शनिवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
शीर्षिक पंक्ति व काव्यांश आ. शांतनु सान्याल जी की रचना से -
की रचना से -
हम ढूंढते
हैं अंतःनील में सुबह को एक साथ, जीने -
की ख़्वाहिश बढ़ा गई है निशांत की
बरसात। न जाने कितने ही
पागल हवाओं से निकल
कर छुआ है तुम्हें
सुख पाखी,
एक
छुअन, जो सांसों को दे जाए अनगिनत
स्पंदन, एक दीर्घ निःस्तब्धता जो
मिटा जाए व्यथित रूह की
थकन,
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
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झूलती सी हैं परछाइयां अहाते में कहीं सूख
रहे हैं भीगे पल, जीने की ख़्वाहिश बढ़ा
गई है निशांत की बरसात, मझधार
का द्वीप डूब चुका है बहुत
ही पहले, अब है लहर
ही लहर, हद ए
नज़र,
रहे हैं भीगे पल, जीने की ख़्वाहिश बढ़ा
गई है निशांत की बरसात, मझधार
का द्वीप डूब चुका है बहुत
ही पहले, अब है लहर
ही लहर, हद ए
नज़र,
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बावरे-फ़क़ीरा:गया किमाच कौन मोगरे के हार में !!
एक गीत आस का
एक नव प्रयास सा
गीत था अगीत था !
या कोई कयास था...?
गीत पे अगीत का वो दोष मढ़ गया कहो...?
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तारे हैं दूर आसमां में
तारे हैं दूर आसमां में
और जमीं पे हम,
बस, इक सितारा छूने का
अरमां लिए हुए।
--
ओ पापा!
तुम गए
साथ ले गए
मेरा आत्मबल
और छोड़ गए मेरे लिए
कँटीले-पथरीले रास्ते
जिसपर चलकर
मेरा पाँव ही नहीं मन भी
छिलता रहा।
--
मैं पूछ बैठा
बस्ती में
क्या प्रेम
बसता है
शरीर में
मन में
आत्मा में
या फिर
केवल शरीरों का एक लबाजमा है
बस्ती की काया।
वह गया
जेबें खाली की
बाज़ार में,
एक-एक टुकड़ा
खरीदता रहा
प्रेम का
दूकानों से
छज्जा अडग्यूँ घोल पुराणु
कन ह्वे तेकुण सब विराणु
एजा घिंडुड़ी ! सतै ना तू
बोल घिंडुड़ी कनै गे तू !!
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रंज ना हुआ उन हाथोँ को एक पल को भी
नश्तर सी चुभती रही टूटे शीशे की धार
दरिया रिस्ते लहू का था बड़ा ही बदनाम
धड़कनों पे था मौन रहने का इल्जाम
--
कुछ तुमने कहा है
क्या मैंने सून लिया
कहीं कोई चूक
हो गई है |
कोई अर्थ न निकला
इस वार्ता का
अर्थ का अनर्थ हुआ
देख कर हँसी थम न सकी |
बाबू जी आपकी बहूत इज़्ज़त करता हूँ । सब कुछ आपका ही तो है राजेश ने अपनी बात रखते हुए कहा :--
आइये आगे देखते हैं :-
राजेश जैसे ही आफ़िस से घर पहुँचा, उसकी पत्नी कामिनी ने अपनी बाई को आवाज़ लगा कर कहा - 'प्रिया' साहब के लिए चाय लेकर आओ और राजेश से बोली - आप फ्रेश हो लीजिये मैं टेबल पर चाय लगवाती हूँ।
पिंटू पापा के आते ही उससे चिपट गया । पापा चाकलेट लाये हो ? राजेश ने जेब से दो चाकलेट निकाल कर उसे दे दीं ।
वो खुशी खुशी लेकर बाहर चला गया ।
अलग-अलग संस्कृति में धर्म का अर्थ अलग-अलग होना संभव है । इसी प्रकार नैतिकता के अर्थ में भी किंचित भिन्नता हो सकती है । किंतु सभी संस्कृतियों में धर्म का सामान्यीकृत अर्थ 'ईश्वरीय सत्ता पर विश्वास' है । इसी प्रकर नैतिकता का सर्वस्वीकृत अर्थ ‘मानवीय सद्गुणों पर आधारित व्यवहारों का समूह’ है । दुनिया के लगभग सारे धर्मों ने अपने प्रारंभिक स्वरूप में व्यक्ति के नैतिक गुणों के विकास पर अधिक जोर दिया है । विभिन्न स्मृति ग्रंथों में क्षमा, दया, संयम, धैर्य, सत्य आदि धर्म के जो विभिन्न लक्षण बताए गए हैं वे सभी मानवीय गुण हैं, मनुष्य के नैतिक गुण हैं । तैत्तिरीय उपनिषद की उक्ति ‘सत्यं वद, धर्मं चर’ में ‘धर्मं चर’ का आशय ‘नैतिक नियमों के अनुसार आचरण’ करना है । तब धर्म और नैतिकता का लगभग समान अर्थ था ।
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आज का सफ़र यहीं तक
कल की प्रस्तुति के अतिथि चर्चाकार वरिष्ठ ब्लॉगर
आदरणीय दिगम्बर नासवा जी हैं ।ब्लॉग जगत में वे अपनी अलग और विशिष्ट पहचान रखते हैं ।
सहज,सुंदर शब्द संयोजन और हृदयस्पर्शी भाव
उनकी रचनाओं की खास विशेषता है । ग़ज़ल लेखन में इनकी दक्षता अपने आप में मिसाल है ।
विनम्र आग्रह - कल की चर्चा में आप सब सादर आमन्त्रित हैं ।
सादर ।
@अनीता सैनी 'दीप्ति’
चर्चा मंच पर चर्चित सभी रचनाएँ अच्छी और सुंदर प्रतीत हो रही हैं । वक़्त मिलते ही सभी पर विचार रखने की कोशिश होगी ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद ।
सादर
उत्कृष्ट लिंकों से सजी आज की बहुत ही सुन्दर एवं श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति में मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय अनीता जी! सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक हैं सारे के सारे
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चामंच में शामिल करने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया अनिता जी। इधर स्वास्थ्य ठीक ना होने से सभी के ब्लॉग पर नहीं जा पा रही। जल्दी ही लौटूँगी। सदैव उत्साह बढ़ाने और साथ देने के लिए चर्चामंच का हार्दिक धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं हार्दिक आभार अनीता सैनी जी 🙏
जवाब देंहटाएंचर्चाओं का बहुत सुंदर संयोजन किया है आपने.. साधुवाद 🙏
जवाब देंहटाएंअति व्यस्तता के कारण कल की प्रस्तुति पर उपस्थित नही हो पाई । आज प्रयास रहेगा आज और कल के सभी सभी सूत्रों पर उपस्थित होने का । सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंसुंदर एवम रोचक प्रस्तुति अनीता जी।सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
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