सादर अभिवादन !
शुक्रवार की चर्चा में आप सब विज्ञजनों का हार्दिक अभिनंदन एवं क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
प्रभु यीशु के अवतरण दिवस की पूर्व संध्या और क्रिसमस की प्रभात वेला में सांताक्लॉज से प्रार्थना है कि-
" सबके लिए अपनी पोटली की गाँठ खोले और खुशहाली-समृद्धि और स्वस्थ जीवन रुपी उपहार बाँटे साथ ही महामारी व नैराश्य भाव से निज़ात दिला कर जिंगल बेल की सुमधुर स्वरलहरियों से समस्त विश्व में आपसी सौहार्द और समरसता के भाव का संचार करे ।"
साथ ही लोकप्रिय जननेता स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिन पर हम सभी संकल्प करें कि सदैव उनके
दिखाए मार्ग का अनुसरण करेंगे।
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अब बढ़ते हैं आज के चयनित सूत्रों की ओर-
पन्थ अनोखा बतलाया- डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
दुखियों की सेवा करने को,
यीशू धरती पर आया।
निर्धनता में पलकर जग को
जीवन दर्शन समझाया।।
जन-जन को सन्देश दिया,
सच्ची बातें स्वीकार करो!
छोड़ बुराई के पथ को,
अच्छाई अंगीकार करो!!
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होठों पर चुप्पी लिए
भावना से छूना
आना और चले जाना।
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ये सत्य है कि-"मनुष्य एक समाजिक प्राणी है" समाज में रहना नाते-रिश्तेदारों के साथ अपना कर्तव्य निभाना ये जरुरी है लेकिन, उतना ही जरुरी है खुद के साथ भी रहना।खुद के साथ रहने के लिए किसी एकांतवास या अलग कमरे में रहने की जरुरत नहीं होती, अपनी आशाओं,अपेक्षाओं और आवश्यकताओं को कम कर आप भीड़ में रहकर भी खुद के साथ रह सकते हैं और परमात्मा के असीम शक्ति और स्नेह की अनुभूति कर सकतें हैं।
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मेरे ग़ज़ल संग्रह "सच तो ये है" से -डॉ. वर्षा सिंह
पीपलों, बरगदों, आंवलों के लिए
हम दुआएं करें जंगलों के लिए
आग यूं ही धधकती रही हर तरफ
ठौर होगा कहां बुलबुलों के लिए
द्वार पर पांव रखने गई लड़कियां
चुप रहें, शर्त थी पायलों के लिए
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मढ़ा अब कहीं नहीं दिखता
माटी की भीतों का अँधेरा कमरा
था बिना झरोखों का होता
बिना दरवाज़ों के घरों में
आँगन में सूखते अनाज को
भेड़ -बकरियाँ खा जातीं
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बुरे काम का बुरा नतीजा - बाल कथा
आओ बच्चों आज मैं आपको एक कहानी सुना रही हूँ जो बहुत पुराने ज़माने की है ! किसी देश में एक छोटा सा गाँव था ! उस गाँव की आबादी बहुत कम थी और जितने भी लोग वहाँ रहते थे सब बहुत प्यार से हिल मिल के रहते थे !
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ये कायनात इश्क में डूबी हुई मिली
सागर की बाज़ुओं में उतरती हुई मिली.
तन्हा उदास शाम जो रूठी हुई मिली.
फिर से किसी की याद के लोबान जल उठे ,
बरसों पुरानी याद जो भूली हुई मिली.
बिखरा जो काँच काँच तेरा अक्स छा गया ,
तस्वीर अपने हाथ जो टूटी हुई मिली.
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राष्ट्रीय किसान दिवस - डाॅ शरद सिंह
आज आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि एक ओर जहां किसान की खुशहाली की बात की जाती है तो वहीं दूसरी ओर अधिकांश लोग कथाकार प्रेमचंद की कहानियों के किसान के रूप में किसानों को देखना चाहते हैं।
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कारवां, समय छोड़ जाता है सब
कुछ जहां के तहां। हर सांस
है बंधी प्रयोजन की
डोर से, सघन
अंधकार
में पड़े
रहते हैं सभी रिक्त मधुकोष, बिखरे
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हर ग़म जाने को है कि मौत आने को है,
चुटकी भर खुशियाँ धूल में मिल जाने को हैं।
बेइंतिहा शिकायतों के वजूद पर मेरा सबर,
पछता रहा कि जो बीता वो कल आने को है।
धोखा इस बात का था कि उम्मीदें साहिल पर थीं,
मैं घिसटता ही रहा कि साँसें टूट जाने को हैं।
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अब जब कि छाया है मधुमास
अँधेरी सर्द रातों को भूल ही जाएँ,
खिले हैं फूलों के गुंचे हर सूं
क्यों दर्द को गुनगुनाएं !
अब जब कि धो डाला है मन का आंगन
आँधियां धूल भरी क्यों याद रहें,
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गुफ्तगू, बहुत हुई गैरों से,
पर गाँठ, गिरह की, खुल न पाई!
है अन्दर, कितना अनकहा!
झील सा, अनबहा!
अब, बहना है,
इक दीवाने से, कहना है!
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दो घड़ी आत्मप्रवंचना से दूर हो बैठते हैं
कब तक यूं स्वयं को छलते रहेंगे
आखिर जीवन का उद्देश्य क्या है
बस धोखे में जीना प्रपंच मेंं जीना
आकाश कुसुम सजाने भर से
घर की बगिया कहां हरी होती है
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आज का सफर यहीं तक…
आपका दिन मंगलमय हो..
"मीना भारद्वाज"
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बहुत ही सुंदर प्रस्तुति सराहनीय भूमिका।
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को स्थान देने के लिए दिल से आभार आदरणीय मीना दी।
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
सादर
मीना भारद्वाज जी,
जवाब देंहटाएंमेरे लिए यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि आपने मेरे लेख को चर्चा मंच में शामिल किया है।
आभारी हूं।
हार्दिक धन्यवाद आपको!!!
- डॉ शरद सिंह
शानदार पठनीय सामग्री उपलब्ध कराने हेतु आभार 🙏
जवाब देंहटाएंMerry Xmas 🎄💐🎄
उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंसादर।
प्रिय मीना भारद्वाज जी,
जवाब देंहटाएंइस बेहतरीन चर्चा में स्वयं की उपस्थिति निःसंदेह हर्षित करने वाली है।
हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएं
शुभेच्छु,
डॉ. वर्षा सिंह
बहुत बहुत धन्यवाद! क्रिसमस की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंक्रिसमस की बधाई, अटल जी के जन्मदिन पर सभी को शुभकामनायें ! विविधरंगी
जवाब देंहटाएंरचनाओं से सजी सुंदर चर्चा, आभार !
बहुरंगी रचना प्रस्तुति, गीता जयंती और क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंवाह ! सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी बाल कथा को आज की चर्चा में स्थान देने के लिए आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएं"आप की प्रार्थना परमेश्वर तक पहुंचें और जिंगल बेल की मधुर ध्वनि से पुरे विश्व में सुख और शांति का वातावरण फिर से स्थापित हो जाये"
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति मीना जी, मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद
आप सभी को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर अभिवादन
बहुत सुन्दर और श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीया मीना भारद्वाज जी।
जबरदस्त लिंक ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी गज़ल को जगह देने के लिए ...
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति सराहनीय भूमिका।
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को स्थान देने के लिए दिल से आभार मीना जी
सभी लिंक बेमिसाल।
सभी रचनाकारों को बधाई।