सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भूमिका आदरणीया अनीता जी की रचना से )
"दीप की लौ में जो बसा है
वह प्रकाश चहुँ ओर बिखरता,
प्रेम, शांति, आनंद की ज्योति
उस से पाकर जगत सँवरता !"
नटवर नागर के चरणों में सत-सत नमन करते हुए..
आईये, आज की रचनाओं का आनंद उठाते है....
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अग्नि काष्ठ में, नीर अनिल में
प्रस्तर में मूरत इक सुंदर,
सुरभि पुष्प में रंग गगन में
ऐसे ही घट-घट में नटवर !
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उदास पाम
फिर घर मेरे ये आ गया
रौनक बढ़ा घर की मेरी
सबका ही मन चुरा गया
माना ये भी सबने कि इससे शुद्ध साँस है
लगता नहीं है मन कहीं इसी के पास है
जब से मेरा ये पाम इस कदर उदास है
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बारह हजार किलोमीटर पार तक
उस मिट्टी के गंध की बेचैनी थी
रात में, दिन में, जागते हुए, नींद में सोये हुए
आसान नहीं था , सबकी अनुसनी करना
आसान नहीं था, डॉलर की गठरी पर
चुपचाप, सर छुपा कर सो जाना
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अरेंज मैरिज की एक खास बात होती है "यहाँ हम एक दूसरे से बिलकुल अनभिज्ञ होते।एक दूसरे से प्यार होने की बात तो दूर एक दूसरे को ठीक से देखे तक नहीं होते हैं और ऐसे में एक दिन हमें एक डोर में बांध दिया जाता है और आज्ञा दी जाती है कि -तुम्हे साथ रहना भी है और निभाना भी। हमारे समय में ऐसी स्थिति में कोई विकल्प नहीं होता था तो पहले ही दिन से मानसिकता ही यही होती थी " तन-मन समर्पण की " तो आधी समस्या यही सुलझ जाती थी।
आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे...
पठनीय सूत्रों का संकलन। अत्यंत आभार!!!
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा मंच, बधाई और आभार कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स पर जाना हुआ । बेहतरीन संकलन । शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंउम्दा एवं पठनीय लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति... मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी!
जवाब देंहटाएंसुंदर तथा पठनीय सूत्रों से सजा अंक । आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
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