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शुक्रवार, जुलाई 02, 2021

"गठजोड़" (चर्चा अंक- 4113)

सादर अभिवादन ! 

शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी प्रबुद्धजनों का पटल पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !  

आज की चर्चा का शीर्षक- "गठजोड़" आ. अनीता सैनी जी की लघुकथा से लिया गया है ।

  --

आइए अब बढ़ते हैं आज की चर्चा के सूत्रों की ओर-


"लक्ष्यहीन संधान न कर" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)


भौंहें वक्र-कमान न कर

लक्ष्यहीन संधान न कर


ओछी हरक़त करके बन्दे

दुनिया को हैरान न कर


दीन-धर्म पर करके दंगे

ईश्वर का अपमान न कर

***

गठजोड़

हल्का गुलाबी रंग का गठजोड़ जिसमें न जाने कितनी ही गठानें  लगा रखी हैं । देखने पर लगता जैसे इसमें कोई महंगी वस्तु छिपाकर बाँध रखी हो।जब कभी भी शकुंतला ताई की बेटियाँ उनके संदूक का सामान व्यवस्थित करती हैं  तब ताई आँखें फाड़-फाड़ कर उस गठजोड़ को देखती और देखती कि दाहिने तरफ़ ही रखा है न।

***

दिल से अपने पूछ के देखो ज़रा ...

बात उन तक तो ये पहुँचा दो ज़रा.

शर्ट का टूटा बटन टांको ज़रा.

 

छा रही है कुछ उदासी देर से,

बज उठो मिस कॉल जैसे तो ज़रा.

 

बात गर करनी नहीं तो मत करो,

चूड़ियों को बोल दो, बोलो ज़रा.

***

पिता से

पिता,

मैं रोज़ देखता हूँ 

सामनेवाली दीवार पर तुम्हें,

अच्छे लगते हो तुम 

चुपचाप मुस्कुराते हुए.

***

शतकीय पारी के बाद अच्छे दिन आने पर खुशी की लहर

अच्छे दिन आने के भरोसे को पूरा होने पर खुशी की लहर है। पेट्रोल सिंह ने हर बॉल को बाउंड्री के पार भेज कर जब शतक जड़ दिया तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। डीजल डालमिया भी सलामी बल्लेबाज  जोड़ी का कर्तव्य निभाया और शतक के करीब पहुंचने की रेस में जी तोड़ मेहनत कर रहा है।

***

लिख ‘उलूक’ गंदगी किसे सूँघनी है किसे समझनी या देखनी है सबके जूतों को साफ रहना होता है

किसी की समझ में नहीं आती हैं समाज के सफेदपोशों की हरकतें

अफसोस होता है

कंधे ढूँढ कर कुछ बन्दूक चलाने वाले ऐसे

और उनके लिये बन्दूक और गोलियों हो लेने वालों के लिये

अखबार मेँ एक पन्ना होता है

वो शाम जो भुलाए न भूले

डॉ. वर्षा सिंह के असामयिक निधन के उपरांत मेरा मन ब्लॉग जगत से उचाट हो गया है। न अब कुछ नवीन लिखकर यहाँ डालने का मन करता है, न ही साथी ब्लॉगरों के पृष्ठों पर जाने का उत्साह अनुभव होता है। किन्तु हाल ही में एक संस्मरण को पढ़कर अपना भी एक संस्मरण साझा करने की प्रेरणा मिली तो लिख रहा हूँ।

***

नहीं लौट पाता प्रेम | कविता | डॉ शरद सिंह

चाहे धूमकेतु हो 

या कोई नक्षत्र

पृथ्वी के पास से 

गुज़र जाता है

बिना टकराए

बिना छुए पृथ्वी को

छोड़ जाता है अनुमान

***

मोहजाल

छोटा ही था प्रमोद जब उसके पिता का देहांत हुआ। 

बस माँ तक सिमटकर रह गयी थी उसकी दुनिया।

माँ ने ही उसे पढ़ा- लिखा कर काबिल इंसान

बनाया । बहुत प्यार और सम्मान था उसकी नजरों में माँ के लिए। माँ की उफ तक सुनकर उसकी तो जैसे रुह ही काँप जाती ।

***

बच्चे खुशमिज़ाज शिक्षक को पसंद करते हैं और पसंद करें क्यों न!!!

खुशमिज़ाजी के साथ 

पढ़ाया गया पाठ 

बच्चों के ज़ेहन में ...

बस जाता है 

चाहे वह ...

कितना ही कठिन क्यों ना हो!!!

***

विधर्मी (लघु कथा)

एक सप्ताह से गम्भीर रक्ताल्पता के रोग के कारण अस्पताल के जनरल वॉर्ड में भर्ती वृद्धा विमला देवी के बैड के पास रखी बैंच पर उनका पुत्र मोहित व पुत्रवधु रोहिणी, दोनों बैठे थे। विमला जी सोई हुई थीं, सो पति-पत्नी परस्पर वार्तालाप में मग्न थे। सहसा विमला जी की नींद खुली और कराहते हुए उन्होंने पीने के लिए पानी माँगा।

***

दर्पण जैसा

सोचा लम्हा एक चुरा लूँ उन हसीन ख़्वाबों के पल से।

फिसल गए वो हुनर ना आया मुट्ठी को इस पल में ll


वजूद मेरे किरदार का भी कुछ उस दर्पण जैसा l

अक्स निहार छोड़ गए जिसे हर कोई अकेला ll


पिंजरे बंद परिंदा हूँ उन सुनहरे अरमानों का l

पंख मिले नहीं जिसे कभी उन आसमानों का ll

***  


अपना व अपनों का ख्याल रखें…,

आपका दिन मंगलमय हो...

फिर मिलेंगे 🙏

"मीना भारद्वाज"




       


17 टिप्‍पणियां:

  1. विविध रंगों की छटा बिखेरता हुआ है यह संकलन। अभिनंदन मीना जी। मेरे संस्मरण को स्थान देने हेतु आपका हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन आदरणीय मीना दी शीर्षक पर अपनी लघुकथा का शीर्षक देख अत्यंत हर्ष हुआ।श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। धीरे-धीरे सभी रचनाएँ पढूँगी।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी लघुकथा को चर्चामंच पर स्थान देने हेतु दिल से आभार।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छे चर्चा सूत्र …
    आभार मेरी ग़ज़ल को स्थान देने के लिए …

    जवाब देंहटाएं
  5. ईश्वर का अपमान न कर, गजब है। चोट करती रचना

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही उन्दा संकलन मीना जी,बेहतरीन चर्चा अंक,सभी रचनाकारों हार्दिक शुभकामनायें एवं नमन

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर संकलन की सुंदर प्रस्तुति आदरणीय मीना जी,आभार एवं सादर शुभकामनाएँ।

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  8. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति!
    अब मैं ठीक होने के बिल्कुल निकट हूं, जल्दी ही चर्चा की प्रस्तुति लेकर चर्चा मंच पर उपस्थित हो जाऊंगा!

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  9. आपके स्वस्थ होने का समाचार सुखद और हर्ष से परिपूर्ण है सर! आपकी प्रस्तुति की प्रतीक्षा है 🙏

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  10. सुन्दर संकलन सभी रचना धर्मियों को बधाई । सबसें बड़ी खबर कि गुरुजी शास़्त्री जी का स्वास्थ्य लाभ सुकून देने वाला हैं, और वे फिर से नईं उर्जा के साथ हमें मार्ग दर्शन केरेंगें।

    जवाब देंहटाएं
  11. उम्दा लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति... मेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार मीना जी!

    जवाब देंहटाएं
  12. मेरी लघुकथा 'विधर्मी' को चर्चा-मंच पर स्थान देने के लिए आ. मीना जी का धन्यवाद व हार्दिक आभार!

    जवाब देंहटाएं

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