शीर्षक पंक्ति: आदरणीय रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित कुछ रचनाएँ-
--
आशंकाएँ हैं बहुत, मन में बहुत सवाल।
करते हैं यह कामना, शुभ हो नूतन साल।।
--
होंगे नूतन साल में, फिर अच्छे सम्बन्ध।
जिससे सबका हो भला, करें वही अनुबन्ध।।
--
कभी सपाट तो ,
कभी उबड़ खाबड़ ,
राहें मिलती पल पल ।
थोड़ा गिरे तो ,
कभी थोड़ा डरे ,
तो कभी थोड़ा गए फिसल ।
--
बहुत दिनों से बहुत ही दिनों से
सुराही पर मैं तुम्हारी यादों के
अक्षर से विरह को सजा रही हूँ
छन्द-बंद से नहीं बाँधे उधित भाव
कविता की कलियाँ पलकों से भिगो
कोहरे के शब्द नभ-सा उकेर रही हूँ।
--
चाहत के इक भंवर में उलझी हुई नदी
मुट्ठी में क़ैद जैसे हीरे की इक कनी
सपनों के पर जलाकर ख़ामोश हो गई
रातों की आंच लेकर सुलगी जो चांदनी
--
मेरे नैनों ने विवश हो, कल ये मुझसे कह दिया
थक गया हूँ साथ रहकर, स्वप्न मत देखो प्रिये
नींद से बोझिल इधर मैं, तुम उधर सपनों में खोयीं
इस तरह की कशमकश में, मत मुझे छोड़ो प्रिये
--
दिन में नहीं,तो रात में सही,
सुबह को नहीं,तो शाम को सही,
कभी भी सही,पर हँसना ज़रूरी है.
--
तुमने लाख कोशिश
की अपने मन की
हर बात छुपाने की
पर मेरे दिल ने तेरी
हर कोशिश को
नाकाम कर दिया
हम तेरा हर गम
समझ लेते हैं तेरे
--
चेहरा आसां नहीं बदलना दूसरों के मुताबिक़,
भीतर का सच, हर हाल में ज़ाहिर हो जाएगा,
वो खेल चुका सभी दांव शातिराना अंदाज़ के,
सुबह से पहले वो बिसात से बाहर हो जाएगा,
भीतर का सच, हर हाल में ज़ाहिर हो जाएगा,
वो खेल चुका सभी दांव शातिराना अंदाज़ के,
सुबह से पहले वो बिसात से बाहर हो जाएगा,
--
भारतीय राजनीति में खद्दर और सफ़ेद कपडे पहनने का रिवाज शुरू से ही है , खद्दर गरीबी की मदद करने और 90 प्रतिशत भूखे नंगे समाज में खुद को गरीब सा दिखाने की तड़प है , इससे बहुमत के वोट मिलने में, आसानी रहती है !
---
बिरजू अकेला बैठा अपनी ज़िंदगी के बारे में सोच रहा था। दो बेटे-बहू एक प्यारी सी बेटी और पोते - पोतियों से भरा सुखमय परिवार था। कुल मिलाकर ज़िंदगी अच्छी ही चल रही थी।
पानी पी लो बापू..!बेटे ने कँधे पर हाथ रखते हुए कहा।
रधिया बेचारी बेटी के लिए आँसू बहा रही थी।अब रोने के अलावा कुछ नहीं रह गए।
लीला घर की खुशियाँ और इज्जत अपने साथ जो लेकर चली गई। आज के दौर में भी बड़े ही संस्कार देकर बड़ा किया था बच्चों को।
--
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
सुप्रभात सर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति।
मेरी रचना को स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
सादर
विविधरंगी विषयों पर आधारित रचनाओं के सूत्र देती चर्चा, सभी रचनाकारों को बधाई, !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी,
जवाब देंहटाएंशीर्षक पंक्ति - "होंगे नूतन साल में, फिर अच्छे सम्बन्ध" सार्थक और बहुआयामी अर्थ लिए हुए है। इस गुज़रते 2020 में हमने, समाज ने, देश और दुनिया ने बहुत कुछ झेला है। इस सदी के शुरुआती दौर में महामारी से हुआ सामना हमारी चेतना को झकझोरने वाला था।
बहुत अच्छा लिंक संयोजन है आपका 💐
आपने मेरी पोस्ट को भी शामिल किया है, यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है। हार्दिक आभार आपको 🙏
आगामी नूतन वर्ष हेतु शुभेच्छाओं सहित,
सादर,
- डॉ. वर्षा सिंह
रवीन्द्र सिंह यादव जी,
जवाब देंहटाएंमेरा नवगीत चर्चा मंच में शामिल के लिए हार्दिक धन्यवाद !!!
यह मेरे लिए सुखद है, प्रसन्नतादायक है।
आपका आभार !!!
- डॉ. शरद सिंह
बहुत रोचक एवं पठनीय लिंक्स उपलब्ध कराने के लिए आभार एवं साधुवाद !!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंजाते हुए साल को प्रणाम।
आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर और सारगर्भित रचनाओं से भरे आज के रोचक अंक को पढ़कर बहुत ख़ुशी हुई..श्रमसाध्य कार्य हेतु आपको बहुत बहुत बधाई एवं मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत आभार..सादर नमन..
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआदरणीय बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी आदरणीय रचनाकारों को बधाइयां ।
मेरी रचना को स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
बहुत शुभकामनाएं ।
बढ़िया लिंक दिए आपने पढ़ने को , रचना पसंद करने के लिए आभार आपका रविंद्र जी !
जवाब देंहटाएंविविध रंगों से सुसज्जित चर्चा मंच अपना प्रभाव छोड़ता हुआ, सुन्दर चयन व प्रस्तुति, सभी रचनाएँ असाधारण हैं, मुझे जगह देने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय रवींद्र जी, नमन सह।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंविविध रचनाओं से सुसज्जित ये मंच, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,मेरी नन्ही सी रचना को स्थान देने के लिए रवींद्र जी का ह्रदयतल से धन्यवाद
सुंदर रचनाओं का संकलन।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को शुभकामनाएंँ।
सादर।