सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
(शीर्षक आदरणीय शास्त्री सर की रचना से)
आप जहाँ है वहाँ का मौसम कैसा है....नहीं जानती मगर....
मुंबई का मौसम बहुत ख़ुशगवार है तो....
तो चलिए, ऐसे मौसम में कुछ ग़ज़लों का लुफ़्त उठाते हैं....
और बाहर का मौसम जैसा भी हो दिल का मौसम खुशनुमा बनाते हैं....
वैसे तो ग़ज़ल के बारे में मुझे कुछ ज्यादा मालूम नहीं फिर भी ग़ज़ल पढ़ना और सुनना.... मुझे बेहद पसंद हैं
पर सुना है, ग़ज़ल अरबी शब्द है जिसका अर्थ होता है
"प्रेमिका से वार्तालाप"
सच, ग़ज़ल जज़्बात और अल्फाज़ का एक लाजबाव मेल है...
जिसे सुनते ही दिल में एक कसक सी होती है
तो आइये, मेरी पसंद के कुछ ग़ज़लों का आनंद उठाईये....
और गीले-शिक़वे भूल प्रेम-मग्न हो जाईये....
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शुरू करते हैं आदरणीय शास्त्री सर से.. जो प्रीत की रीत समझा रहें....
- (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री जी)
- प्यार का मौसम है, आओ प्यार की बातें करें।।नेह की लेकर मथानी, सिन्धु का मन्थन करें,छोड़ कर छल-छद्म, कुछ उपकार की बातें करें।
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- आदरणीय दिगंबर जी इन्हे तो हम हमारे ब्लॉग जगत का ग़ज़ल सम्राट कहते हैं...
तेरे अहसास में खोकर तुझे जब भी लिक्खा,यूँ लगा,लहरों ने साहिल पे 'तिश्नगी' लिक्खा !
मेरी धड़कन ने सुनी,जब तेरी धड़कन की सदा,तब मेरी टूटती साँसों ने 'ज़िंदगी' लिक्खा !
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न तोड़ो आईना यूँ राह का पत्थर बनकरखनकने दो न हसी प्यार का मंज़र बनकर
चुपचाप सोये है जो रेत के सफीने हैसाथ बह जायेगे लहरों के समन्दर बनकर
राह में जिसके पलके बिछाते रहे हम आज वो हमको आँखे दिखाने आया है
सांस टूट गयी, बिखर गया जब वजूददेखिये आज वो रिश्ता निभाने आया है
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घर किसी के दिया इक, जला कर के देख़
घर किसी के दिया इक, जला कर के देख़,
क्या मिलेगा सकूँ, आज़मा कर के देख़ ।
सरहदों पर हैं बुझते, चिरागों के घर,
जो हक़ीक़त है ख़ुद की बना कर के देख़ ।
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हम सबकी प्रिय वर्षा जी जिनके बिना ये महफ़िल अधूरी होगी....
आमंत्रण कहा भेजूं बस उन्हें अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित कर रही हूँ....
वो नहीं उनकी याद ही सही.. वो जहाँ कही भी हो परमात्मा उनकी आत्मा को शन्ति प्रदान करें
- उनकी आखिरी सीख सबको आगाह करती रही.....
- राम जाने कहाँ चूक हुई उनसे और काल ने हमसे
- हमारी प्रिय सखी और एक उन्दा रचनाकार छीन लिया
- और सुनवाई अब नहीं होगीटूटे दिल का निज़ाम बहरा हैअब दिखेगा न मेरी आंखों कोफिर भी आंखों में एक चहरा है
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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें
कामिनी सिन्हा
शुभप्रभात!!बहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ भावनाओं से ओतप्रोत और बहुत ही खूबसूरत है! आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ और कामिनी मैम को तहेदिल से धन्यवाद इतनी मेहनत से सभी ब्लॉग पर जा कर रचनाओं का चयन करने के लिए🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंग़ज़लों की बहुत सुन्दर महफिल सजी है आज की प्रस्तुति के रूप में। आपने मेरी पहले प्रयास को मंच पर स्थान दिया इसके लिए बहुत बहुत आभार कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंकमाल के चर्चा सूत्र समेट दिए आप ने यहाँ …
जवाब देंहटाएंआभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए …
आज मंच गज़लों को सजाए बैठा है
जवाब देंहटाएंवक़्त न जाने क्यों फिर भी ऐंठा है ।
हर ग़ज़ल अपने आप में मुक्कमल । अच्छा लगा एक ही जगह इतनी सारी गज़लें पढ़ने का मौका मिला ।
सुंदर संकलन । आभार ।
सुंदर लाजवाब ग़ज़लों का बेहतरीन संकलन, आपके श्रम साध्य कार्यहेतु आपको मेरा नमन कामिनी जी,आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंचर्चा के इस महामंच पर ग़ज़लों का एक बेहतरीन समागम देख मन प्रफुल्लित हो उठा । ये शायद पहली बार हुआ कि अच्छे अच्छे शायर एक मंच पर लाकर एकत्रित कर दिए और उन्हें पढ़ने का मौका मिलेगा ।सादर
जवाब देंहटाएंखूब बधाईयाँ... सभी रचनाएं बहुत अच्छी हैं...।
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत ही सुंदर भूमिका के साथ सराहनीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर
वर्षा दी को पढ़वाने हेतु दिल से आभार कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंसादर
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जवाब देंहटाएंग़ज़ल पढ़ना हो या सुनना, दोनों ही मुझे बहुत पसंद है। मुझे लगता है कि इस विधा में एक अलग बात है और अपने तरीके की संप्रेषणीयता है जो पद्य की अन्य विधाओं में कम देखने को मिलती है। प्रेमिका की जुल्फों और रईसों की महफिलों से निकलकर, शराब और शबाब की कैद से आजाद होकर ग़ज़ल ने जब अपना दायरा बढ़ाया तो अभिव्यक्ति की सरलता के कारण वह अधिकतर लोगों की पसंद बन गई। आज के ग़ज़ल विशेष चर्चाअंक में इतनी खूबसूरत ग़ज़लों को पढ़ना बहुत अच्छा अनुभव रहा। मेरी ग़ज़ल को स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआप सभी को इस ग़ज़ल की महफ़िल में आनन्द आया ये जानकार खुशी हुई और मेहनत सफल हुई, आप सभी स्नेहीजनों को तहेदिल से शुक्रिया एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंवाह!कामिनी जी!आज तो गजलों की महफिल ने समा बाँध दिया...लाजवाब चर्चा प्रस्तुति में मेरी गजल को भी स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
जवाब देंहटाएंसादर आभार।
प्रिय कामिनी जी,
जवाब देंहटाएंआपकी तरह मुझे भी गज़ल बेहद पसंद है। पर लिखना नहीं आता ठीक से बहर,वज्न वगैरह में बिल्कुल अनाड़ी हैं
आपके द्वारा संग्रहित इतने सुंदर संकलन में इतने सिद्धस्त रचनाओं के मेरी रचना को पाकर बहुत अच्छा लग रहा है।
आपके स्नेह से अभिभूत हूँ। सभी रचनाएँ बेहद शानदार है।
देर से प्रतिक्रिया लिखने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
सस्नेह आभार
शुक्रिया।