मित्रों!
बुधवार की चर्चा में
मेरी पसन्द के कुथ लिंक देखिए।
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सबसे पहले देखिए 2 ताजा खबरें।
ट्विटर के बाद फेसबुक ने अब पुष्टि की है कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर आधिकारिक पीओटीयूएस (प्रेसीडेंट ऑफ द यूनाइटेड स्टेट) अकाउंट को चयनित राष्ट्रपति जो बाइडेन को ट्रांसफर कर देगा। प्लेटफॉर्म 20 जनवरी को बाइडेन द्वारा पदभार संभालने के बाद अकाउंट ट्रांसफर करेगा। ट्विटर ने शुक्रवार को कहा कि जिस दिन वह शपथ लेंगे उस दिन बाइडेन को पीओटीयूएस अकाउंट ट्रांसफर कर दिया जायेगा।
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केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों के लिये कांग्रेस के घोषणा-पत्र में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम को रद्द करने और कृषि-व्यापार को सभी पाबंदियों से मुक्त करने का वादा था। राहुल गांधी ने 2013 में सभी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया था कि वे फलों व सब्जियों को एपीएमसी की सूची से हटाएं और उन्हें सीधे खुले बाजार में बेचने की इजाजत दें।
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"माँ को बेटियों के परिवार में दख़ल नहीं देनी चाहिए।
बेटियाँ जितनी जल्दी मायके का मोह छोड़ती हैं
उनकी गृहस्थी उतनी जल्दी फलती-फूलती है।"
माँ आज भी इन्हीं विचारों की गाँठ
पल्लू से लगाए बैठी है।
अनीता सैनी, अवदत् अनीता
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किसान |
अन्नदाता |
ग़ज़ल | शायरी |
"ग़ज़लयात्रा" में प्रस्तुत कर रही हूं हमारे अन्नदाता किसानों के प्रति समर्पित कुछ चुनिंदा कवियों/शायरों की शायरी और ग़ज़लें।
काँधे पर हल धरे किसान।
करता खेतों को प्रस्थान।।
मत कहना इसको इंसान।
यह धरती का है भगवान।।
- डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बाँझ हो जाती है ज़मीं नक़ल बाज़ार की करता है जब किसान
सरकार को आता है पसीना पसीने की कमाई का भाव जब माँगता है किसान।
- रवीन्द्र सिंह यादव
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किसान की कमर पर मार हथौड़ा ,
प्लास्टिक की बनी सब्जी-तरकारी,
शौहरत की महक में मरी मानवता ,
दिखावे में डूबी जनता बेचारी,
- अनीता सैनी
डॉ. वर्षा सिंह
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निवेदिता श्रीवास्तव, झरोख़ा
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Manjit Thakur, गुस्ताख़
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Sadhana Vaid, Sudhinama
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डॉ टी एस दराल, अंतर्मंथन
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किस मोह में है धावित माया मृग,
खोजता है जीवन, स्वयं के
अंदर स्वयं की ही
प्रतिच्छाया,
किस
लिए इतनी पिपासा, किस मरुधरा
में हैं घनीभूत, सभी भ्रामक
मृग तृष्णा, सहसा
उठें रेत के
झंझा,
सांध्य आकाश में बुझ जाए ध्रुव
खोजता है जीवन, स्वयं के
अंदर स्वयं की ही
प्रतिच्छाया,
किस
लिए इतनी पिपासा, किस मरुधरा
में हैं घनीभूत, सभी भ्रामक
मृग तृष्णा, सहसा
उठें रेत के
झंझा,
सांध्य आकाश में बुझ जाए ध्रुव
शांतनु सान्याल, अग्निशिखा :
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सधु चन्द्र, नया सवेरा
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सामने वाला हैरान
हो जाये तो क्या,
अपनी धुन में जो
मगन रहा,
उसी का मस्त
जीवन रहा।
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Onkar Singh 'Vivek', मेरा सृजन
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रौद्र रुप राम दूत राखे लखन प्राना ।
रोग-शोक चिन्ता भय भेद भावना,
नाश करें पल में भरें भक्ति भावना।।
gstshandilya, स्व रचना
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पी.सी.गोदियाल "परचेत", 'परचेत'
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anita _sudhir, काव्य कूची
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आज के लिए बस इतना ही...।
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शानदार। आभार आपका, सर🙏
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंसादर नमन
चर्चा मंच पर आज भी सदैव की भांति बेहतरीन लिंक्स का सुंदर संयोजन किया है आपने, साधुवाद 💐
मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏💐🙏
शुभकामनाओं सहित,
डॉ. वर्षा सिंह
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं से सजी लाजबाव प्रस्तुति सर, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत ही सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का संकलन ! मेरी रचना को आज की चर्चा में सम्मिलित किया आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी रचना को इस चर्चा में समल्लित करने के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंआकर्षक संकलन व सुन्दर प्रस्तुति, सभी रचनाएं अपने आप में अद्वितीय हैं, मुझे स्थान देने हेतु ह्रदय तल से आभार - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं से सजी लाजबाव प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार....