सादर अभिवादन
सोमवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
रवींद्र सर कही व्यस्त है तो आज की प्रस्तुति लेकर मैं उपस्थित हूँ
(शीर्षक हमारी सबसे छोटी उम्र की ब्लॉगर "मनीषा गोश्वामी जी" की रचना से )
"अपनो से जीतना नहीं , अपनो को जीतना है मुझे!"
एक ऐसी सोच जो आज के युवा-पीढ़ी को समझना बेहद जरुरी है...
कुछ दिनों से होड़ लगी है बस, जीतने की खुद को सही साबित और दूसरों को
(वो दूसरे अपने माता-पिता या कोई बड़े ही क्यों न हो )
गलत साबित करने की.....
काश !! सब समझ पाते "अपनों को जीत लिया तो जग को जीत लिया"
अपनों का मान रख लिया ....
उनके दिल में जगह बना ली..तो भगवान के दिल में जगह बना ली...
और ये तभी होगा जब दोषारोपण छोड़...खुद के गुण-दोष देखना शुरू करेंगे...
खैर,चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर...
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अपनो से जीतना नहीं , अपनो को जीतना है मुझे!
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मैं हारी तुम संग नेह लगा ?
मनुहार तुम्हारी करके |
अब तक जान न पाई
क्या गुनाह किया मैंने
तुम संग नेह लगा
हूँ तुम्हारी अनुरागी |
-------------------बुढ़ापे का सीख
कुछ दिन से एक बच्चा मुझसे पढ़ने आ रहा है। पहले भी कुछ समय के लिए आया था किंतु होम वर्क न करने के कारण जब मैंने उसे वापस भेज दिया तो घर वालोें को अच्छा नहीं लगा और उसने आना बंद कर दिया। अब घर वालों ने फिर से भेजना शुरु किया है। मैंने देखा कि बच्चे को पढ़ने का शौक नहीं है और शायद घर वालों की जबरदस्ती से यहाँ आ रहा है।-----------------------------
मुझे पसंद है
तुम्हें पसंद है
मुझमें
स्वयं को खोजना
और
मुझे पसंद है
तुम्हारे चेहरे पर नजर आना।
तुम्हें पसंद है
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पहली सीढ़ी चढ़ी औ पहला पायदान लकड़ी का
जीवन की कड़ियों में जुड़ती हर एक एक कड़ी का
कर स्मरण सजाए मैंने अपने सपने
पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने
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मौन को कैसे लिखें अब
भाव भी तो सारे अमूर्त ही हैं
वह अलख अपनी उपस्थिति
हर पल दर्ज कराता है
सदा साथ है, यह अहसास ही दिल को
अपरिमित शक्ति से भर जाता है !
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क्यों नहीं लेनी चाहिए पीरियड्स को आगे बढ़ानेवाली गोलियां?
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चलते-चलते, आलोक सिन्हा सर की लिखी बहुत ही सुंदर सरस्वती वंदना सरस्वती वन्दना
जीवन संघर्ष का इक पर्याय है ,
आंसुओं , हर्ष का एक अध्याय है |
हर नयन में हैं सौ सौ सपने मधुर ,
नियति के सामने किन्तु असहाय है |
तू मुझे ज्ञान दे ,
एक वरदान दे ,
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कामिनी जी सुप्रभात...। बहुत ही अच्छी और गहन चर्चा का ये अंक....। खूब बधाई...। मेरी रचना को मान देने के लिए साधुवाद..।
जवाब देंहटाएंThanks to you for my p post
जवाब देंहटाएंमेरी रचना के शीर्षक को चर्चा मंच पर शीर्षक के रूप में चुनने के लिए आपका तहेदिल धन्यवाद! मैम आपका आभार शब्दों में व्यक्त नही कर सकती 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंकामिनी जी,नमस्कार!
जवाब देंहटाएंसुंदर तथा वैविध्यपूर्ण रचनाओं से सजा अंक,बड़ी लगन से आपने रचनाओं का चयन किया होगा,बहुत आभार सखी, मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार.. जिज्ञासा सिंह।
सुप्रभात! विविधरंगी सूत्रों से सजा चर्चा मंच, आभार!
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं सभी को
जवाब देंहटाएंअन्य बढ़िया लिंक्स के साथ मेरी रचना को स्थान दिया, आपका हृदय से धन्यवाद देती हूँ कामिनी जी!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई , हार्दिक शुभ कामनाएं इस सुन्दर सरस अंक के लिए | वास्तव में सभी रचनाएँ बहुत अच्छी और कई बार पढने योग्य हैं |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और विविधरंगी सूत्रों से सजी मनोहारी प्रस्तुति कामिनी जी । सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर संकलन आदरणीय कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर
आप सभी स्नेहीजनों को तहेदिल से शुक्रिया एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंविभिन्न रंगों से सराबोर सारी लिंक्स आज के अंक में |मेरी रचना के लिये आभार सहित धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंवाह शानदार चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार चर्चा, सभी रचनाएं बहुत सुंदर आकर्षक, पठनीय।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।