सादर अभिवादन !
शुक्रवार की चर्चा में आप सभी प्रबुद्धजनों का पटल पर हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !
आज की प्रस्तुति का शीर्षक "सावन की है छटा निराली" आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की 2013 की कृति से.., जिसमें सावन माह की छटा के अनुपम वर्णन के साथ आध्यात्म , सांसारिकता और राजनीतिक परिपेक्ष्य का अनूठा सामंजस्य है ।
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आइए अब बढ़ते हैं आज की चर्चा के सूत्रों की ओर-
सावन की है छटा निराली
धरती पर पसरी हरियाली
तन-मन सबका मोह रही है
नभ पर घटा घिरी है काली
मोर-मोरनी ने कानन में
नृत्य दिखाकर खुशी मना ली
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अमृत कलश से छलकती
अमृत्व के लिबास में लिपटी
किसी की धड़कन तो किसी की
सांसें बन जीवन में डोलती
धरा के नयनों से उतर
कपोलों से लुढ़ककर बोलती
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चंदन वंदन हे रघुनंदन,
आज करो सबके मन पावन।
मैल मिटे हर दोष हटे फिर,
जीवन हो फिर आज सुहावन।
नीरव बीत रही रजनी अब,
साज बजे बरसे रस सावन।
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खो गई मंजिल
भटक गया पथिक
तो क्या हुआ ----?
पहुँचने की लगन तो है।
ढल गई शाम
घिर गया तम
तो क्या हुआ ----?
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सुहानी रात ही में
वह खोजाता
सुकून ह्रदय का
जब देखता
आसमान का चाँद
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बहुत से ऐसे लोग हैं जो सर्वस्व देकर भी गुमनाम रहना चाहते हैं, बिना किसी अपेक्षा के समाज की सेवा करते रहते हैं ! अब राजकुमार राव को ही ले लीजिए, फिल्मों में आए उन्हें ज्यादा समय नहीं
हुआ ! धन-यश के मामले में सोनू से कोसों पीछे भी हैं पर उन्होंने भी इस आपदा में बिना किसी शोर-शराबे के पांच करोड़ रुपयों का दान किया ! कितने लोगों को पता चला !
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समय और समझ के साथ जो चला
समझो वह सबसे आगे निकला
क्योंकि जब समय होता है
तब उसकी कीमत नहीं होती
जब समझ आती तो
कुछ करने की हिम्मत नहीं होती…
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एक अगन भीतर जलती है
जला दें जाले पड़े जो मन
पर, हसरत यही मचलती है !
एक लगन भीतर पलती है
पार करें हर इक बाधा को,
मेधा भी तभी निखरती है !
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आप भी मोटे होने के डर से बिना घी की रोटी खाते है?
हिटलर कहा करता था कि झूठ बोलो, चिल्ला चिल्ला कर झूठ बोलो...झूठ भी सच हो जाएगा। ठीक वैसा ही घी के साथ हुआ। रोटी में घी लगा कर खाना नुकसानदायक नहीं बल्कि बहुत ही फायदेमंद है। घी हजारों गुनों से भरपूर है। खासकर गाय का घी तो अमृत है। आपने पंजाब और हरियाणा के निवासियों को देखा होगा। वे टनों घी खाते है फ़िर भी सबसे अधिक फिट है!
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न जाने कौन है,
जो खड़ा
रहता
है क़ातिल मोड़ पर, थाम लेता है मुझे
नुक़्ता ए इंतहा पे सब कुछ छोड़
कर, क्षितिज पार दिखाई
देता है अक्सर कोई
रौशनी का
समंदर,
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अपना व अपनों का ख्याल रखें…,
आपका दिन मंगलमय हो...
फिर मिलेंगे 🙏
"मीना भारद्वाज"
रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंआज की उम्दा लिंक्स |मेरा रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद मीना जी |
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरे सृजन को स्थान देने हेतु सादर आभार।
सभी रचनाकारो को हार्दिक बधाई।
आदरणीय शास्त्री जी सर की कमी मंच पर बहुत खलती है।
सादर
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने कब लिए बहुत बहुत धन्यवाद, मीना दी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं का चयन...बहुत ही सुंदर प्रस्तुति मीना जी,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें एवं सादर नमन
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को भी स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार मीना जी,सादर नमन
जवाब देंहटाएंरचना को सम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसभी सुरक्षित व स्वस्थ रहें
वर्षा ऋतु पर सुंदर रचना और विविधता पूर्ण विषयों पर सुंदर रचनाओं से सजा चर्चा मंच, आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी ।
जवाब देंहटाएंसभी सार्थक सुन्दर लिंक्स!बधाई एवं शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में अपनी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के माध्यम से उपस्थित हो कर चर्चा पटल का मान बढ़ाने हेतु आप सभी प्रबुद्धजनों का बहुत बहुत आभार 🙏🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर एवम विविध रंग की रचनाओं से सजा अंक प्रस्तुत करने के लिए आपका बहुत आभार मीना जी,मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद,सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह...
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ अपने आप में अद्वितीय हैं मुग्ध करता हुआ चर्चामंच, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार आदरणीया - - नमन सह।
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