शीर्षिक पंक्ति : आदरणीया संगीता स्वरुप 'गीत' जी।
सादर अभिवादन।
बुधवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
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उच्चारण: "मैना चहक रहीं उपवन में"
अंतहीन है समुद्र का किनारा,
उतरे तो सही वो एक
बार घने बादलों
के हमराह,
उभर
जाए कदाचित डूबा हुआ साँझ तारा,
अंतहीन है समुद्र का किनारा।
इत-उत यूँ ही भटकती है मुहब्बत तेरी ...
ख़त किताबों में जो गुम-नाम तेरे मिलते हैं,इश्क़ बोलूँ के इसे कह दूँ शरारत तेरी I तुम जो अक्सर ही सुड़कती हो मेरे प्याले से,चाय की लत न कहूँ क्या कहूँ चाहत तेरी Iजबखुशी सेसराबोरहम दोबारा बुनेंगेजीवन।येभय की अंधियारीबीत जाएगी।--ले गयी उठा अंतिम गहना भी जुए की लत आओ तुम्हे यूं मजबूर करदु, दिल खोलकर रखदूं या चूर-चूर करदु,ले जाओ छाँटकर, हिस्सा जो तुम्हारा है,तुम्हारी बेख्याली में भी तुम्हे मशहूर करदु।--वकीलों के बीच, मेरे पिताजी अपने अति गंभीर व्यवहार और नो-नॉनसेंस एटीट्यूड के लिए काफ़ी प्रसिद्द थे, बल्कि सच कहूँ तो काफ़ी बदनाम थे. उनके कोर्ट में अगर कोई वक़ील काला कोट पहन कर न आए या अधिवक्ताओं वाला सफ़ेद बैंड लगा कर न आए तो वो उसे कोर्ट से बाहर का रास्ता दिखा देते थे. कोर्ट में हास-परिहास या मुद्दे से हट कर कोई भी बात उन्हें क़तई गवारा नहीं थी. नौजवान वक़ील साहिबान तो उनसे बहुत डरा करते थे. कोर्ट में बहस के दौरान वो कभी उनकी क़ानूनी अज्ञानता पर उन्हें टोका करते थे तो कभी उनकी गलत-सलत अंग्रेज़ी पर.--अपना वजूद भी इस दुनिया का एक हिस्सा है उस पल को
महसूस करने की खुशी , आसमान को आंचल से बाँध
लेने का हौंसला , आँखों में झिलमिल -झिलमिलाते सपने
और आकंठ हर्ष आपूरित आवाज़ - “ मुझे नौकरी मिल गई है , कल join करना है वैसे कुछ दिनों में exam भी हैं…,
पर मैं सब संभाल लूंगी।” कहते- कहते उसकी आवाज
शून्य में खो सी गई ।
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दोस्त शब्द सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में जो भाव पैदा होते है ,बहुत ही मधुर होते हैंं ।दोस्त यानि एक ऐसा व्यक्ति जो हमेशा हमारा साथ दे ,दुख में सुख में ,हानि में लाभ में । एक बहुत ही प्यारा सा रिश्ता होता है दोस्ती का ।
पर क्या सही में ऐसा दोस्त हमें मिल पाता है ,या फिर हम स्वयं ऐसे दोस्त बन पाते हैं । मेरी समझ से तो कुछ ही भाग्यशाली लोग होते होगे जिन्हें सच्चा दोस्त मिला होता है । एक बच्चा ढाई-तीन साल की उम्र से ही खेलने के लिए कोई साथी चाहने लगता है ..हम उम्र साथियों के साथ उसे अच्छा लगता है और यहीं से शुरुआत होती है दोस्ती की । इस उम्र में वे एक दूसरे के खिलौनों से खेलते है ,खिलौने छीनते भी हैं ,रोते हैं ,फिर थोडी देर में चुप होकर फिर से खेलने लगते हैं । न कोई ईर्ष्या न कोई द्वेष बस अपनी मस्ती में रहते हैँ ।हीरो दसवीं फेल काम का न काज का सेर भर अनाज का।फिर कमाई के लिए किसी रिश्तेदार के मिठाई वाले कारखाने में चला जाता है।कुछ नहीं झाड़ू बिहारी कर कुछ कमा कर मातास्री के चरणों में चढ़ा देता है। पत्नी जैसे तैसे रूखी सूखी खा कर रहती है और पति परमेश्वर फिर कई महीनों की शिकायत करती है और बेचारी पत्नी की पिटाई सुरु।जिन लड़कियों के मां बाप ने अपनी लडकियों को हुनर सिखाया। कतई बुनाई,सिलाई वे कुछ न कुछ अपनी हाथ खर्ची कमा कर गुजारा करती हैं। उनके मां बाप और वे खुद उस आदमी को गलिए देते हैं जिसने खूब तारीफ कर संबंध कराया था।--
अपना वजूद भी इस दुनिया का एक हिस्सा है उस पल को
महसूस करने की खुशी , आसमान को आंचल से बाँध
लेने का हौंसला , आँखों में झिलमिल -झिलमिलाते सपने
और आकंठ हर्ष आपूरित आवाज़ - “ मुझे नौकरी मिल गई है , कल join करना है वैसे कुछ दिनों में exam भी हैं…,
पर मैं सब संभाल लूंगी।” कहते- कहते उसकी आवाज
शून्य में खो सी गई ।
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दोस्त शब्द सुनते ही सबसे पहले हमारे मन में जो भाव पैदा होते है ,बहुत ही मधुर होते हैंं ।दोस्त यानि एक ऐसा व्यक्ति जो हमेशा हमारा साथ दे ,दुख में सुख में ,हानि में लाभ में । एक बहुत ही प्यारा सा रिश्ता होता है दोस्ती का ।
हमेशा की बहुत ही बेहतरीन और खूबसूरत चर्चा मंच सभी को बहुत सारी बधाइयाँ!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं से सजा सराहनीय अंक,बहुत बहुत शुभकामनाएं अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाएं...। आभार आपका अनीता जी...।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और विविधताओं से परिपूर्ण लिंक्स के मध्य मेरे सृजन को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार अनीता जी।
जवाब देंहटाएंसाहित्य के विविध रंगों से सज्जित चर्चा मंच अपनी महक बिखेरता सा, अपने बज़्म में शामिल करने हेतु असंख्य आभार आदरणीया अनीता जी - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सारगर्भित संकलन हेतु साधुवाद!! मेरी रचना को स्थान दिया आपका कोटि कोटि धन्यवाद अनीता जी!!
जवाब देंहटाएंअभी आपके द्वारा संकलित लिंक्स पर जाना शेष है । हर लिंक ज़रूर देखूँगी ।
जवाब देंहटाएंरचना और शीर्षक पंक्ति लेने के लिए आभार अनिता जी ।
सुंदर व सार्थक चर्चा ! सभी जन स्वस्थ व प्रसन्न रहें ! सावन के पावन पर्व की सभी को मंगलकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह!प्रिय अनीता ,बहुत खूबसूरत चर्चा अंक । मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभार ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही बेहतरीन लिंक्स एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा.मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभार
जवाब देंहटाएंअनीता सैनी जी आपको साधुवाद इतने अच्छे संयोजन के लिए 🙏
जवाब देंहटाएंसंगीता स्वरूप जी की शीर्षक पर पंक्तियां मन को गहरे तक छू गई
बहुत बढियां चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा प्रस्तुति जीवन के और साहित्य की विविध विधायो का रंग समेटे हुए ।सभी रचना नही पढ़ पाई ।कोशिश करूँगी जैसे जैसे समय मिले उनको पढ़ पाँउ । मेरी रचना को स्थान देने के लिये हार्दिक आभार 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा ... अच्छे सूत्र ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी गज़ल को जगह देने के लिए ...
बहुत सुन्दर चर्चा ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार
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