सादर अभिवादन !
शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी प्रबुद्धजनों का पटल पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !
आज की चर्चा का शीर्षक आ. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक' जी की ग़ज़ल "बहारों के चार पल' से लिया
गया है।
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आइए अब बढ़ते हैं आज की चर्चा के सूत्रों की ओर
"बहारों के चार पल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मुश्किल हैं जिन्दगी में गुजारों के चार पल
मुमकिन नहीं हसीन नजारों के चार पल
बेमौसमी बरसात कहर बनके बरसती
पाते हैं खुशनसीब बयारों के चार पल
सबके नहीं नसीब में होतीं इनायतें
मिलते नहीं सभी को सहारों के चार पल
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प्रसिद्धि के लिबास में
आत्मीयता की ख़ुशबू में सनी
पिलाने मर्म-स्पर्शिनी
उफनते क्षणिक विचारों की
घोंटी हुई पारदर्शी घुट्टी
और तुम हो कि
निर्बोध बालक की तरह
भीगे कपासी फाहे को
होठों में दबाए
तत्पर ही रहते हो पीने को
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धीरे-धीरे कम हो रहा है
विपत्तियों का पहाड़,
चार से तीन लाख,
तीन से दो,
दो से एक,
अब एक से कम.
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क्या आप भी बिस्कुट को चाय में डुबो कर खाते हैं
हमारी कई ऐसी नैसर्गिक खूबियां हैं, जो बेहतरीन कला होने के बावजूद किसी इनीज-मिनीज-गिनीज रेकॉर्ड में दर्ज नहीं हो पाई हैं। ऐसा नहीं होने का कारण यह भी है कि इस ओर हमने कभी कोई कोशिश या दावा ही नहीं किया है ! ऐसी ही एक नायाब कला है, बिस्कुट को चाय में डुबो, बिना गिराए मुंह तक ले आ कर खाने की !
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मेरी याद | कविता | डॉ शरद सिंह
तुम मुझे कैसे याद करोगे
पता नहीं
शायद रात से जूझते
दूज के चांद की तरह
या, दिन में
रेतीली आंधी में फंसे
सूरज की तरह,
जुगनू की तरह
या तितली की तरह,
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सुनो जरा मंत्री औ नेता,अफसर और सरकार सुनो ।
अन्यायों की लगी हुई है, लंबी बहुत कतार सुनो ।।
खत्म हो गए कितने जंगल, कितनी नदियाँ सूख गईं
पर्वत और पठारों को,कितनी मशीनें लील गईं
पशु पक्षी के हाड़, माँस का कैसा ये व्यापार सुनो ।
अन्यायों की लगी हुई है,लंबी बहुत कतार सुनो ।।
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मैं उसका अश्क़ भी मैं ही दवा हूँ
जो घोला ज़ह्र उसका मैं पता हूँ ।
मैं उसका अश्क़ भी मैं ही दवा हूँ।
तेरे दिल में बता शिकवा है कोई,
तो दे देता मैं ख़ुद को ही सज़ा हूँ ।
तुझे मेरी जो आदत हो चुकी है,
फ़िज़ाओं की मैं सच ठण्डी हवा हूँ।
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ओरछा की राय प्रवीन के अद्भुत शौर्य और
बुद्धिमत्ता की कहानी है इंद्रप्रिया
प्रचलित मान्यताओं से परे जाकर अपने शोध के माध्यम से उस काल के सच को सामने लाना वास्तव में दुरूह कार्य है, परंतु सुधीर मौर्य जी ने अपनी लेखनी से राय प्रवीन जो ओरछा की महारानी है और इंद्रजीत की पत्नी है के अद्भुत शौर्य और बुद्धिमत्ता से पाठको को परिचित करवाया है।
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शब्दों की सीमा सोच रही, कैसे लिख दूँ सैनिक आज।
कर्तव्यों की वेदी पर जो,पहने हैं काँटों का ताज।।
वीरों की धरती है भारत,थर थर काँपे इनसे काल।
संकट के जब बादल छाए, रक्षा करते माँ के लाल।।
रात जगी पहरेदारी में, देख रही है सोया देश।
मित्र बना कर बारूदों को,वीर सजाते फिर परिवेश।।
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सुदूर है समुद्र का विस्तृत मुहाना,
पीछे दौड़ती चली आ रही है
विक्षिप्त सी एक नदी,
मध्य मार्ग है एक
मिथक, टूटती
नहीं कभी
पांवों
की बेड़ियाँ - -
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ये जीवन की है पोटली
लिपटे हैं सब राज।
कागज से रिश्तों तोलकर
आते कब यह बाज।
प्रीत भरी थाली फेंक कर
विष घोल रहे खीर।
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क्या आप खाना एल्युमिनियम फॉयल में पैक करते है?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब किसी गर्म भोजन को इसमें लपेटा जाता है, तो एल्युमिनियम गर्म होकर विषाक्त पदार्थों का उत्पादन करते है। ऐसे में एल्युमिनियम के कई अंश खाने में प्रवेश करते है, जो हमारी सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक रहते है। मतलब खाने में एल्युमिनियम का असर आ जाता है और वो हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक है।
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घर पर रहें..सुरक्षित रहें..,
अपना व अपनों का ख्याल रखें…,
फिर मिलेंगे 🙏
"मीना भारद्वाज"
बहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।मेरे सृजन को स्थान देने हेतु दिल से आभार दी।
जवाब देंहटाएंसभी को हार्दिक बधाई।
सादर
समय मिलते ही सभी रचनाएँ पढूँगी।
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर संकलन.मेरे सृजन को स्थान देने हेतु आभार.
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स से सुसज्ज्ति चर्चा। एक बुक जर्नल की पोस्ट को चर्चा में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर संकलन !
जवाब देंहटाएंआपने इस मंच पर मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार ।
सुंदर और सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय मीना जी,फुर्सत मिलते ही सभी ब्लॉग पर जाऊँगी। सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें एवं नमन
जवाब देंहटाएंमीना जी
जवाब देंहटाएंसम्मिलित कर रचना को मान देने हेतु, आपका और चर्चा मंच का हार्दिक आभार
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, मीना दी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंचर्चा की सुंदर सुरुचिपूर्ण प्रस्तुति के लिए आपको साधुवाद मीना जी 🙏
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार मीना भारद्वाज जी 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार मीना जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर शानदार रचनाओं से सुशोभित अंक के लिए आपका बहुत आभार एवं अभिनंदन आदरणीय मीनाजी,आपके श्रमसाध्य कार्य के लिए आपको मेरा नमन।मेरी रचना को चयनित करने के लिए शुक्रिया..शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।
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