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रविवार, जून 13, 2021

'मिट्टी की भीनी खुशबू आई' (चर्चा अंक 4094)

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय दीपक कुमार भानरे जी की रचना से। 

सादर अभिवादन 

रविवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 

आइए पढ़ते हैं कुछ चुनिंदा रचनाएँ- 

"सभ्यता का फट गया क्यों आवरण?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

पाठ जिसने अमन का जग को पढ़ाया,
धर्म की निरपेक्षता का पथ दिखाया,
क्यों नजर आता नही वो व्याकरण।
देश का दूषित हुआ वातावरण।।
*****
पर्यावरण चिंतन

साँस के साथ

ग्रहण करें धुआँ 

होवें बीमार 

 

हुआ अनर्थ

आपके व्यसन से 

बच्चा बीमार 

*****

उड़ान-2"फिर मैं ससुराल छोड़कर क्यों जाऊँ माँ..?"मैंने पति खोया है तो सासू माँ ने अपना बेटा,दुख तो उनका मुझसे ज्यादा है माँ। हमारा कुछ दिन का साथ था।माँ ने तो उन्हें जन्म दिया, पाला-पोसा,वो मेरे कारण अपना दर्द अंदर ही अंदर पी रहीं हैं। नहीं माँ यह घर पंकज की अमानत है। मैं इस समय आपके साथ नहीं चल सकती..!"

 मेघना ने दृढ़ता से माता-पिता के साथ वापस जाने से मना कर दिया।

*****

कुछ समस्याओं का हल, सिर्फ नजरंदाज करना

इनको ख़त्म करने का सरल सा उपाय है, इनकी उपेक्षा ! जैसे सर्दी जुकाम का कोई इलाज नहीं है, पर उस पर ध्यान ना दे, सिर्फ शरीर को आराम देने से उसके कीटाणु नष्ट हो जाते हैं ठीक उसी तरह इनके क्रिया-कलापों-बतौलेबाजी को अनदेखा-अनसुना कर इनसे छुटकारा पाया जा सकता है

*****

#आसमान में आये #बादल 

मिट्टी की भीनी खुशबू आई ,

धरती की जल से गोद भराई ।

गर्मी तो अब हुई पराई ,

ठंडी हवा बही सुखदाई ।

भर दिये प्रकृति का आंचल ,

आसमान से आये बादल । 

*****

राम वनवास

लक्ष्मन संग सिया चलती,मुनि वेश धरे महलों रहती।

आज अनाथ हुए सब हैं,यह शूल चुभे बस हैं सहती।

*****

उन अधनंगे बच्चों के बीच

मैं 

खिड़की पर पहुंचा

देख रहा था

घर के सामने वाली बस्ती में

कुछ अधनंगे बच्चे

झूम रहे थे 

उस तेज बारिश में

परवाह को 

ठेंगा दिखाते हुए। 

*****

इस रचना के रस और अलंकार पहचानिये ... संजय कौशिक 'विज्ञात'महकी रजनी नाचती, चन्द्र नाचते साथ। यमुना के तट हर्ष से, मिला हाथ में हाथ।। मिला हाथ में हाथ, तिमिर कुछ राग बजाता। नेह प्रमाणित आज, विरह सा जलता गाता।। कह कौशिक कविराय, रागिनी आती दहकी। आलिंगन अनुबंध, किया जब रजनी महकी।।*****आज बस यहीं तक फिर मिलेंगे सोमवारीय प्रस्तुति में। रवीन्द्र सिंह यादव 

 

9 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय रविन्द्र सर मेरी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (13-06-2021 ) को 'मिट्टी की भीनी खुशबू आई' (चर्चा अंक 4094) पर सम्मिलित कर आमंत्रित करने के बहुत धन्यवाद ।
    आपका यह मंच साहित्य सृजन के विभिन्न आयामों के प्रस्तुतीकरण और सूचित होने का उचित और सुन्दर मंच है ।
    निसंदेह चर्चा मंच का यह भागीरथी प्रयास सृजन कर्ताओं को विभिन्न आयामों में सृजन हेतु उत्साहित और प्रेरित करेगा ।
    सम्मिलित सभी सृजन बहुत ही उम्दा है ।
    बहुत शुभकामनाएं एवं बधाइयां ।

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  2. निश्चय ही मिट्टी की भीनी खुशबू आ रही है।
    उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. पठनीय रचनाओं की खबर देते सूत्रों का सुंदर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह ! सुन्दर सार्थक पठनीय सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरे पर्यावरण चिंतन को इसमें स्थान मिला आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !

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  5. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏 सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति। मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  7. आभारी हूं आपका आदरणीय रवींद्र जी। मेरी रचना को सम्मान देने के लिए साधुवाद। सभी रचनाकारों को भी मेरी ओर से शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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