सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
(शीर्षक आदरणीया रिंकी रावत जी की रचना से)
" खुदा से जब लव लगाई जाएगी
फिर दुआ कब कोई खाली जाएगी "
बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ....
जब उस रब से जुड़ गए तो और कही जुड़ने की ख़्वाहिश ही नहीं रहेगी
चलते हैं आज की रचनाओं की ओर.....
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ताकते हैं दिल वो मेरा बार बार
क्या कोई हसरत निकाली जाएगी
आँख मिलते ही किसी मा'शूक़ से
फिर तबीअ'त क्या सँभाली जाएगी
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शिक्षक“लेकिन सर, यह तो अन्याय है। एक जगह आपने तैरने के सिद्धान्त के बदले तैरने की विधि लिखने पर भी नंबर दे दिए, जिसका वह हकदार नहीं था और यहाँ इतनी सी बात कि छोटे या बड़े अक्षर के लिए नंबर काट रहे हैं। उसको कितनी खुशी होती कि उसे 50 में 50 नंबर मिले हैं। पर आपने तो उसकी खुशी छीन ली।“--------------------
आशाओं से
ठहरने की विनती करना
व्यर्थ है,
उन्हें रोकने के लिए
जूझना होगा नैराश्य से
आशा को निराशा के जबड़े से
खींचते समय उसकी------------------------------मा ब्रूयात सत्यमsप्रियम्
`बताओ दो दिन नहीं जा पाई उनके काम पे तो लाला के बजार वाली कै रई थीं कि तुमारा कितना काम पड़ा हैगा कपड़े, झाड़ू, पोंचा, बर्तन और तुम गायब हो गईं, हैं…हम बोले भाबी जी काम तो तुमारा है हमारा थोड़ी न है…तो लगी बहस करने कि नईं तुमारा है …हमने कहा लो बोलो भाबी घर तुमारा, बच्चे तुमारे, पति तुमारा तो उनका सब काम भी तुमारा हुआ न हमारा काए कूँ होता ?’
आशियाँ
यायावर ध्वनि - -
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हर तकलीफ से इंसान का दिल दुखता बहुत है,
जीवन में दुख और सुख दोनों मनुष्य के जीवन का अहम हिस्सा है दुख जाएगा सुख आएगा यह एक तरह से प्रकृति के नियम के अनुसार जलता रहने वाला एक करम है कई बार हमें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है पर इन्हीं से हमें जीवन में आगे चलने की सीख भी मिलती है तो चलते रहिए कुछ ना कुछ सीखने को जरूर मिलेगा सुख से ज्यादा दुख से प्यार करें.
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वैदिक वांगमय और इतिहास बोध-२४
हड़प्पा में अश्वों के जीवाश्म नहीं पाए जाने के आधार पर घोड़ों से अपरिचित होने की दलील में भी कोई ख़ास दम नहीं है। सच तो यह है कि हड़प्पा स्थलों की खुदाई और भारत के अंदरूनी हिस्सों की खुदाई से भी आर्यों के कथित आक्रमण-काल (१५०० ईसापूर्व के बाद) से भी पहले के समय के अश्व-जीवाश्म मिले हैं। ब्रयांट इस बात का उल्लेख करते हैं
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यदि आप कम मेहनत में, कम सामग्री में और कम तेल में स्वादिष्ट और पौष्टिक नाश्ता बनाना चाह रहे है, तो पालक चीला (palak chila) एक बहुत ही बढिया नाश्ता है। जो कम मेहनत, कम सामग्री और कम तेल में बन जाता है।
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सुप्रभात,
जवाब देंहटाएंवैविध्यपूर्ण सुंदर संकलन का सुन्दर प्रस्तुतीकरण के लिए हार्दिक शुभकामनाएं कामिनी जी,आपका बहुत आभार एवम नमन।
आदरणीया कामिनी जी, आज की चर्चा मंच में बहुत
जवाब देंहटाएंही अच्छी रचनाओं का चयन किया है आपने, उसमें मेरा आर्टिकल को शामिल किया उसके लिए दिल की गहराइयों से आभार और धन्यवाद
जी, सुंदर संकलन। अत्यंत आभार।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंकामिनी जी, आज की चर्चा मंच में बहुत
जवाब देंहटाएंही अच्छी व विविधता पूर्ण रचनाओं का चयन किया है आपने, उसमें मेरा संस्मरण भी शामिल किया उसके लिए तहे दिल से । सबको पढ़ कर सभी पर कमेन्ट कर आईं हूँ 😊🙏
Reply
*आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय कामिनी दी जी।
जवाब देंहटाएंसादर
आदरणीया कामिनी जी की जितनी भी तारीफ करें कम होगी। इस पटल की शोभा हैं वो। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।।।।।
जवाब देंहटाएंमंच पर आप सभी की उपस्थिति हमें नई उर्जा प्रदान करती है, आप सभी स्नेहीजनों को हृदयतल से शुक्रिया एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सराहनीय संकलन । चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
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