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सोमवार, जून 28, 2021

"अपनो से जीतना नहीं , अपनो को जीतना है मुझे!"'(चर्चा अंक- 4109 )

  सादर अभिवादन 

सोमवार  की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है

रवींद्र सर कही व्यस्त है तो आज की प्रस्तुति लेकर मैं उपस्थित हूँ 

(शीर्षक हमारी सबसे छोटी उम्र की ब्लॉगर "मनीषा गोश्वामी जी" की रचना से )

"अपनो से जीतना नहीं , अपनो को जीतना है मुझे!"

एक ऐसी सोच जो आज के युवा-पीढ़ी को समझना बेहद जरुरी है... 

कुछ दिनों से होड़ लगी है बस, जीतने की खुद को सही साबित और दूसरों को

 (वो दूसरे अपने माता-पिता या कोई बड़े ही क्यों न हो )

 गलत साबित करने की..... 

काश !! सब समझ पाते "अपनों को जीत लिया तो जग को जीत लिया"

अपनों का मान रख लिया ....

 उनके दिल में  जगह बना ली..तो भगवान के दिल में जगह बना ली...

और ये तभी होगा जब दोषारोपण छोड़...खुद के गुण-दोष देखना शुरू करेंगे...

खैर,चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर...

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अपनो से जीतना नहीं , अपनो को जीतना है मुझे!



अभी इतनी काबिल नहीं मैं।
सपनो के खातिर नहीं लड़ सकती अपनो से , 
क्योंकि अपनो से जीतना नहीं , अपनो को जीतना है मुझे! 


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मैं हारी तुम संग नेह लगा ?


 मनुहार तुम्हारी करके |

अब तक जान न पाई 

क्या गुनाह किया मैंने 

तुम संग नेह लगा 

हूँ तुम्हारी अनुरागी |

-------------------बुढ़ापे का सीख



कुछ दिन से एक बच्चा मुझसे पढ़ने आ रहा है।  पहले भी कुछ समय के लिए आया था किंतु होम वर्क न करने के कारण जब मैंने उसे वापस भेज दिया तो घर वालोें को अच्छा नहीं लगा और उसने आना बंद कर दिया। अब घर वालों ने फिर से भेजना शुरु किया है। मैंने  देखा कि बच्चे को पढ़ने का शौक नहीं है और शायद घर वालों की जबरदस्ती से यहाँ आ रहा है।-----------------------------
मुझे पसंद है

तुम्हें पसंद है

मुझमें

स्वयं को खोजना

और 

मुझे पसंद है

तुम्हारे चेहरे पर नजर आना।

तुम्हें पसंद है


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पृष्ठों के पृष्ठ



पहली सीढ़ी चढ़ी औ पहला पायदान लकड़ी का 

जीवन की कड़ियों में जुड़ती हर एक एक कड़ी का 

कर स्मरण सजाए मैंने अपने सपने 

पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने 

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वह



मौन को कैसे लिखें अब 

भाव भी तो सारे अमूर्त ही हैं 

  वह अलख अपनी उपस्थिति 

 हर पल  दर्ज कराता है 

सदा साथ है, यह अहसास ही दिल को 

अपरिमित शक्ति से भर जाता है !


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क़िरदार


गुज़ारिश रास ना आयी उस काफ़िर को ख्यालात में ll

फ़लसफ़ा मजमून इतना सा ही था मेरे पास में l
यादें सदा हमसफ़र बनी रहे मेरे हर किरदार में ll 


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स्मृतियाँ



रात के सन्नाटे में 

कभी कभी 
खनकती पायल सी 
स्मृतियाँ 
बोलती हैं ,
खिलती हैं
मनस पटल खोलती हैं !

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अंजुरी भर धूप



जब तुम्हारे जीवन में समस्याएं आयेगी
निराशा तुम पर हावी हो जायेगी
चारो ओर बस अन्धकार ही होगा 
जब तुम्हारा आत्मविश्वास 
टूट कर चकनाचूर हो जायेगा
और तुम इस अर्न्तद्वद से 
निकलने की कोशिश में छटपटाओगे 
बार -बार जीतने की कोशिश में
जब हार जाओगे 


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क्यों नहीं लेनी चाहिए पीरियड्स को आगे बढ़ानेवाली गोलियां?



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चलते-चलते, आलोक सिन्हा सर की लिखी बहुत ही सुंदर सरस्वती वंदना सरस्वती वन्दना


जीवन संघर्ष का इक पर्याय है ,

                     आंसुओं , हर्ष का एक अध्याय है |

                     हर नयन में हैं सौ सौ सपने मधुर ,

                     नियति के सामने किन्तु असहाय है |

                           तू मुझे ज्ञान दे ,

                           एक वरदान दे ,


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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें 
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें 
कामिनी सिन्हा 


16 टिप्‍पणियां:

  1. कामिनी जी सुप्रभात...। बहुत ही अच्छी और गहन चर्चा का ये अंक....। खूब बधाई...। मेरी रचना को मान देने के लिए साधुवाद..।

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी रचना के शीर्षक को चर्चा मंच पर शीर्षक के रूप में चुनने के लिए आपका तहेदिल धन्यवाद! मैम आपका आभार शब्दों में व्यक्त नही कर सकती 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. कामिनी जी,नमस्कार!
    सुंदर तथा वैविध्यपूर्ण रचनाओं से सजा अंक,बड़ी लगन से आपने रचनाओं का चयन किया होगा,बहुत आभार सखी, मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार.. जिज्ञासा सिंह।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात! विविधरंगी सूत्रों से सजा चर्चा मंच, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।

    जवाब देंहटाएं
  6. अन्य बढ़िया लिंक्स के साथ मेरी रचना को स्थान दिया, आपका हृदय से धन्यवाद देती हूँ कामिनी जी!

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बहुत बधाई , हार्दिक शुभ कामनाएं इस सुन्दर सरस अंक के लिए | वास्तव में सभी रचनाएँ बहुत अच्छी और कई बार पढने योग्य हैं |

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बहुत आभार मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर और विविधरंगी सूत्रों से सजी मनोहारी प्रस्तुति कामिनी जी । सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुंदर संकलन आदरणीय कामिनी दी।
    सभी को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  11. आप सभी स्नेहीजनों को तहेदिल से शुक्रिया एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  12. विभिन्न रंगों से सराबोर सारी लिंक्स आज के अंक में |मेरी रचना के लिये आभार सहित धन्यवाद |

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  13. वाह शानदार चर्चा संकलन

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत शानदार चर्चा, सभी रचनाएं बहुत सुंदर आकर्षक, पठनीय।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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