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शुक्रवार, जून 04, 2021

"मौन प्रभाती" (चर्चा अंक- 4086)

सादर अभिवादन ! 

शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी प्रबुद्धजनों का पटल पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !  

आज की चर्चा का शीर्षक  "मौन प्रभाती" आ.अनीता सैनी जी की रचना से लिया गया है।

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आइए अब बढ़ते हैं आज के चर्चा सूत्रों की ओर


"दोहों में कुछ ज्ञान" -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

जितनी ज्यादा आ रही, आबादी की बाढ़।

उतना ही तपने लगा, जेठ और आषाढ़।१२।

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घटते ही अब जा रहे, धरती पर से वृक्ष।

सूख गया है इसलिए, वसुन्धरा का वक्ष।१३।

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लू के झाँपड़ झेल कर, खा सूरज की धूप।

अमलतास का हो गया, सोने जैसा रूप।१४।

***

मौन प्रभाती

मसि छिटकी ज्यूँ मेघ हाथ से

पूछ रहे हैं शब्द कुशलता

नूतन कलियाँ खिले आस-सी

मीत तरु संग साथ विचरता

सुषमा ओट छिपी अवगुंठन 

गगरी भर मधु रस बरसाती।।

***

बहुत दुःख दिए तूने ऐ करोना

लॉक डाउन 

फिर भी व्यस्त सड़कें

शहर से लेकर गाँव तक 

कुछ साहसी-मजबूर 

दौड़ रहे हैं 

लिए दवाएँ-ऑक्सीजन 

ताकि साँसें टूट न सकें

***

असम के मुख्यमंत्री का वृद्धाश्रम-दौरा

इस सप्ताह असम के अख़बारों में एक फ़ोटो देखा. देखकर अच्छा लगा . इसमें असम के नए मुख्यमंत्री, डॉ. हिमंत विश्वशर्मा गौहाटी के एक वृद्धाश्रम में वृद्धों के बीच दिखाई दे रहे थे. केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के 7 वर्ष पूरे होने के अवसर पर ‘सेवा ही संगठन’ कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री ने यह दौरा किया. वे माँ कामाख्या वृद्धाश्रम गए ।

***

तीरगी की आड़ ले कर रौशनी छुपती रही ...

इक पुरानी याद दिल से मुद्दतों लिपटी रही.

घर, मेरा आँगन, गली, बस्ती मेरी महकी रही.

 

कुछ उजाले शाम होते ही लिपटने आ गए,

रात भर ये रात छज्जे पर मेरे अटकी रही.

 

लौट कर आये नहीं कुछ पैर आँगन में मेरे,

इक उदासी घर के पीपल से मेरे लटकी रही.

***

तय करें विकास चाहिये या समृद्धि

- ‘सेवा सुरभि’के वेबिनार में पद्म श्री, पद्म भूषण माउंटेन मैन डॉ. अनिल जोशी जी


पहले हमारा देश प्रकृति के साथ, पर्यावरण के साथ के बेहतर दिशा तय करता था इसीलिए वह समृद्धिशाली कहलाता था लेकिन जब से हम प्रकृति से दूर गए और विकास की ओर भागने लगे तब से अथाह संकट में हम घिरने लगे हैं, ये कभी भी आने वाले तूफान, अजीबोगरीब बीमारियां...। सच तो ये है कि हम जीडीपी देख रहे हैं

***

नयन ग्रह' के लेखक मनमोहन भाटिया से  बातचीत

लेखक मनमोहन भाटिया नये नये विषयों पर अपनी कलम चलाते रहते हैं। उनका आने वाला उपन्यास  नयन ग्रह विज्ञान गल्प और फंतासी का मिश्रण है। अपने इस उपन्यास में वह एक ऐसे ग्रह की कल्पना करते हैं जो विज्ञान के क्षेत्र में धरती से कई गुना आगे है। नयन ग्रह धरती के लोगों के लिए तो अदृश्य है लेकिन उनकी नजर धरती के ऊपर लगातार बनी हुई है।

***

नीरस रंगहीन से रिश्ते

तरुवर तकते आज देहरी

ठूँठ बने हैं स्वामी जिसके

आँखों में सावन भादों है

प्रेम कुएँ सब प्यासे सिसके

चिथड़ा-चिथड़ा होता जीवन

कौन कभी भरता है टाँके।।

***

वज़ह का दोष

चलो

कभी वज़ह को वज़ह मान लिया जाए

कुछ रिश्ते टूटने की,

बिना दोष दिए उन रिश्तों में पड़े दो व्यक्तियों को।

मैंने

अक्सर देखा है लोगों को

बेवज़ह की बातों में फँसकर

रिश्तों को फँसाते,

***

कहानी- भोंदू

''मम्मी, आपने दिवाली पर जो शक्करपारे, गुझिया और आलू की मठरियां भिजवाई थी, वो हमारे यहां पर सभी को बहुत पसंद आई थी। आपने कहा था कि वो आपने नहीं बनाई थी, खरीदी थी। आपने वो कौन सी दुकान से खरीदी थी? मैं बाजार जा रही हूं, आप मुझे दुकान का नाम बता दीजिए। मैं खरीद लूंगी।'' मैं ने कहा।

***

क्षणिकाएं

संमदर में रोती हुई मछलीयां 

सीप में रख देती हैं 

अपने आंसूओं को 

जो मोती बन चमकते हैं 

धरती के गालों पर

***

'स्वर्ग का अंतिम उतार',

प्रसिद्ध कथाकार लक्ष्मी शर्मा जी का एक बेहतरीन उपन्यास, जो अंतिम पन्ने पर पहुँचकर ही छूटता है। 


एक गरीब किसान का बेटा छिगन,  जिसे  दो पैसे कमाने की खातिर अपना गाँव अपना परिवार छोड़ इंदौर में एक सेठ के घर वॉचमैन की तरह काम करता है। घर के लोग खुश हैं कि उसकी शहर में नौकरी लग गई है,

***

घर पर रहें..सुरक्षित रहें..,

अपना व अपनों का ख्याल रखें…,

फिर मिलेंगे 🙏

"मीना भारद्वाज"




       


13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय मीना दी।
    शीर्षक हेतु मेरी रचना का चयन किया अत्यंत हर्ष हूआ।
    समय मिलते ही सभी रचनाएँ पढूँगी।
    सुंदर सुंदर रचनाएँ पढ़वाने हेतु एक बार फिर दिल से आभार।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आज तुम्हे मंच पर उपस्थित देख बेहद ख़ुशी हुई प्रिय अनीता ,आशा करती हूँ अब तुम्हारा स्वस्थ बेहतर होगा

      हटाएं
  2. बहुत ही गहन चर्चा...। अच्छी रचनाओं का चयन किया है आपने। आभार आपका मेरे आलेख को सम्मान प्रदान करने के लिए। आभार आपका मीना जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, मीना दी।

    जवाब देंहटाएं
  4. लाज़बाब रचनाओं का संकलन,बेहतरीन प्रस्तुति मीना जी,आज आपको काफी दिनों बाद सक्रिय देख बेहद ख़ुशी हुई,आशा करती हूँ अब आपका स्वस्थ बेहतर होगा,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अस्थमा से परेशान हूँ कामिनी जी ..,कभी ठीक,कभी परेशान । जब तक ठीक नहीं होती अच्छे से तब तक व्यवधान रहेगा प्रस्तुति बनाने में । आपके स्नेह और अपनत्व के लिए आभार । सस्नेह वन्दे🙏

      हटाएं
  5. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. मीणा दी, आपका बहुत धन्यवाद-आभार कि आपने इन बेहतरीन रचनाकारों के बीच मेरी रचना को भी स्थान दिया।
    मैंने ऊपर के प्रतिक्रिया से जाना कि आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। मेरी ऊपर वाले से दुआ है कि आप जल्दी स्वस्थ हो और आपको लम्बी उम्र मिले जिससे आपके माध्यम से बेहतरीन रचनाएं मिलती रहे और रचती रहें।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर सूत्रों से सज्जित अंक,मीना जी आपका बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा.. एक बुक जर्नल को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक आभार.....

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर चर्चा संकलन

    जवाब देंहटाएं

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