बुधवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
स्मृति में तुम जैसे फैला आकाश सुवासित मैं।
स्मृति में तुम
जैसे फैला आकाश
सुवासित मैं।
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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मेरे आजाद भारत को अब देखिए,
हो रहे कत्ल हैं बेसबब देखिए,
अब नई नस्ल को बेअदब देखिए,
कैसे आ पायेगा मुल्क में अब अमन।
उन शहीदों को मेरा नमन है नमन।।
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ज्यों तुम आए
जी उठी मैं फिर से
अब न जाओ।
सीधा बनने में सदा
रहे एक नुकसान
गुरु तो गुरु,लघु भी नहीं
करते हैं सम्मान.
रहे एक नुकसान
गुरु तो गुरु,लघु भी नहीं
करते हैं सम्मान.
यकीन तो बहुत है
तुम पर ..
तुम पर ..
सतरंगी सपनों का
मखमली अहसास
और
मखमली अहसास
और
सुर्ख रंगों की शोखियाँ ;
मैने बड़े जतन से
इकट्ठा कर...,
तुम्हारे अंक में पूर दिए हैं
इकट्ठा कर...,
तुम्हारे अंक में पूर दिए हैं
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घर के ही लोग घर को मकान बना देते हैं
वरना कौन होना चाहता है बेघर साकी ।
जिन्दगी का स्याह रुख देखा हो जिसने, उसके
दिल के किसी कोने में बैठा ही रहे डर साकी ।
वरना कौन होना चाहता है बेघर साकी ।
जिन्दगी का स्याह रुख देखा हो जिसने, उसके
दिल के किसी कोने में बैठा ही रहे डर साकी ।
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कण कण पर रिमझिम सी बूँदें
लाइ हैं संदेस अनमोल
प्रकट हुआ आह्लाद ह्रदय का ,
ऐसे आई नवल विभोर
बूंदों की रिमझिम में साजन
सजनी का श्रृंगार वही
प्रकृति ओढ़े हरियाली
है सावन का राग वही
गज़ब का सम्मोहन उसकी हर बातों में
दिलकश मीठे मीठे रूमानी अंदाज़ों में
लफ्जों अल्फाजों की वो सुन्दर जादूगरी
जुगनू सी चमकती उसके होटों की हसी
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मेरी आँखों में बसी
तेरी मनमोहनी सूरत
कितनी भोलीभाली
मासूम सी दीखती |
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मेरे मित्र त्यागराजनजी बहुत सीधे, दुनियादारी से परे एक सरल ह्रदय और खुशदिल इंसान हैं। किसी पर भी शक, शुबहा, अविश्वास करना तो उन्होंने जैसे सीखा ही नहीं है। अक्सर अपने-अपने काम से लौटने के बाद हम संध्या समय चाय-बिस्कुट के साथ अपने सुख-दुख बांटते हुए दुनिया जहान को समेटते रहते हैं। पर कल जब वह आए तो कुछ अनमने से लग रहे थे ! जैसे कुछ बोलना चाहते हों पर झिझक रहे हों ! मैंने पूछा कि क्या बात है ? कुछ परेशान से लग रहे हैं ! वे बोले, नहीं ऐसी कोई बात नहीं है ! मैंने कहा, कुछ तो है, जो आप मूड़ में नहीं हैं। वे धीरे से मुस्कुराए और बोले, कोई गंभीर बात नहीं है, बस ऐसे ही कुछ उल्टे-सीधे, बेतुके से विचार बेवजह भरमाए हुए हैं। सुनोगे तो आप बोलोगे कि पता नहीं आज कैसी बच्चों जैसी बातें कर रहा हूं ! मैंने कहा, अरे, त्यागराजन जी हमारे बीच ऐसी औपचारिकता कहां से आ गई ! जो भी है खुल कर कहिए ! क्या बात है।
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कुछ महीनों बाद महक को एक नामी विदेशी विश्वविद्यालय में अध्यापन हेतु प्रोफ़ेसर पद का प्रस्ताव आया था। महक उस अप्रत्याशित प्रस्ताव को पाकर आल्हाद से भर गई थी। सोच रही थी पिछले दिनों उसके कार्यक्रम के वायरल हुए वीडियो का असर हुआ है शायद...!
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"नानी माँ, अगर मैं अपनी पसंद से शादी कर लुंगी तो क्या आप उसे अपना लेंगी " मनु ने नानी माँ को गले लगाते हुए बड़े प्यार से पूछा। हाँ ,अपना ही लेंगे और कर भी क्या सकते हैं .....आखिर रहना तो तुम्ही को है उसके साथ....इसीलिए अपनी पसंद से लाओ तो ही बेहतर है - नानी माँ ने भी उसी प्यार से जबाब दे दिया। मैंने तुरंत एतराज किया -"ये क्या माँ,हमें तो लड़को से बात करने की भी आजादी नहीं थी,बात क्या हमें तो किसी लड़के की तरफ देखना तक मना था और इसे अपनी पसंद से शादी करने की इजाजत मिल रही है "
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दोस्तों, आज मैं आपके लिए एक बिल्कुल नई रेसिपी लेकर आई हूं। क्रिस्पी स्नैक्स रेसिपी और वो भी भिंडी की! आपने भिंडी की अलग अलग तरह की सब्जियां या कढी खाई होगी लेकिन क्या आपने भिंडी से कोई स्नैक्स बनाया या खाया है? नहीं न! तो आइए, आज हम बनायेंगे कुरकुरे भिंडी बाइट्स (crispy bhindi bites)…जो उपर से तो क्रिस्पी बनते है और अंदर से सॉफ्ट होते है।
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आज का सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे
आगामी अंक में
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
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शुभ प्रभात! उत्तम लिंक्स संयोजन।मेरी रचना को स्थान देने हेतु सादर धन्यवाद अनीता जी।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंआज का अंक बहुत बढ़िया |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
बहुत सुन्दर और विविधता से परिपूर्ण चर्चा प्रस्तुति । मेरी रचना को प्रस्तुति में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचनाओं का संकलन प्रिय अनीता ,मेरी पुरानी रचना को भी सम्मान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद,सभी को शुभकामनायें एवं नमन
जवाब देंहटाएंBahut bahut dhanyavad mitron.aap sabhi ki sahityik pahal sach men kabile tarif hai.
जवाब देंहटाएंसुंदर, रुचिकर संयोजन के लिए बधाई अनीता सैनी 'दीप्ति'जी 🙏
जवाब देंहटाएंअनीता जी, लाजवाब ! धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंरोचक एवम सुंदर रचनाओं का संकलन ।बहुत आभार आपका अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां चर्चा संकलन
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