सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भूमिका आदरणीया अनीता सुधीर जी की रचना से )
प्रीत जगे जिस घट अंतर में
वही कुसुम सा विहँसे खिल के,
यह वरदान उसी से मिलता
जो माधव मधुर सलोना है !
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विदिशा ने देखा, चन्दन क्लास ख़त्म होने के बाद उसके पीछे-पीछे चला आ रहा था। वह कैन्टीन की तरफ मुड़ गई। कैन्टीन में काउन्टर पर एक चाय का आर्डर कर पेमेन्ट करके वह एक टेबल पर आ गई। कैन्टीन में इस समय एक लड़का और दो लड़कियाँ एक अन्य टेबल पर बैठे हुए थे। अभी चाय आई ही थी कि सामने वाली कुर्सी पर चन्दन आकर बैठ गया।
कितना सबकुछ
छूट जाता है ना पीछे
समय के साथ।
मां की गोद
उसका वो
अकेले क्षणों का दुलार।
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कैसे रहते इस दुनिया में अकेले
कोई तो चाहिए था साथ के लिए
हमारे जैसी सोच का मालिक होता
हम कदम होता हर पल साथ देता |
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"क्यों लगती है प्यास ?
न पूछो मुझसे छुटकूलाल ।"
कहते--कहते गर्मी जी का ,
चेहरा होगया लाल ।
"सर्दी ने गुड ,गजक ,बाजरा ,
उड़द मखानी दाल ,
तिल की टिक्की गरम मँगौड़े,
परसे भर-भर थाल ।
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ईश्वरीय आस्था सच में बहुत बड़ी होती है, इतनी बड़ी कि उसके आगे दुनिया की हर चीज छोटी है नजर आती है.
भगवान श्री राम के प्रति आस्था को और मजबूत करती है यह फोटो
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𝘼𝙡𝙡 𝙖𝙧𝙩𝙞𝙘𝙡𝙚 &𝙥𝙤𝙚𝙢𝙨 𝙞𝙨 𝙗𝙚𝙨𝙩 𝙗𝙪𝙩
जवाब देंहटाएंसिर्फ सोशलमीडिया पर ही नहीं जम़ीन पर भी पेड़ लगाएं इस पर्यावरण दिवस पर 𝙞𝙨 𝙗𝙚𝙨𝙩 𝙖𝙧𝙩𝙞𝙘𝙡𝙚 𝙞𝙣 𝙩𝙝𝙚 𝙖𝙡𝙡 𝙥𝙤𝙨𝙩 .𝙄 𝙩𝙝𝙞𝙣𝙠 𝙨𝙖𝙗𝙠𝙤 𝙧𝙚𝙖𝙙 𝙠𝙖𝙧𝙖𝙣𝙖 𝙘𝙝𝙖𝙝𝙞𝙮𝙚 𝙮𝙚 𝙖𝙧𝙩𝙞𝙘𝙡𝙚 𝙗𝙚𝙘𝙖𝙪𝙨𝙚 𝙩𝙝𝙞𝙨 𝙞𝙨 𝙫𝙚𝙧𝙮 𝙪𝙨𝙚𝙛𝙪𝙡 𝙖𝙧𝙩𝙞𝙘𝙡𝙚 𝚂𝚘 𝙸 𝚛𝚎𝚚𝚞𝚎𝚜𝚝 𝚝𝚘 𝚊𝚕𝚕 𝚙𝚕𝚎𝚊𝚜𝚎 𝚛𝚎𝚊𝚍 𝚝𝚑𝚒𝚜 𝚊𝚛𝚝𝚒𝚌𝚕𝚎 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Thank so much dear strangers 🙏🙏🙏
हटाएंचर्चा में सामिल सभी रचनाएँ और लेख बहुत ही खूबसूरत है और उपयोगी! मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में सामिल करने के लिए तहेदिल से धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका कामिनी जी। आभारी हूं आपको मेरी रचना पसंद आई और उसे सम्मान देने के लिए। सभी चयनित रचनाएं बहुत अच्छी हैं। कुछ देख ली है कुछ अभी देखनी बाकी हैं।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका मेरी रचना को स्थान देने के लिए इस अंक में 0
जवाब देंहटाएंपर्यावरण दिवस के आगमन की सूचना देती भूमिका और लेखों से सजा चर्चा मंच, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआद. कामिनी जी
बहुत-बहुत धन्यवाद
आपने मेरी पोस्ट को स्थान दिया आज की चर्चा मंच की पोस्ट में .....
सुन्दर रचनाओं के लिंक्स से सुसज्जित इस अंक में मेरी कहानी 'हरे जख्म' को स्थान देने के लिए आ. कामिनी जी का हार्दिक स्नेहिल आभार! सभी लेखकों को बधाई!
जवाब देंहटाएंवाह लाजबाव कृतियों का संकलन
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