सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक आदरणीय संदीप जी की रचना से )
आप सभी को पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनायें मगर सोचती हूँ क्या सिर्फ शुभकामनायें देने भर से पर्यावरण में बदलाव हो जायेगा ?यकीनन नहीं, तो हमें कुछ तो अपनी तरफ से प्रयास करना ही होगा... खुद से जो बन पड़ेगा वो करने का संकल्प लेते हुए...
चलते है, आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....
---------------------------
...क्योंकि वन्य जीव श्वेत पत्र जारी नहीं कर सकते
अक्सर हम
जंगल की मानवीय भूल पर
क्रोधित हो उठते हैं
जंगल से हमारी आबादी में
जंगली जीव की आदम
-------------------------------
आक्रोश
क्या शाम के नाश्ते में मैगी/पास्ता खा लेंगे?
भुजा खिलाओ न ! विदेश चलन मुझे नहीं पचता।
थोड़ा आप भी समझने की कोशिश करें,
अपार्टमेंट निवास मुझे नहीं जँचता।
तालाब पाटकर शजर काटकर
अजायबघर बनाने से मन नहीं भरा।
--------------------
अम्बर नीला का नीला है
दुःख काल्पनिक हो सकते हैं
सुख लेकिन उस परम से आता,
सत्य वही है सदा टिके जो
गहन नींद में दुःख न सताता !
-----------------------------
मुझे क्या!
मुझे क्या!
भूला सा, हूँ मैं इक पल,
या, इक छल,
जैसे, ठोस लगे कोई जल!
खोया हूँ, तेरी ही विस्मृति के, आंगण में,
बंधा हूँ, नभ के भीगे से, उस घन में,
शायद, उभर जाऊँ सावन में!
----------------------------------
जिन्दगी की शाम
फिर भी उसकी जिन्दगी विरान है!
परिवार रूपी बगीचे को लगाने वाला माली,
उसी बगीचे की छांव के लिये मोहताज है!
-------------------------------------
724. जीने का करो जतन
काँटों की तक़दीर में, नहीं होती कोई चुभन
दर्द है फूलों के हिस्से, मगर नहीं देते जलन।
शमा तो जलती है हर रात, ग़ैरों के लिए
ख़ुद के लिए जीना, बस इंसानों का है चलन।
--------------------------------------
तरुवर सा तरुण यह पागल सा मन आज l
टटोल रहा बारिश में खोये हुए पल आभास ll
डोरे डाल रहे कजरे सँवरे सँवरे गगन आकाश l
तन लिपट रही शबनमी बूँदे बरस बरस आज ll
-------------------------------
कुछ अहसास होना मजबूरी है कविता खूबसूरत शब्द है बकवास जरूरी है जी भर कर भौंकना चाहता हूँ
लिख लिया जाये कहीं किसी कागज में एक खयाल
बस थोड़ी देर के लिये उसे रोकना चाहता हूँ
ना कागज होता है कहीं ना कलम होती है हाथ में
यूँ ही सब भूल जाने के लिये भूलना चाहता हूँ
------------------------------
21 मजेदार पहेलियाँ जो समझदार लोग ही सुलझा पाएंगे…भाग 2
दोस्तों, पहेलियां पुछना या बुझना सभी को बहुत पसंद होता है। यदि आप भी पहेलियों के जबाब देने के शौकीन है, तो यह लेख आप ही के लिए है। ऐसी ही पहेलियाँ आईएएस (IAS) या आईपीएस (IPS) परिक्षा में interview के वक्त भी पूछी जाती है। वैसे भी शोध बताते है कि पहेलियाँ दिमागी कसरत का सबसे बेहतरीन माध्यम होती है। ये सभी पहेलियाँ एकदम नई और रोचक है...इन पहेलियों के जबाब देकर जांचिये खुद की दिमागी क्षमता को...सभी पहेलियों के जबाब पहेलियों के अंत में दिए गए है।
-------------------------
चलते-चलते जरूर पढियेगा पर्यावरण पर बहुत ही सुंदर रचना...
पर्यावरण संदेश।तीर्थ वृत और यज्ञ के पहले , एक एक वृक्ष लगाओ।
*पर्यावरण * *वृक्ष हमें देते है जीवन , ये जीवन सफल बनाओ ।* *तीरथ व्रत और यज्ञ के पहले ,एक एक वृक्ष लगाओ ।।*
*वृक्ष धरा के भूषण है , ये करते दूर प्रदूषण ।*
*वसुधा का श्रंगार करो तुम ,पहना पादप भूषण ।।*
--------------------------
आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे...
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें
बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंसभी को हार्दिक बधाई।
समय मिलते ही सभी रचनाएँ पढूँगी।
सादर
सभी को पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी...। मेरी रचना को सम्मान देने के लिए साधुवाद...। सभी रचनाएं अच्छी हैं...।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामीनी दी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सजी सार्थक और श्रमसाध्य प्रस्तुति कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंआभार कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपर्यावरण दिवस पर सभी पेड़ लगाएं तो भारत में ऑक्सीजन की कमी नहीं रहेगी। पठनीय रचनाओं के सूत्रों से सजी सुंदर चर्चा में मुझे भी स्थान देने के लिए आभार कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंमंच पर उपस्थित होने के लिए आप सभी स्नेहीजनों को तहेदिल से शुक्रिया एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका विलम्ब हेतु क्षमाप्रार्थी हूँ
हटाएंश्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद