplyDelete
  14. बहुत सुंदर भुमिका यादों पर सार्थक व्याख्या।
    शानदार लिंक, सार्थक चर्चा अंक।
    सभी सामग्री अतीव प्रभावशाली।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
    go now

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