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मंगलवार, जून 22, 2021

"योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत"(चर्चा अंक- 4103)

 सादर अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है

आप सभी को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस एवं विश्व संगीत दिवस की हार्दिक बधाई।

(शीर्षक और भूमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)

"सात सुरों के योग से, बन जाता संगीत
योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत" 
योग की महिमा बताने की जरूरत नहीं है... 
जरूरत है, इसे स्मरण कर अपनाने की... 
ताकि, कोरोना ही नहीं भविष्य में आने वाले इन  
जैसे अनेकों खतरों से खुद का भी बचाव करें और औरों का भी... 
ये बात तो अब प्रमाणित हो चुकी है कि-
 जिसने भी योग और आर्युवेद को अपनाया वही सुरक्षित बचा है...
"20 जून पितृ-दिवस था और 21 जून योग और संगीत दिवस" 
शायद,पिता हमें याद दिलाने आये थे कि-योग और संगीत ही जीवन है...
आगे मर्जी आपकी आखिर तन है आपका....
चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....
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रोज सुबह कर लीजिए, ध्यान लगा कर योग।।
मत-मज़हब का है नहीं, जिससे कुछ अनुबन्ध।
रखना ऐसे योग से, जीवन भर सम्बन्ध।।
मधुर कण्ठ से ही सदा, अच्छा लगता गीत।
योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत।२।

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महर्षि पतंजलि




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चिन्तन

 कि नहीं बनाता, लेकिन 

कभी किसी को 

कोई ऐसा मिल जाता है

जिसके सम्पर्क में 

आने से बदलाव हो जाता है

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धरती, सागर, नीलगगन में




सत्यम,  शिवम, सुंदरम तीनों 

झलक रहे यदि अंतर्मन में, 

बाहर वही नजर आएँगे 

धरती, सागर, नीलगगन में !

यह तस्वीर बहुत कुछ कहती है।


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गरीब की झोपड़ी का भूगोल



गरीब 

की झोपड़ी का भूगोल

क्या कभी 

किसी चुनाव का 

पोस्टर होगा ?

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ग़ज़ल...

बादलों की तरह  होती हैं खुशियां कोई जानता   नही ।
कब कहाँ बरस जाएंगी ये खुशियां कोई जानता नही।।
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बद्दुआएं जुबाँ से ही नही दिल से भी निकल जाती हैं
दुखी ह्रदय के आँसूं  भी बद्दुआ बन जाती है।


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चाँदनी कम है जरा



कब से हैं बैठे, इन अंधेरों में हम,
छलकने लगे, अब तो गम के ये शबनम,
जला दीजिए ना, दो नैनों के ये दिए,
यहाँ रौशनी, कम है जरा!

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योग दिवस विशेष। हठ योग

मनुष्य एक चिंतनशील प्राणी है ।चिंतन और संवेदना में अंतर है । चिंतन की शक्ति केवल और केवल मनुष्य में ही प्रकट है। मनुष्य सोचता भी है और समझता भी है। यह मनुष्य को प्रकृति से प्राप्त अलौकिक शक्ति है । * *मनुष्य में चिंतन के साथ साथ संवेदना की शक्ति भी प्रबल होती है । संवेदना की शक्ति अन्य जीव-जंतुओं जैसे पौधों, गाय, घोड़ा, कुत्ता आदि में भी पाई जाती है । इसमें चिंतन की शक्ति का अभाव होता है ।
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"योग को अपनायेंगे रोग को हराएंगे"


  "योग या बंधन" सिर्फ तन-मन को नहीं जोड़ता ये आत्मा को परमात्मा से भी जोड़ता है। योग मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है, ये सिर्फ स्वस्थ शरीर के लिए ही नहीं वरन स्वस्थ मानसिकता या  मानसिक अनुशासन के लिए भी कारगर है ये सारी बातें अब वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित हो चुकी है । मगर आज के परिवेश में किसी को "बंधन" मंजूर नहीं, हर एक बंधन मुक्त रहना चाहता है।

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आओ सब मिलकर गाए,योग दिवस के गीत।
योग से तन निरोग बने,मन खुश करे संगीत।

संगीत भी एक योग है,मन में भरे उमंग।
योग भी तब प्यारा लगे, संगीत बजे जब संग।

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस एवं विश्व संगीत दिवस की हार्दिक बधाई।

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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें 
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें 
कामिनी सिन्हा 


13 टिप्‍पणियां:

  1. योग दिवस की शुभकामनाएं...। बहुत आभार आपका कामिनी जी...। मेरी रचना को मान देने के लिए आभार...। बहुत ही अच्छे लिंक हैं...।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर विविधरंगी प्रस्तुति कामिनी जी !चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई । आप सभी को योग दिवस एवं विश्व संगीत दिवस की हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. योग आधारित बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. सार्थक भूमिका के साथ पठनीय लिंक्स का चयन, आभार कामिनी जी !

    जवाब देंहटाएं
  5. सार्थक भूमिका के साथ
    बहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।
    सभी को हार्दिक बधाई।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. योग की प्रेरणा देती सुंदर रचनाओं का संकलन बहुत हाई सराहनीय है,प्रिय कामिनी जी,आभार एवं नमन।

    जवाब देंहटाएं
  9. चर्चा मंच पर उपस्थित होने के लिए आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार, आप की उपस्थिति हमें हमेशा उत्साहित करती है ।

    जवाब देंहटाएं
  10. सार्थक भूमिका के साथ पठनीय लिंक्स का चयन । बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति कामिनी जी !

    जवाब देंहटाएं

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