सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
आप सभी को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस एवं विश्व संगीत दिवस की हार्दिक बधाई।
(शीर्षक और भूमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)
"सात सुरों के योग से, बन जाता संगीत
योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत"
योग की महिमा बताने की जरूरत नहीं है...
जरूरत है, इसे स्मरण कर अपनाने की...
ताकि, कोरोना ही नहीं भविष्य में आने वाले इन
जैसे अनेकों खतरों से खुद का भी बचाव करें और औरों का भी...
ये बात तो अब प्रमाणित हो चुकी है कि-
जिसने भी योग और आर्युवेद को अपनाया वही सुरक्षित बचा है...
"20 जून पितृ-दिवस था और 21 जून योग और संगीत दिवस"
शायद,पिता हमें याद दिलाने आये थे कि-योग और संगीत ही जीवन है...
आगे मर्जी आपकी आखिर तन है आपका....
चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....
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- अगर चाहते आप हो, पास न आये रोग।
रोज सुबह कर लीजिए, ध्यान लगा कर योग।।
मत-मज़हब का है नहीं, जिससे कुछ अनुबन्ध।
रखना ऐसे योग से, जीवन भर सम्बन्ध।।
मधुर कण्ठ से ही सदा, अच्छा लगता गीत।
योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत।२।
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चिन्तनकि नहीं बनाता, लेकिन
कभी किसी को
कोई ऐसा मिल जाता है
जिसके सम्पर्क में
आने से बदलाव हो जाता है
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सत्यम, शिवम, सुंदरम तीनों
झलक रहे यदि अंतर्मन में,
बाहर वही नजर आएँगे
धरती, सागर, नीलगगन में !
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गरीब
की झोपड़ी का भूगोल
क्या कभी
किसी चुनाव का
पोस्टर होगा ?
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बादलों की तरह होती हैं खुशियां कोई जानता नही ।
कब कहाँ बरस जाएंगी ये खुशियां कोई जानता नही।।
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बद्दुआएं जुबाँ से ही नही दिल से भी निकल जाती हैं
दुखी ह्रदय के आँसूं भी बद्दुआ बन जाती है।
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कब से हैं बैठे, इन अंधेरों में हम,
छलकने लगे, अब तो गम के ये शबनम,
जला दीजिए ना, दो नैनों के ये दिए,
यहाँ रौशनी, कम है जरा!
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योग दिवस विशेष। हठ योग
मनुष्य एक चिंतनशील प्राणी है ।चिंतन और संवेदना में अंतर है । चिंतन की शक्ति केवल और केवल मनुष्य में ही प्रकट है। मनुष्य सोचता भी है और समझता भी है। यह मनुष्य को प्रकृति से प्राप्त अलौकिक शक्ति है । * *मनुष्य में चिंतन के साथ साथ संवेदना की शक्ति भी प्रबल होती है । संवेदना की शक्ति अन्य जीव-जंतुओं जैसे पौधों, गाय, घोड़ा, कुत्ता आदि में भी पाई जाती है । इसमें चिंतन की शक्ति का अभाव होता है ।
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मनुष्य एक चिंतनशील प्राणी है ।चिंतन और संवेदना में अंतर है । चिंतन की शक्ति केवल और केवल मनुष्य में ही प्रकट है। मनुष्य सोचता भी है और समझता भी है। यह मनुष्य को प्रकृति से प्राप्त अलौकिक शक्ति है । * *मनुष्य में चिंतन के साथ साथ संवेदना की शक्ति भी प्रबल होती है । संवेदना की शक्ति अन्य जीव-जंतुओं जैसे पौधों, गाय, घोड़ा, कुत्ता आदि में भी पाई जाती है । इसमें चिंतन की शक्ति का अभाव होता है ।
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"योग को अपनायेंगे रोग को हराएंगे"
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आओ सब मिलकर गाए,योग दिवस के गीत।
योग से तन निरोग बने,मन खुश करे संगीत।
संगीत भी एक योग है,मन में भरे उमंग।
योग भी तब प्यारा लगे, संगीत बजे जब संग।
अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस एवं विश्व संगीत दिवस की हार्दिक बधाई।
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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें
कामिनी सिन्हा
योग दिवस की शुभकामनाएं...। बहुत आभार आपका कामिनी जी...। मेरी रचना को मान देने के लिए आभार...। बहुत ही अच्छे लिंक हैं...।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात, आभार।।।।।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विविधरंगी प्रस्तुति कामिनी जी !चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई । आप सभी को योग दिवस एवं विश्व संगीत दिवस की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंसदा की तरह सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंयोग आधारित बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका के साथ पठनीय लिंक्स का चयन, आभार कामिनी जी !
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका के साथ
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।
सभी को हार्दिक बधाई।
सादर
हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंयोग की प्रेरणा देती सुंदर रचनाओं का संकलन बहुत हाई सराहनीय है,प्रिय कामिनी जी,आभार एवं नमन।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर उपस्थित होने के लिए आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार, आप की उपस्थिति हमें हमेशा उत्साहित करती है ।
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका के साथ पठनीय लिंक्स का चयन । बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति कामिनी जी !
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