सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक आदरणीया सधु चंद्र जी की रचना से )
यदि खुद खुद को तलाशने की प्यास जग जाए तो खुद को पा लेना निश्चित है....
खुद को पा लिया तो जीवन धन्य हुआ.....
मगर, खुद पर नजर ही तो नहीं पड़ती
कमबख्त ये नजर, दुसरो से हटती जो नहीं....
चलिए, एक बार खुद को तलाश कर खुद से मिलने की कोशिश करते है.....
-------------------------
ख़ुद में ख़ुद को तलाशने की प्यास है
अन्न फल से संतुष्ट कहती
मिट्टी भी हितकारी हो।
सपरिवार हम सबके लिए
हर पल मंगलकारी हो।
--------------------------
जीवन का यह भेद जानकर ही
मन का कमल खिलेगा
वह पूर्ण है तो पूर्णता में ही उसे खोजना होगा
कोई भी अभाव न खले भीतर
तभी एक क्षण के लिए भी
वह हाथ नहीं छोड़ेगा !
---------------------------------
एक गीत : ज़िन्दगी से लड़ रहा हूँ --
लोग अन्दर से जलें हैं, ज्यों हलाहल से बुझे हों,
आइने में वक़्त के ख़ुद को नहीं पहचानते हैं।
नम्रता की क्यों कमी है,”अहम’ क्यॊ इतना भरा है
सामने वाले को वो अपने से कमतर मानते हैं।
--------------------------------
-------------------------------------
सूर्य ताप ठंडा
आशा
हवा हवा की बिजली
कुलाचें नभ ठनती
कभी भी जैसे
बिछी गगन गदेली।।
------------------------------
बैठे-बैठे पैर क्यों नहीं हिलाना चाहिए?
पहला हिस्सा पर्यावरणविद् स्व. सुंदरलाल बहुगुणा जी पर केंद्रित रहेगा।
- दोस्तों पिछले दिनों पर्यावरणविद् आदरणीय सुंदरलाल बहुगुणा जी का स्वर्गवास हो गया, वे हममें प्रकृति संरक्षण की एक गहरी समझ बो कर कर गए हैं, उसे किस तरह से अंकुरित और पल्लवित करेंगे हमें तय करना है, आदरणीय सुंदरलाल बहुगुणा जी पर आप आलेख भेज सकते हैं, उनके साथ संस्मरण, कोई सीख, कोई बात जो आपको उनके विषय पर लिखने को विवश कर दे...।
----------------
आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दे...
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामीनी दी।
जवाब देंहटाएंखुद को तलाशने का सफर जितना जरूरी है उतना ही रोचक भी. आज के अंक में पठनीय रचनाओं का संकलन है, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा ।
बहुत आभारी हूं आपका कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंकामिनी जी मेरी कविता को आपने सम्मान दिया इसके लिए आपको साधुवाद। सभी रचनाकारों को भी मेरी ओर से खूब बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकामिनी जी,सादर नमस्कार !
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य कार्य तथा सुंदर चर्चा अंक सजाने के लिए आपको कोटिशः नमन । मेरी रचना का चयन करने के लिए आपका बहुत शुक्रिया.. शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।
सुंदर व उम्दा संकलन
जवाब देंहटाएंअसाधारण संकलन, सप्तरंगी भावनाओं से अलंकृत, सभी रचनाएँ अपने आप में अद्वितीय हैं मुग्ध करता हुआ चर्चामंच, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार आदरणीया - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंशीर्षक और भूमिका दोनों बहुत ही प्रेरक ।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति हर लिंक आकर्षक ज्ञानवर्धक, इस गुलदस्ते में मेरी रचना सजाने के लिए हृदय तल से आभार।
सभी रचनाकारों को बधाई।
सादर, सस्नेह।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई।
सादर
चर्चा मंच पर उपस्थित होने के लिए और सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार आप सभी को
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएं