आदरणीय ब्लॉगर साथियों आज की चर्चा के साथ हाज़िर हूँ आपके बीच कुछ जाने कुछ अनजाने लिंक के साथ … ब्लॉगिंग की दुनिया के समुन्दर में इतने नगीने हैं की सब को उठा पाना मेरे लिए सम्भव नहीं हो पाया तो कुछ मोती आप सब के लिए … कृपया जितना हो सके कुछ न कुछ कमेंट ज़रूर करें इन पर, नए लिंकों पर … सबका उत्साह बना रहेगा तो हिन्दी ब्लॉगिंग का भविष्य उज्ज्वल रहेगा …
730. योग
मेरे लिए सब से बड़ी परेशानी पीने के पानी
की थी । हॉस्टल में मेरे जैसी चार-पाँच लड़कियों को छोड़ कर तमाम लड़कियाँ पीने के पानी को लेकर सहज थी वही हमारे लिए वह पानी बहुत खारा था । अत्यल्प बारिश के कारण रेतीले इलाकों में वर्षा के जल को संग्रहित करने की परम्परागत प्रणाली कुंड या टांके हैं जिनमें संग्रहित जल का मुख्य उपयोग वहाँ के निवासी पेयजल के लिए करते हैं। प्रदूषण और दुर्घटना को रोकने हेतु इस प्रकार के जल स्रोत ढक्कन सहित तालों से बंद होते हैं। इनका निर्माण संपूर्ण मरूभूमि में लगभग हर घर में किया जाता है, क्योंकि मरूस्थल का अधिकांश भू जल लवणीयता से ग्रस्त होने के कारण पेयरूप में काम में लेना असंभव है । अतः वर्षा के जल का संग्रहण यहाँ के निवासियों के लिए दैनिक जल आपूर्ति के लिए अनिवार्य है ।
भारतीय मसालों का अदभुत संसार है। खुशबू, रंगत से लेकर स्वाद बढ़ाने में इन्ही छुपे रुस्तमों का हाथ होता है। मसाले न हों तो दावत ज्यौनार का आधे से अधिक रुतबा फ़ीका पड़ जाये। हमारे मसाले सिर्फ व्यंजनों की आब और ज़ायका ही नहीं बढ़ाते बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कहते हैं न कि , “ दवा के साथ दुआ ही काम आती है। ” ये मसाले उन्हीं दुआओं में शामिल होते हैं।
इससे पहले हम लोगों ने स्याह जीरे की बातचीत का विषय बनाया था। आज चर्चा में है “ कबाबचीनी ”
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संतुष्टि है मुझको उससे ,जो कुछ भी है मुझे मिला
एक प्यारी सुंदर पत्नी है, प्यार लुटाने वाली जो
मेरे जीवन में लाई है, खुशहाली, हरियाली जो
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मुक्तिबोध की कविताओं की मुख्य विशेषता | हिन्दीकुंज,
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प्रतिभा की दुनिया ...: ख़्वाब जो बरस रहा है
क्या है गलत और क्या है सही
जानने को अति उत्सुक होना
कहाँ हुई चूक मुझे समझाना
कहीं बाधा तो न आएगी कार्य सिद्धि में |
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Sharad Singh: धर्म और प्रेम | कविता | डॉ शरद सिंह
आओ,बैठें
किसी सूखी डाली पर,
जीवंत कर दें ठूँठ को,
महसूस करें
कि इस डाली से उस डाली तक
हमारे फुदकने में
अब कोई बाधा नहीं है,
पत्तों की भी नहीं.
मन की वीणा - कुसुम कोठारी। : किरीट सवैया छंद
शुभ प्रभात ...
जवाब देंहटाएंआदरणीय नसवा जी की विहंगम दृष्टि में मैं भी समा पाया, शुक्रिया। ।।।। इस सम्मान हेतु आभारी हूँ।।।।।
बहुत ही सुंदर सी इस प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकारें। ।।। नमन।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा अंक आज का |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
अतिथि चर्चाकार के रूप में आ.नासवा जी
जवाब देंहटाएंद्वारा प्रस्तुत अति सुन्दर सूत्रों से सजा पुष्पगुच्छ सा
चर्चा संकलन । चर्चा में मेरे सूत्र को स्थान दे कर सम्मान देने के लिए हृदयतल से असीम आभार ।
उम्दा लिंको से सुसज्जित ये चर्चा मंच ।
जवाब देंहटाएंरचनाओं का कलेवर ही सुंदर और स्पष्ट ।
सभी को बधाई
सादर
सुंदर ,पठनीय सूत्रों से सज्जित चर्चा अंक,सभी को बहुत शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत रंग- बिरंगा , विविधता से भरा सफर रहा …कल से सबके ब्लॉग पर जाकर पढ़ कर कमेन्ट करने की कोशिश की …कुछ ब्लॉग पर प्रथम बार गई…चर्चा अंक खूब रोचक व पठनीय है…बधाई आपको और सभी रचनाकारों को…मेरी रचना का चयन करने के लिए आभार🙏😊
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंअतिथि चर्चाकार के रूप में आ.दिगंबर जी को देख बेहद ख़ुशी हुई,बेहतरीन रचनाओं से सुशोभित लाजबाब चर्चा अंक,थोड़ी व्यस्तता के कारण सभी लिंकों पर नही जा पाई हूँ मगर कल जरूर पढूंगी। आपको सादर नमन दिगंबर जी
जवाब देंहटाएंशानदार रही आज की चर्चा,नासवा जी की भूमिका और चयन बहुत ही आत्मीयता पूर्ण है। स्वागत है आजकी चर्चा का हृदय से।
जवाब देंहटाएंसभी ब्लागर बहुत ही शानदार प्रस्तुति के साथ कई नये ब्लागर दिखे, ये एक अविस्मरणीय अनुभव रहा सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को इस उत्कृष्ट चर्चा में जगह देने के लिए हृदय से आभार।
सादर।
बेहतरीन संकलन नासवा जी...👏👏👏
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर बहुत बहुत आभार इतनी सुन्दर प्रस्तुति पढ़वाने तैयार करने हेतु । बहुत बहुत आभार चर्चा मंच के अतिथि चर्चाकार का निमन्त्रण स्वीकार करने के लिए 🙏🙏
जवाब देंहटाएंअत्यंत हर्ष हुआ।
सादर
बेहतरीन संकलन में मुझे भी स्थान देने हेतु दिल से आभार।
जवाब देंहटाएंसादर
खूबसूरत चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति नासवा जी!
जवाब देंहटाएंभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
सुंदर प्रस्तुति.मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंविभिन्न लिंकों से सजी शानदार चर्चा ।
जवाब देंहटाएंजाते हैं ब्लॉग लिंक्स पर ।
thanks for this information
जवाब देंहटाएंझाँक घरों में चंदा पूछे
जवाब देंहटाएंकहाँ छुपी है मानवता।
क्रोध दामिनी का फिर फूटा
देख आज की दानवता।
जीवन काँप रहा है थर-थर
छोड़ प्राण भी भागे तन।
प्रेम नगरिया……
इस कविता के लिए बेनी चाहिए तालियां
Thanks
Study Root !
आओ,बैठें
जवाब देंहटाएंकिसी सूखी डाली पर,
जीवंत कर दें ठूँठ को,
महसूस करें
कि इस डाली से उस डाली तक
हमारे फुदकने में
अब कोई बाधा नहीं है,
पत्तों की भी नहीं.
Great 👍
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